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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में वर्ष 2013 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-
"आज सबसे पहले मैं उन पांच बच्चों को श्रद्धांजलि देना चाहूंगा जिन्होंने दूसरों को बचाने की कोशिश में अपनी जान कुर्बान कर दी। उत्तर प्रदेश की मौसमी कश्यप और आर्यन राज शुक्ला, मणिपुर के एम. खायिंगथेई, मिजोरम की मलसावंतलुआंगी और नगालैंड के एल. मानियो चाचेई आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन इन बहादुर बच्चों की कुर्बानी सारे देश को प्रेरणा देती रहेगी।
मैं वीरता पुरस्कार पाने वाले सभी बच्चों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। हमें आप पर फ़क्र है। हमें यह भरोसा है कि इस तरह के बहादुर बच्चों के होते हुए हमारे देश का भविष्य उज्ज्वल है। आपकी बहादुरी न सिर्फ और बच्चों को बल्कि सभी देशवासियों को अच्छे काम करने के लिए उत्साहित करती रहेगी।
मैंने कल आपके हैरतअंगेज़ कारनामों के बारे में पढ़ा। आप सब में सबसे छोटा बच्चा सिर्फ साढ़े सात साल की तन्वी नंदकुमार ओवहल हैं। महाराष्ट्र की इस बच्ची ने अपनी चार साल की बहन को डूबने से बचाया। इतनी कम उम्र में दूसरों का सहारा बनना कोई मामूली बात नहीं है।
बाकी बच्चों के कारनामे भी कम आश्चर्यजनक नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश की शिल्पा शर्मा ने एक बच्चे को एक तेंदुए से बचाया। महाराष्ट्र के शुभम संतोष चौधरी ने दो बच्चियों को आग से बचाया और राजस्थान की मल्लिका सिंह टाक ने तो चार पुरुष हमलावरों का मुकाबला अकेले ही कर डाला।
आप सब दो दिन बाद गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेंगे। परेड के जरिए हमारे देश को आपकी बहादुरी की जानकारी मिलेगी। यह आप सबके लिए भी एक ख़ास दिन होगा जब आप देश की सेना और सशस्त्र बलों के साथ मिलकर गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय त्यौहार को मनाएंगे। मुझे यक़ीन है कि आपको इस मौके से बहुत सी नई चीज़ों की जानकारी भी मिलेगी।
देश को आप जैसे बच्चों से बड़ी उम्मीदें हैं और मुझे कोई शक नहीं कि आप इन उम्मीदों को पूरा कर दिखाएंगे। मैं आपको एक बार फिर मुबारकबाद देता हूं। मैं ईश्वर से यह प्रार्थना भी करता हूं कि वह भविष्य में आपको और भी बड़ी कामयाबियां दिलवाए।
मैं अपनी बात खत्म करने से पहले भारतीय बाल कल्याण परिषद की तारीफ भी करना चाहूंगा। वह 1956 से बहादुर बच्चों का सम्मान करने के सिलसिले को जारी रखे हुए है। मैं उनको भविष्य के लिए अपनी सारी शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद। जय हिन्द।"