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प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में 8वें एशिया गैस भागीदारी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर दिये गए उनके भाषण का विवरण इस प्रकार है:-
''मुझे एशिया गैस भागीदारी सम्मेलन के साथ एक बार फिर जुड़े होने की बेहद प्रसन्नता है। सम्मेलन में भारत और अन्य देशों के विशिष्ट प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। मैं भारत में आपके आगमन का स्वागत करता हूं, जहां गैस के क्षेत्र में कई उत्साहजनक गतिविधियां चल रही हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है। इस सम्मेलन की दस वर्ष पहले एक साधारण सी शुरूआत हुई थी, लेकिन अब इसमें विश्व की कई प्रमुख तेल और गैस कंपनियां भाग ले रही हैं। इस सम्मेलन के आयोजन के लिए और हर वर्ष इसे सफल बनाने के लिए मैं भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग चैम्बर परिसंघ (फिक्की) को बधाई देता हूं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, प्रकृतिक गैस आज सभी का पसंदीदा ईंधन है। बिजली उत्पादन के लिए भी यह काफी अच्छा ईंधन है। वाहनों में इस स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण कम होता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
पिछले वर्षों में हमारे देश में प्राकृतिक गैस का ऊर्जा के स्रोत के रूप में महत्व बढ़ा है। वाणिज्यिक स्तर पर इस्तेमाल होने वाले सभी ऊर्जा स्रोतों में प्राकृतिक गैस की खपत दर में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। इसके कई कारण हैं- जैसे पर्यावरण संबंधी चिंताएं, ईंधन में विविधता लाने की आवश्यकता, ऊर्जा की कीमत और बाजार विनियमन।
गैस के क्षेत्र में हमारे सार्वजनिक प्रतिष्ठान भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल) का पिछले वर्षों में विकास हुआ है और यह विविधता वाला संघटन बन गया है। आज गेल हमारे सबसे अच्छे सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में से एक है और इसे महारत्न की श्रेणी में रखा गया है। मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि गेल हमारी ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने के लिए दूर-दराज के बाजारों तक अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहा है।
हाल के वर्षों में वैश्विक संदर्भ में भी प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। अमरीका में शैल गैस के उत्पादन में तेजी से हुई वृद्धि ने विश्व के अन्य भागों में भी इस प्रकार की सफलता की संभावनाएं पैदा की हैं। शैल गैस की क्रांति से जो प्रौद्योगिक और आर्थिक संभावनाएं बढ़ी हैं, उनसे आने वाले वर्षों में विश्व के ऊर्जा परिदृश्य में और ज्यादा परिवर्तन आने की संभावना है। इसके लिए नये उत्पादक, नये उपभोक्ता और नये व्यापार अनुबंध सामने आएंगेा। हमें भी उम्मीद है कि अपने देश में भी शैल गैस के भंडारों की खोज करने का हमें सौभाग्य प्राप्त होगा।
शैल गैस क्रांति मुख्य रूप से दो कारणों से संभव हुई है- प्रौद्योगिकी और बाजार आधारित मूल्यन। ये दोनों बातें हमारे देश जैसी तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं के लिए आवश्यकताओं के अनुरूप ऊर्जा समस्या के समाधान के लिए आवश्यक है।
विश्व में एलएनजी की मांग बढ़ाने में एशिया की भूमिका रही है। दुनिया भर में एलएनजी से संबंधित व्यापार में एशिया की लगभग 70 प्रतिशत भागीदारी है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में एलएनजी की बढ़ती मांग में एशिया की भागीदारी इसी स्तर पर बनी रहेगी। वर्ष 2020 तक एलएनजी की मांग मौजूदा स्तर से दो से तीन गुनी बढ़ जाने की संभावना है।
भारत को अगले दो दशकों में अपनी ऊर्जा आपूर्ति तीन से चार गुणा बढ़ानी होगी। इस समय भारत विश्व का सातवां सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक देश है। विश्व के कुल वार्षिक ऊर्जा उत्पादन में इसका हिस्सा लगभग 2.5 प्रतिशत है। ऊर्जा खपत के मामले में भारत चौथा सबसे बड़ा देश है। भारत में कुल ऊर्जा खपत में से मुख्य रूप से लगभग 41 प्रतिशत खपत तेल और गैस की है और 2020 तक उम्मीद है भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत करने वाला देश बन जाएगा।
मांग और आपूर्ति के बीच इस अंतर को पूरा करने के लिए हम घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को समुद्र तट पर और समुद्र के अदंर ईंधन की खोज करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। मैं इस अवसर पर निवेशकों को आश्वासन देना चाहूंगा कि हमारी सरकार ऊर्जा के नये स्रोतों की खोज के लिए अनुकूल और स्थिर नीतियां जारी रखेगी।
ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए भारत लगातार अन्य विकल्पों पर भी ध्यान दे रही है। इनमें से एक विकल्प अन्य देशों में ऊर्जा संपत्तियों के अधिग्रहण का है। मैं इस दिशा में प्रयास करने के लिए गेल, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और अन्य कंपनियों को मुबारकबाद देता हूं। इससे न केवल हमें ऊर्जा की आपूर्ति के नये स्रोत उपलब्ध होंगे, बल्कि नवीनतम प्रौद्योगिकी की जानकारी भी प्राप्त होगी।
इस सम्मेलन का विचारणीय विषय है- ''एशिया गैस बाजार : बदलते परिदृश्य में चुनौतियां और अवसर।'' एशिया में प्राकृतिक गैस की भारी मांग और तेल तथा गैस के क्षेत्र में तेजी से हो रही गतिविधियों को देखते हुए यह सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन से उपयोगी समाधान सामने आएंगे, जिससे अंतर्राष्ट्रीय विक्रेताओं और एशिया में खरीदारों के बीच भागीदारी मजबूत होगी। प्राकृतिक गैस की भारी मांग के बावजूद भारत जैसे देश इसके विक्रय मूल्य और खरीद मूल्य में उम्मीद से ज्यादा अंतर होने के कारण पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक गैस की खरीद नहीं कर पा रहे हैं। आशा है दो दिन के इस सम्मेलन में इस मुद्दे पर और इस जैसे अन्य मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
भारत में गैस पाइपलाइन के विकास, एलएनजी टर्मिनल, पेट्रो-रसायन, गैस व्यापार केन्द्र और नगरों में गैस वितरण की परियोजनाओं जैसे क्षेत्रों में संयुक्त निवेश करने के बहुत अच्छे अवसर हैं। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधि भारत में और एशिया के अन्य उभरते बाजारों में इन अवसरों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इन शब्दों के साथ मैं इस 8वें एशिया गैस भागीदारी सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं । मेरी कामना है कि अन्य देशों से आए मेहमानों का भारत प्रवास बहुत सुखद हो।''