भाषण [वापस जाएं]

March 27, 2013
डरबन


ब्रिक्‍स नेता- अफ्रीकी वार्ता मंच में प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य

प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने डरबन में 27 मार्च, 2013 को आयोजित ब्रिक्‍स नेता-अफ्रीकी वार्ता मंच में एक वक्‍तव्‍य दिया। उनके वक्‍तव्‍य का मूल पाठ निम्‍नलिखित है:-

मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अफ्रीका को आशा का महाद्वीप बनाने में हुए विशाल परिवर्तन में किस प्रकार ब्रिक्‍स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) और खासकर भारत के योगदान रहा है संबंधी वार्ता में भाग लेने का मुझे अवसर मिला है।

भारत के अफ्रीका के साथ संबंध उप-निवेशवाद और रंगभेद के प्रति हमारी एकजुटता के इतिहास में निहित हैं। महात्‍मा गांधी ने इसी भूमि पर शांतिपूर्ण विरोध के तरीके विकसित किये, तब से लेकर अफ्रीका के साथ हमारे संबंधों ने लंबी यात्रा तय की है और आज भारत-अफ्रीकी मंच शिखर सम्मेलन के रूप में भागीदारी का नया आदर्श तैयार हुआ है। यह भागीदारी हमारे अफ्रीकी भागीदारों की दूरदृष्टि और प्राथमिकताओं पर आधारित है। भारत संस्‍थागत निर्माण, अवसंरचना विकास और तकनीकी एवं व्‍यावसायिक कौशल विकास के जरिए अपना मार्ग निश्चित करने में अफ्रीका की सहायता कर रहा है।

अफ्रीका के 47 देशों में काम कर रहे दूर-औषध और दूर-शिक्षा के लिए समूचे अफ्रीका में काम कर रहा ई-नेटवर्क अफ्रीका के साथ हमारी संस्‍थागत निर्माण संबंधी भागीदारी की एक बड़ी सफल कहानी है। हम अफ्रीका में डीजीटल विभाजन को पाटने में सहायता के लिए अफ्रीकी भागीदारों के साथ ई-प्रशासन पर काम करने के लिए तैयार हैं। भारत को अफ्रीका के साथ भागीदारी राजनीतिक संस्‍थाओं, स्‍थानीय प्रशासन, मीडिया और सिविल सोसाइटी के क्षेत्र में अपने अनुभव बांट कर प्रसन्‍नता होगी।

अफ्रीका के साथ मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण सहायता भारत के सहयोग के मुख्‍य क्षेत्र हैं, क्‍योंकि ये लोगों को अपना भविष्‍य बनाने में सक्षम बनाते हैं। भारत में 15 हजार से अधिक अफ्रीकी छात्र अध्‍ययन कर रहे हैं। विशेष रूप से अफ्रीकी विद्वानों के लिए तैयार की गई कृषि और वैज्ञानिक फैलोशिप अत्‍यधिक लोकप्रिय है। व्‍यावसायिक और उद्यम-गत कौशल विकास, विशेष रूप से लघु और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हमारी सहायता अफ्रीका में रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायक रही है। हमारी रियायती सहायता कृषि, अवसंरचना और उद्योग के विकास के लिए है। हम ऋण देने की शर्तों की समीक्षा कर रहे हैं, ताकि वे हमारे भागीदारों की बजटीय आवश्‍यकताओं को पूरा कर सकें। ये विकास संबंधी उनकी अपनी प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और इससे वे स्‍थानीय संसाधनों और कौशल का उपयोग कर सकेंगे तथा राजस्‍वोन्‍मुख टिकाऊ परिसंपत्तियां तैयार कर सकेंगी। जहां तक व्‍यापार का संबंध है, कम विकसित देशों के लिए हमारी ड्यूटी-मुक्‍त टैरिफ प्राथमिकता योजना ने अफ्रीका के कम विकसित देशों की भारत के बढ़ते हुए बाजारों में पहुंच को बढ़ाया है।

भारत का उद्यमी निजी क्षेत्र भारत-अफ्रीकी भागीदारी के मुख्‍य संचालकों में से एक है। भारतीय उद्योग परिसंघ और भारत के आयात -निर्यात बैंक ने पिछले सप्‍ताह भारत -अफ्रीका परियोजना भागीदारी संबंधी नौवीं बैठक का आयोजन किया। इस बैठक ने 70 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्‍य की 500 परियोजनाओं में रुचि पैदा की।

टिकाऊ आर्थिक विकास को सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के वातावरण की आवश्‍यकता होती है। भारत अफ्रीकी महाद्वीप में शांति और सुरक्षा संबंधी अफ्रीकी पहल का सक्रिय समर्थन करता है। 6,500 से अधिक भारतीय सैनिक अफ्रीका के विभिन्‍न भागों में संयुक्‍त राष्‍ट्र की शांति सेना में भाग ले रहे हैं। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्‍य अपने अधिदेश को जारी रख सके, संबंधी संयुक्‍त राष्‍ट्र स्थिरता मिशन में भारत का एक बड़ा दल सहायता कर रहा है। हमने सोमालिया में अफ्रीकी संघ मिशन और माली में अफ्रीकी नेतृत्‍व संबंधी अंतर्राष्‍ट्रीय समर्थन मिशन के लिए आर्थिक सहायता के रूप में भी योगदान किया है। हम माली की प्रादेशिक अखंडता और वहां संवैधानिक व्‍यवस्‍था की बहाली का जोरदार समर्थन करते हैं।

अंत में, मैं अफ्रीका की अपनी विशेषज्ञता और क्षमता के समूचे स्‍पैक्‍ट्रम में भारत की सहायता के संकल्‍प को दोहराता हूं। ब्रिक्‍स मंच हमारे सहयोग का एक अन्‍य मार्ग है। ब्रिक्‍स बैंक जैसी पहल अफ्रीका के कायाकल्‍प में सहायता के लिए ब्रिक्‍स देशों की सामूहिक क्षमता को और बढ़ा सकेगा। यह एक ऐसा लक्ष्‍य है, जिसके प्रति भारत प्रतिबद्ध है।