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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नोएडा में पेट्रोटेक 2014 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-
“मुझे पेट्रोटेक- 2014 के शुभारंभ के अवसर पर यहां आपके साथ शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है। मैं पहले भी पेट्रोटेक से जुड़ा रहा हूं और इस मननशील कार्यक्रम एवं विषयों के चयन से प्रभावित रहा हूं। इस वर्ष की का विषय - “विज़न 2030: उभरता वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र - चुनौतियां और अवसर“ भी पूरी तरह उचित है क्योंकि हम अपनी वृद्धि की महत्वाकांक्षाओं को पूरी करने के लिए ईंधन के स्वच्छ और किफायती ऊर्जा समाधान की तलाश में आगे बढ़ रहे हैं। मैं इस अवसर पर उन सभी सज्जनों को बधाई देता हूं जिन्होंने आजीवन उपलब्धि के लिए पुरस्कार जीते हैं। मैं ओएनजीसी, पेट्रोटेक सोसायटी और अन्य सभी की सराहना करता हूं जिन्होंने पेट्रोटेक श्रृंखला के सम्मेलन आयोजित करने में योगदान दिया है।
किफायती मूल्य पर ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति हमारी आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। भारत फिलहाल दुनिया का सातवां सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक है जो दुनिया के कुल ऊर्जा उत्पादन का करीब 2.5 प्रतिशत योगदान देता है। लेकिन, यह ऊर्जा का चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और 2020 तक तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बनने की उम्मीद है। इससे पता चलता है कि अगले दो दशकों में हमें अपनी ऊर्जा आपूर्ति को 3 से 4 गुणा बढ़ाना होगा। इसलिए हमारे देश के लिए इस सम्मेलन का विषय विशेष रूप से प्रासंगिक है। मुझे आशा है कि इस सम्मेलन से उपयोगी सिफारिशें की जाएंगी ताकि हम ऐसी नीति तैयार करने और प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास करने में समर्थ हो सकें जो हमारी बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतें पूरी करने में हमारी मदद करेंगी।
भारत ने अपनी 12वीं पंचवर्षीय योजना में उच्च वृद्धि दर के पथ पर वापस लौटने के लिए नीतिगत ढांचा तैयार किया है इसलिए ऊर्जा क्षेत्र के विकास और विशेषरूप से हाइड्रोकार्बन क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। मांग और घरेलू आपूर्ति में पहले की तुलना में बढ़ते जा रहे अंतर को कम करने की जरूरत है। इसके मद्देनज़र, हम स्थिर और समर्थ नीतिगत माहौल के ढांचे में संभावित हाइड्रोकार्बन समृद्ध क्षेत्रों की तलाश के लिए घरेलू और वैश्विक कंपनियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिए अन्य विकल्पों को भी आगे बढ़ा रहे हैं। हमने पिछले कुछ महीनों में अपनी ऊर्जा नीति में अनेक बदलाव किए हैं तथा मुझे यकीन है कि आप उनसे परिचित होंगे।
आज उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक तेल और गैस उद्योग को नई प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं, नूतन सोच और रचनात्मक व्यवसाय मॉडलों की ज़रूरत है। इन लक्ष्यों को हासिल करने का बेहतरीन तरीका विभिन्न हितधारकों की भागीदारी है। ऐसी भागीदारियों से परिपक्व क्षेत्रों से निकासी में वृद्धि, बेहद गहराई वाले जल ऊर्जा भंडारों के उत्खनन और जटिल फ्रंटियर क्षेत्रों में प्रगति जैसे परिणाम सामने आएंगे। उनसे पर्यावरण को नुकसान एवं जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को दूर करने तथा ऊर्जा के अपारंपरिक रूपों की संभावनाएं तलाशने में मदद मिलेगी।
इस तरह के मंचों से तेल एवं गैस क्षेत्र में लक्षित सहयोगों की स्थापना के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति पर पहुंचा जा सकता है। मुझे यकीन है कि इस सम्मेलन से इस दिशा में प्रगति होगी तथा प्रतिभागियों को तेल एवं गैस क्षेत्र के विविध उप-क्षेत्रों में आधुनिक घटनाक्रमों एवं बेहतरीन अंतर्राष्ट्रीय परिपाटियों के बारे में सूचना दी जाएगी।
हम अस्वच्छ ऊर्जा उपभोग के दुष्परिणामों पर पहले ही चर्चा कर चुके हैं। संवाद और पेट्रोटेक जैसे आयोजनों सहित वैश्विक और उन्मूलन रणनीतियां संबंधित देशों में पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी सुलभ कराने में और प्रचार-प्रसार में उपयोगी होंगी।
भारत वैश्विक समुदाय का जिम्मेदार सदस्य होने के नाते अपना कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए प्रतिबद्ध है। उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करना और उत्सर्जन कम करना बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन हम इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए मांग प्रबंध, ऊर्जा संरक्षण, ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी जैसे अनेक क्षेत्रों में काम करने की ज़रूरत होगी। इसके लिए शोध एवं विकास के प्रयासों पर भी ध्यान देना होगा। मैं ऊर्जा क्षेत्र संबंधी सभी एजेंसियों और व्यक्तियों से इन प्रयासों में योगदान देने का अनुरोध करता हूं।
मुझे सूचित किया गया है कि पेट्रोटेक-2014 कार्बन तटस्थ आयोजन है तथा यह यकीनन प्रतिस्पर्द्धी उदाहरण है। इससे जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की दिशा में हमारे देश के हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के दृष्टिकोण का भी पता चलता है। मैं इस रचनात्मक पहल के लिए पेट्रोटेक-2014 के आयोजकों की सराहना करता हूं। इस समारोह के शुभारंभ की घोषणा करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं पेट्रोटेक-2014 की सफलता की कामना करता हूं। मुझे विश्वास है कि इससे ऐसे परिणाम हासिल होंगे जो हमारे ऊर्जा क्षेत्र के लिए तथा अन्य देशों के ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद होंगे। इन शब्दों के साथ मैं कामना करता हूं कि हमारे देश में आप सबका प्रवास सुखद हो।
धन्यवाद, जय हिंद।"