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कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का मीडिया को दिया गया बयान इस प्रकार है:-
"भारत की यात्रा पर राष्ट्रपति पार्क का स्वागत करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। हमने आपसी हित से जुड़े मुद्दों, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श किया। इससे हमें दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने, उसमें अधिक बातों का समावेश करने और उसे गति प्रदान करने में मदद मिली है।
राष्ट्रपति पार्क और मैंने इस बारे में सहमति व्यक्त की कि व्यापार व़ृद्धि को बनाए रखने और आर्थिक आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए भारत-कोरिया के बीच संबंधों को मजबूत बनाना जरूरी है। 1990 के दशक की शुरूआत में हमारे ढांचागत सुधारों के कारण कोरियाई व्यापार अग्रणी रहा। आज कुछ और सुधारों के परिणामस्वरूप भारत उसे अधिक अवसर देने की पेशकश कर रहा है।
दोहरे कराधान से बचने के वर्तमान समझौते की समीक्षा करने के बारे में बातचीत समाप्त हो चुकी है। हम भारत में कोरियाई औद्योगिक पार्क स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगा रहे हैं। राष्ट्रपति पार्क और मैंने इस बारे में सहमति व्यक्त की है कि दोनों देशों के उद्योग और वाणिज्य से जुड़े व्यवसाईयों को मिलाकर एक सीईओ मंच बनाया जाये जो हमारे बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत बनाने के बारे में नये विचार प्रदान करे।
मुझे बेहद खुशी है कि पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिलने के बाद ओडि़शा में विशाल पोस्को इस्पात परियोजना आने वाले सप्ताह में काम करने लगेगी। परियोजना के लिए खनन छूट देने की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। मुझे उम्मीद है कि यह परियोजना आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ सुनिश्चित करेगी।
दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। राष्ट्रपति पार्क और मैंने फैसला किया है कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे के बीच वार्षिक बातचीत की व्यवस्था हो। हमने दोनों सरकारों के बीच साइबर मामलों पर भी बातचीत शुरू करने पर सहमति व्यक्त की।
भारत और कोरिया गणराज्य वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के बीच हाल में विचार-विमर्श हुआ। राष्ट्रपति पार्क और मैंने रक्षा अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रक्षा, व्यापार और संयुक्त उत्पादन की संभावना को मान्यता दी है। वर्गीकृत सैनिक सूचना के संरक्षण के बारे में एक समझौते पर आज हस्ताक्षर किए गए जिससे रक्षा कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमने अनेक परियोजनाओं पर काम शुरू किया है जिनके लिए 2010 में स्थापित 10 मिलियन अमरीकी डॉलर के संयुक्त कोष से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। संयुक्त व्यावहारिक अनुसंधान के जिस सहमति पत्र पर आज हस्ताक्षर किए गए उससे हमारे वैज्ञानिक मिलकर काम कर सकेंगे और साझा लाभ की प्रौद्योगिकी विकसित कर सकेंगे। हम अंतरिक्ष विज्ञान और टैक्नोलॉजी के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए सहयोग की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।
भारत और कोरिया के लोगों के बीच पुराने समय से ही संपर्क है और हम आने वाले समय में नजदीकियों को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सियोल और नई दिल्ली में स्थापित सांस्कृतिक केंद्रों ने लोगों के बीच संपर्क बढ़ाया है। कोरियाई पर्यटक बड़ी संख्या में भारत आ रहे हैं। मैंने कोरिया गणराज्य के नागरिकों के लिए ‘पहुंचने पर पर्यटन वीजा’ की सुविधा देने के सरकार के फैसले की राष्ट्रपति पार्क को जानकारी दे दी है। हम नागर विमानन संपर्क को बेहतर बनाने की संभावना का भी पता लगा रहे हैं।
राष्ट्रपति पार्क और मुझे क्षेत्रीय मुद्दों, खासतौर से कोरियाई प्रायद्वीप के विकास और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में सहयोग की प्रक्रिया के बारे में बातचीत करने का अवसर मिला।
राष्ट्रपति पार्क की यात्रा ने हमारी साझेदारी को नई गति प्रदान की है। मुझे विश्वास है कि आज हमारी बातचीत आने वाले वर्षों में रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार करेगी।"