भाषण [वापस जाएं]

September 6, 2013
सेंट पीटर्सबर्ग, रूस


प्रधानमंत्री का सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे कार्यकारी सत्र में हस्तक्षेप

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे कार्यकारी सत्र में किए गए हस्तक्षेप का विवरण निम्नवत है:-

हम सब इस बात पर सहमत है कि‍ इस शि‍खर सम्‍मेलन का केंद्रीय संदेश रोजगार सृजन और वि‍कास है। भारत युवाओं का देश है और हमारी कार्यशील जनसंख्‍या का वि‍स्‍तार हो रहा है। हम युवा जनता को लाभ पूर्ण रोजगार सुनि‍श्‍चि‍त कराने के लि‍ए एक बहुत बडा दक्षता वि‍कास कार्यक्रम चला रहे हैं ताकि‍ वे आथिक वि‍कास में सहयोग करने के साथ-साथ लाभान्‍वि‍त भी हों।

सभी वि‍कासशील देशों को दक्षता वि‍कास पर जोर देना चाहि‍ए। औद्योगि‍क देशों समेत अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों से काफी कुछ सीखा जा सकता है।

उच्‍च स्‍तर की दक्षता वाले अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम की गति‍शीलता देशों के बीच वैश्‍वि‍क एकीकरण का एक महत्‍वपूर्ण पहलू बन गया है। इस मामले में अंतर्राष्‍ट्रीय सहमति‍ के लंबि‍त होने के बावजूद हमें नए प्रतिबंध वाले उपायों से परहेज करने के लि‍ए सब कुछ करना चाहि‍ए क्‍योंकि‍ वे उन सभी क्षेत्रों का गला घोट सकते हैं जो आने वाले वर्षों में वैश्‍वि‍क वि‍कास में योगदान दे सकते हैं।

लघु और मझौले उपक्रमों की रोजगार सृजन में अग्रणी भूमि‍का है। मैं इस क्षेत्र के महत्‍व को समझता हूं और मुझे पता है कि‍ बहुत से औद्योगि‍क देश लघु और मझौले उपक्रमों में ऋण का प्रवाह बढ़ाने के लि‍ए कदम उठा रहे हैं। बहुत से वि‍कासशील देशों द्वारा दिग्‍दर्शित ऋण नीति‍यां अपनाई गईं हैं और मुझे याद आता है हम उनका यह कहकर वि‍रोध करते थे कि‍ वे दूरदर्शी बैंकि‍न्‍ग में दखल देते हैं। इस तरह की दखल की बढ़ती प्रशंसा के बीच हमें इस क्षेत्र में अपने अनुभवों को बांटना चाहि‍ए।

वि‍त्‍तीय समावेशन समग्र वि‍कास के लि‍ए अत्‍यावश्‍यक है। हम भारत में फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी संख्‍या को बैंकों की सुवि‍धा मुहैया कराने का एक बड़ा अभि‍यान चला रहे हैं। इस उद्देश्‍य को हम बायोमेट्रि‍क यूनि‍क आइडेनटि‍फि‍केशन के प्रयोग से हासि‍ल कर रहे है जि‍ससे पहचान सुनि‍श्‍चि‍त हो जाती है और कोई भी व्‍यक्‍ति‍ मोबाइल तथा सूचना तकनीक के प्रयोग से बैंकों के नेटवर्क से जुड़ जाता है। इस प्रकार आधुनि‍क तकनीक और संस्‍थागत नवाचार कुछ ही वर्षों में एक लघु अवधि‍ में लाखों करोड़ों लोगों को बैंकों का उपभोक्‍ता बनने में मदद करते हैं।

वि‍कासशील देशों में रोजगार सृजन और वि‍कास का एक महत्‍वपूर्ण हथि‍यार ढांचागत क्षेत्र में नि‍वेश करना है। लोस कोबस शि‍खर सम्‍मेलन में हमने अपने वि‍त्‍त्‍ मंत्रि‍यों से उन तरीकों का पता लगाने को कहा था जि‍नमें जी-20 ढांचागत क्षेत्र में वि‍त्‍त के प्रवाह को बढ़ाने में किस प्रकार मददगार हो सकता है। औद्योगि‍की देशों ने साबि‍त कि‍या है कि‍ अपरम्‍परागत मौद्रि‍क नीति‍ से प्रभावकारी परि‍णाम मि‍ल सकते हैं। हमें भी अपरम्‍परागत वि‍कासीय वि‍त्‍त के लि‍ए इसी तरह के नवाचार अपनाने की आवश्‍यकता है।

वि‍श्‍व बैंक और एशि‍याई वि‍कास बैंक-एडीबी, ऐसी परि‍योजनाओं के लि‍ए एक वि‍शेष वि‍त्‍तीय वि‍कास का रास्‍ता खोल सकते हैं जो पूंजी या धन की कमी से जुझ रहे हैं। इसका उद्देश्‍य एक ऐसी लचीली व्‍यवस्‍था बनाना है जो न केवल समय-समय पर ढांचागत वि‍त्‍त के प्रवाह को बनाये रखे बल्‍कि‍ ऐसे नि‍वेश का और वि‍स्‍तार हो ताकि‍ वह अपनी भूमि‍का बार बार नि‍भा पाए।

अंतर्राष्‍ट्रीय वि‍त्‍तीय संस्‍थाएं अक्‍सर ढांचागत क्षेत्र में नि‍जी पूंजी प्रवाह को बढ़ावा दे सकती है। इन संस्‍थाओं में कई क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य करके दि‍खाया है और अंतर्राष्‍ट्रीय वि‍त्‍तीय संस्‍थाओं के ढांचागत क्षेत्र में वि‍त्‍त पोषण से नि‍जी क्षेत्रों की इस ओर ज्‍यादा रूचि‍ बढ़ेगी।

इस सब में अति‍रि‍क्‍त पूंजी की आवश्‍यकता पड़ेगी। मुझे उम्‍मीद है कि‍ जी-20 शिखर सम्मेलन यह संकेत दे पायेगा कि‍ हम जरूरी पूंजी मुहैय्या कराने को तैयार हैं।