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पोलियो पर विजय प्राप्त करने के अवसर पर आज नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए भाषण का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-
"आज वास्तव में एक ऐतिहासिक दिन है। यह वह दिवस है जिसके लिए हमने अथक कार्य किया है और इसकी बहुत ही उत्सुकता से प्रतीक्षा की है। इस दिवस की सुबह हुई है जो हमारे लिए बहुत गौरव लाई है। इसने मुझे अत्यन्त प्रसन्नता प्रदान की है और आप भी हमारे साथ इसमें शामिल हो गए हैं। हम देश में तीन वर्षों से बिना पोलियों का कोई मामला हुए इस दिवस को मना रहे हैं। पोलियों के ऊपर भारत की विजय कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। अभी हाल ही के वर्षों तक ठोस प्रयासों के बावजूद विश्व के आधे से अधिक पोलियो के मामले भारत में थे। भारत से इसका वायरस दूर और पास के देशों तक पहुंचा इसलिए इस गंभीर बीमारी का उन्मूलन करने के लिए यह हमारी मजबूत प्रतिबद्धता और इच्छा शक्ति को दर्शाता है कि कुछ वर्षों के अंदर ही हम ऐसी स्थिति में पहुंचने में कामयाब रहे हैं, जहां हमें पोलियो मुक्त प्रमाणित किया जा सकता है। इस प्रकार हमने अपने लिए लगभग डेढ़ दशक पहले निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है।
यह अत्यन्त प्रभावशाली उपलब्धि मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति, सरकार द्वारा सुनिश्चित वित्तीय प्रतिबद्धता, हमारे द्वारा अपनाई गई नीति का मजबूत निरीक्षण और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा दिए गए बहुमूल्य समर्थन के सहयोग से ही प्राप्त की जा सकी है। आज मैं पूर्व वक्ताओं की तरह ही लगभग 23 लाख टीका लगाने वाले 1,50,000 पर्यवेक्षकों के साथ-साथ उन सभी अधिकारियों और गैर-अधिकारियों को स्मरण करना और उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं जिनके प्रयासों के बिना आज हम यहां नहीं होते। ऐसा उनके अथक प्रयासों के बिना सम्भव नहीं होता।
भारत की उपलब्धि यह दर्शाती है कि पोलियो को विभिन्न बाधाओं और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद खत्म किया जा सकता है। यह विकास उन देशों के लिए महत्वपूर्ण है जहां लोग अभी भी इस बीमारी से प्रभावित है। मैं यह उम्मीद करता हूं कि हम एक ऐसा काम करने में समर्थ रहे हैं जो एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा तथा विश्व समुदाय को यह विश्वास दिलाएगा कि पोलियो भी इस पृथ्वी से जल्द ही इस प्रकार चला जाएगा जिस प्रकार चेचक चला गया है।
लेकिन जब तक विश्व से पोलियो का उन्मूलन नहीं हो जाता भारत के लिए इस बीमारी के वायरस का लौटने का खतरा बना रहेगा। इसलिए हमें देश में नवजात और शिशुओं को टीके लगाकर इस बीमारी से बचाने का कार्य जारी रखने की जरूरत है। सरकार प्रमाणीकरण से बाहर भी अपने प्रयासों को तब तक जारी रखने के लिए पूर्णरूप से प्रतिबद्ध है, जब तक इसका वैश्विक उन्मूलन नहीं हो जाता।
देश में 08 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ताओं की तैनाती पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए समय पर उठाया गया कार्य था। अब यह हमारा कर्तव्य है कि इस कार्यक्रम द्वारा दिखाएं गए रास्ते का अन्य क्षेत्रों में भी अनुसरण करें। हमें विशेष रूप से पूरे देश के एक कोने से दूसरे कोने तक प्रत्येक बच्चे को जीवनरक्षक टीके पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। यहां तक की हमारे देश के दूर-दराज के कोने में भी सभी बच्चों का निरोध्य बिमारियों की रोकथाम के लिए पूर्ण टीकाकरण किया जाना चाहिए। यही हमारा लक्ष्य है और यही हमारी प्रतिबद्धता है।
हालांकि सुरक्षित टीकों के लिए वैश्विक पहुंच ही बिमारियों को रोकने और अच्छे स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के अनेक घटकों में से एक है, यह पूरे देश में जन-स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूती प्रदान करके ही सम्भव हो सकता है। हम ऐसा अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से कर रहे हैं। जिसने लोगों, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों, जैसे ग्रामीण जनता, महिलाएं, बच्चे और गरीब लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा की उपलब्धता में सुधार किया है।
हमारी सरकार मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए महत्वपूर्ण और रणनीतिक निवेश कर रही है। हम सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों 4 और 5 को अर्जित करने की दिशा में हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। देश में प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम शिशुओं की जीवन रक्षा में तेजी लाने और मातृ स्वास्थ्य सुधारने वाली रणनीतिक पहल है। इसने पोलियो उन्मूलन मॉडल अपनाया है और ध्यान केन्द्रित राज्यों में महत्वपूर्ण संसाधन तैनात किए है।
इसमे संदेह नहीं है कि ये विकट चुनौतियां है। पोलियो उन्मूलन में हमने जो सफलता पाई है उसने हमें अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक विश्वास प्रदान किया है। पोलियो उन्मूलन कार्य की बपौती यह सहन करने के लिए बाध्य है और हम प्रतिबद्ध हैं कि हम जल्दबाजी में इसके पाठों को नहीं भुलाएंगे। मैं इस वायदे के साथ अपना संबोधन समाप्त करता हूं कि भारत सरकार अनेक राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित करने तथा उन्हें देश के हरेक कोने तक, विशेष रूप से समाज के सबसे अधिक कमजोर वर्गों तक पहुंचा कर व्यापक आधार देने के लिए प्रतिबद्ध रही है। हम अपने बच्चों को स्वस्थ और रोग मुक्त भविष्य सुनिश्चित करके ही देश में सच्चे जनसांख्यिकीय लाभ में सक्षम हो सकेंगे, जो हमारे नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक विकास के स्तर को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। यह एक राष्ट्रीय उद्यम है और मैं आप सभी से इसका हिस्सा बनने को आग्रह करता हूं।
इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर आप सबको इस ऐतिहासिक दिवस में शामिल होने के लिए बधाई देता हूं।
जय हिन्द।''