प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा
प्रबंधित कराई गई सामग्री
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
द्वारा निर्मित एंव संचालित वेबसाइट
आज नई दिल्ली में भारत दूरसंचार 2013 के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा दिये गए भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:-
"मैं भारत दूरसंचार के इस आठवें संस्करण में भाग लेते हुए बहुत प्रसन्न हूं। मैं मानता हूं कि भारत दूरसंचार सम्मेलनों की श्रेणियां हमारे देश के दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के लिए बहुत लाभदायक रही हैं। इसमें संदेह नहीं कि इस वर्ष इस आयोजन में भी वैसी ही सफलता मिलेगी।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र यह मिसाल पेश करता है कि हमारे देश में प्रतिस्पर्धा और पूंजी का मुक्त प्रवाह किस प्रकार लाभ पहुंचा सकता है। यह वर्षों से हमारे आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और इसने बहुमूल्य रोजगार अवसर जुटाए हैं। पहले हमारे शहरी क्षेत्रों में और उसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार जुड़ाव के प्रसार से देश के लोगों के जीवन में व्यापक सुधार हुआ है। हालांकि दूरसंचार की व्यापक रूपांतरण क्षमता का बड़ा हिस्सा अभी भी बिना उपयोग के पड़ा है।
हमारी सरकार दूरसंचार क्षेत्र का आगे भी विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले दो वर्षों में हमने इस दिशा में अनेक क़दम उठाए हैं। पिछले वर्ष एक नई नीति शासन राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 की घोषणा की गई थी, जिसमें अनेक जटिल मुद्दों में पारदर्शिता लाई गई है। हमने लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सरल बनाने और दूरसंचार सेवाओं के प्रावधानों के लिए स्पेक्ट्रम की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा बाजार संबंधित प्रक्रियाओं के माध्यम से पारदर्शी रूप से इनका आवंटन करने का प्रयास किया गया है। मैं समझता हूं कि दूरसंचार विभाग ने पहले ही एकीकृत लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया है और यह जल्दी ही विलय और अधिग्रहण दिशानिर्देश भी जारी करेगा। हमने दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया है। मुझे विश्वास है कि इन सभी प्रयासों से निवेशकों की चिंताओं का समाधान होगा और हमारे देश में दूरसंचार उद्योग के विकास को नई गति उपलब्ध होगी।
40 प्रतिशत से कुछ अधिक के ग्रामीण टेली-घनत्व से हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लाखों व्यक्ति ऐसे हैं जिनका जीवन अभी भी दूरसंचार क्रांति से अछूता है और यह ऐसी चुनौती है जिसकी हम सभी को चिंता करनी चाहिए। हमें इससे प्रभावी ढंग से निपटने का संकल्प लेना चाहिए। जब इंटरनेट जुड़ाव का मामला आता है, तो यह घाटा और भी अधिक बढ़ जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति आधार पर इंटरनेट का उपयोग काफी कम है। प्रमुख शहरों के बाहर इंटरनेट सेवाओं की उपलब्धता और विश्वसनीयता अपेक्षा से बहुत कम है।
इंटरनेट की रूपांतरण शक्ति देश के अधिकांश लोगों के जीवन में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। आज यातायात, बुकिंग, बैंकिंग, शॉपिंग और शिक्षा जैसी सेवाएं इंटरनेट के माध्यम से प्रदान की जा रही हैं। प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास के परिणामस्वरूप इस माध्यम के नये-नये उपयोग हो रहे हैं।
यह सब दूरसंचार क्षेत्र में ग्रामीण – शहरी दूरी को पाटने के लिए प्रयास करने की तत्काल जरूरत की ओर इशारा करते हैं। यह विभाजन हमारे समाज में असमानता को बढ़ाने वाला स्रोत नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत हमें इस देश में वर्तमान में मौजूद सामाजिक, आर्थिक असमानताओं को कम करने के लिए दूरसंचार की अपार क्षमताओं का लाभ उठाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि ऐसा विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। उदहारण के लिए मोबाइल बैंकिंग के साथ मोबाइल फोन का संयोजन कर के बहुत कम कीमत में वित्तीय समावेश के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक आधार पहचान ढांचे का उपयोग करके इसे संभव बनाने के लिए पहले ही कार्यरत है। इसी प्रकार कम्प्यूटर का 3-जी जुड़ाव के साथ समायोजन करके शिक्षा प्रदान करने में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। छात्र अपने पसंद के विषय की शिक्षा अपने निवास स्थान को छोड़े बिना ही गुणवत्ता प्राप्त शिक्षकों से प्राप्त कर सकते हैं। मुझे बताया गया है कि दूरसंचार आयोग ऐसी संभावनाओं पर काम कर रहा है और मैं उनके इस महान कार्य की सफलता की कामना करता हूं।
हमारी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं के विस्तार की आवश्यकता के प्रति जागरूक है। राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 के प्रमुख उद्देश्यों में से एक यह है कि 2017 तक ग्रामीण टेली-घनत्व बढ़ाकर 70 प्रतिशत और 2020 तक बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया जाए। नीति में दूरसंचार और ब्रॉडबैंड जुड़ाव की मूल आवश्यकता की पहचान की गई है और इसमें देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में विश्वसनीय और सस्ती ब्रॉडबैंड पहुंच प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।
देश के 56,000 वंचित गांवों को मोबाइल दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन (यूएसओ) से वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना विचाराधीन है। इस योजना में पूर्वोत्तर क्षेत्र के दूरसंचार वंचित गांवों को इस योजना में प्राथमिकता दी जाएगी।
हमने तीन हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वामपंथी आतंकवाद (एलडब्ल्यूई) से ग्रस्त क्षेत्रों के 2200 स्थानों पर मोबाइल टावर लगाने की योजना को मंजूरी दी है। इसे भी यूएसओ निधि द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) का उद्देश्य देश की सभी ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से जोड़ना है। मुझे बताया गया है कि राजस्थान, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश के एक-एक ब्लॉक की ग्राम पंचायतों की तीन पायलट परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। आज इस अवसर पर मैं पिछले वर्ष बताई गई एक बात को दोहराना चाहता हूं कि भारत को इलेक्ट्रोनिक्स एवं दूरसंचार में मजबूत विनिर्माण आधार विकसित करने की आवश्यकता है। यह अनुमान है कि 2020 तक भारत तीन सौ बिलियन डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रोनिक उत्पादनों का आयात करेगा, जो पेट्रोलियम उत्पादों के हमारे आयात के मूल्य से कहीं अधिक होगा। हमें ऐसी स्थिति रोकने के लिए अभी से कार्य करने की आवश्यकता है, जिसमें ऐसे बड़े आयातों के वित्तपोषण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भारत में विनिर्माण सुविधाएं होनी चाहिए, जिनके परिणाम स्वरूप इलेक्ट्रोनिक उत्पादों के व्यापार में संतुलन हो और वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा हों। मुझे खुशी है कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग देश में इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण गतिविधियों के विकास के लिए पारस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए कार्य कर रहा है।
इस सम्मेलन का बहुत ही महत्वपूर्ण एजेंडा (इंटरनेट ऑफ पीपुल टू इंटरनेट ऑफ थिंग्स: द फ्यूचर ऑफ कम्यूनिकेशन) है। यह ऐसा ही जैसा इसे होना चाहिए, क्योंकि एक देश के रूप में हमें प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोग में नवीनतम विकास के बारे में ध्यान देना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन के विचार-विमर्श इस दिशा और देश में दूरसंचार के क्षेत्र के समग्र विकास में अपना योगदान देंगे। मैं आपके विचार-विमर्शों की सफलता की कामना करता हूं।"