भाषण [वापस जाएं]

November 19, 2013
मुम्‍बई, महाराष्ट्र


भारतीय महिला बैंक के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री का भाषण

मुम्‍बई में आज भारतीय महिला बैंक लिमिटेड के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:-

हम सब यहां एक विचित्र नई संस्‍था की शुरूआत को देखने एकत्रित हुए हैं। भारतीय महिला बैंक का आज उद्घाटन किया जा रहा है। यह बैंक प्रमुख रूप से महिलाओं और महिला स्‍वयं सहायता समूहों को वित्‍तीय सेवाएं उपलब्‍ध कराएगा। मैं समझता हूं कि अधिक से अधिक संख्‍या में महिलाएं ही इस बैंक का संचालन करेंगी। मैं अपने मित्र और सहयोगी तथा वित्‍त मंत्री श्री पी. चिदम्‍बरम और उनके दल को इस बैंक की स्‍थापना की परिकल्‍पना करने और चालू वर्ष के बजट में इसकी घोषणा कर हकीकत रूप देने के लिए सराहना करता हूं।

यह प्रसन्‍नता की बात है कि इस बैंक का उद्घाटन हमारे देश की महान महिला के जन्‍म दिवस पर किया जा रहा है। श्रीमती इंदिरा गांधी हमारे देश की महान नेताओं में से एक हैं। उन्‍होंने प्रधानमंत्री के रूप में 16 वर्षों तक देश का नेतृत्‍व किया। उनका जीवन और कार्य हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

भारत ने शताब्दियों में विज्ञान, चिकित्‍सा विज्ञान, व्‍यापार, खेल और राजनीति जैसे विविध क्षेत्रों में कई कुशल महिला नेताओं को दिया है। हमारे स्‍वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई तथा रानी लक्ष्‍मी बाई, बेगम हजरत महल और श्रीमती अरुणा आसफ अली जैसी नेताओं ने अग्रिम पंक्ति से देश का नेतृत्‍व किया। महिला भी हमारे देश की राष्‍ट्रपति हुई हैं और अभी हमारी लोकसभा की अध्‍यक्ष महिला हैं। लोकसभा में विरोधी दल की नेता महिला हैं और दो राज्‍यों की मुख्‍यमंत्री भी महिला हैं। भारत की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की अध्‍यक्ष भी सम्‍मानित महिला नेता हैं जो आज हमारे बीच हैं। हाल के एक वैश्चिक सर्वेक्षण में चुनी गईं 50 महिला व्‍यापारिक नेताओं में 4 भारतीय महिला हैं।

लेकिन यह सब कुछ हमारे देश में महिलाओं की औसत वास्‍तविकता को नहीं दर्शाता। वास्‍तविकता यह है कि घर, स्‍कूल, कार्य स्‍थल तथा सार्वजनिक स्‍थानों पर महिलाएं भेदभाव और कठिनाई का सामना करती हैं। उनकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारिता अभी भी दूर का लक्ष्‍य बना हुआ है।

महिलाएं हर कदम पर जो विपरीत परिस्थितियां झेलती हैं उसमें हमारी सफल महिलाओं की कहानी बहुत शानदार है। बड़ी बाधाओं के बावजूद उनकी सफलता के लिए मैं उन्‍हें धन्‍यवाद देता हूं।

हमारी महिलाओं द्वारा सहे जा रहे भेदभाव की झलक हमारे मानव विकास के सूचकांक में भी मिलती है। वे साक्षरता में, स्‍वास्‍थ्‍य में, रोजगार क्षमता में और उद्यम कुशलता के मामले में पुरुषों से नीचे हैं। महिलाएं भूमि और धन के मालिकाना हक के मामले में तथा उद्यम प्रबंधन में पुरुषों से पीछे हैं। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसक घटनाओं से स्थिति और खराब हुई है।

हमारी सरकार भारत की महिलाओं की अधिकारिता के लिए काम करने के प्रति अपनी जिम्‍मेदारी मानती है। हम यह भी मानते हैं कि इस दिशा में हमारे प्रयास बहुमुखी होने चाहिए। हमारे अग्रणी कार्यक्रम ग्रामीण रोजगार, शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने तथा स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल संबंधी मामलों में महिला और पुरुष दोनों को बराबरी का अवसर देते हैं। इससे महिला अधिकारिता के काम में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में शामिल लोगों में लगभग आधी महिलाएं हैं।

महिलाओं की विशेष जरूरतों की देखभाल के लिए भी हमारे योजनाएं हैं। उदाहरण के लिए जननी सुरक्षा योजना गर्भवती महिलाओं और दुग्‍धपान कराने वाली माताओं के लिए है जबकि सबला योजना किशोरी लड़कियों को अधिकारिता प्रदान करने के लिए है।

हम अपने कानूनों को बदलने की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं ताकि कानून अधिक लिंग संवेदी हो और लिंग आधार पर भेदभाव के मामलों में कड़ाई से निपट सकें। हमने ग्रामीण और शहरी स्‍थानीय निकायों में 30 प्रतिशत सीटें महिलाओं को देने के लिए कानून बनाया है। निचले स्‍तर के लोकतांत्रिक संस्‍थानों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें देने के लिए 15 राज्‍यों ने कानून पास किया है। परिणामस्‍वरूप बड़ी संख्‍या में गरीब और ग्रामीण महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी के दायरे में लाया गया है। महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के मामले में कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए हमने कानून को मजबूत बनाया है।

लेकिन अभी बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता है। यह स्‍वीकार्य वास्‍तविकता है कि वित्‍त और बैंकिंग से न केवल महिलाओं को अधिकार हासिल करने में मदद मिलेगी बल्कि विकास के सामाजिक आधार का दायरा भी बढ़ेगा और समान विकास होगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत बहुत पीछे है। वित्‍तीय और वित्‍तीय उत्‍पादों तक महिलाओं की पहुंच बहुत कम है। हमें इस स्थिति को बदलने की जरूरत है ताकि हमारी महिलाएं मुख्‍यधारा की अर्थव्‍यवस्‍था की विकास प्रक्रिया में योगदान दे सकें।

भारतीय महिला बैंक की स्‍थापना महिलाओं की आर्थिक अधिकारिता की दिशा में एक छोटा सा कदम है। यह महिलाओं की अधिकारिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुझे विश्‍वास है कि यह बैंक महिलाओं के वित्‍तीय समावेश तथा उन्‍हें वित्‍तीय सेवाओं तक आसानी से पहुंच प्रदान करने का उद्देश्‍य पूरा करेगा। मुझे विश्‍वास है कि इस बैंक से समाज की वंचित वर्ग की महिलाओं को लाभ हासिल होगा। अधिकतर संख्‍या में महिलाओं द्वारा इस बैंक का संचालन करने से महिलाओं को चुनौतीपूर्ण कार्य करने का अवसर मिलेगा।

शुरूआत में बैंक की 7 शाखाएं होंगी जो मार्च 2014 तक बढ़कर 25 हो जाएंगी और ये शाखाएं ग्रामीण और शहरी इलाकों पर समान रूप से ध्‍यान देंगी। बैंक महिला उद्यमियों की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए विशेष उत्‍पाद पेश करेगा। यह उन लोगों के लिए आगे चुनौती भरा कार्य होगा, जिन्‍हें इस बैंक के संचालन की शुरूआती जिम्‍मेदारी और प्रारंभिक वर्षों में इसे चलाने की जिम्‍मेदारी दी गयी है। उनको दिए गए कार्य सार्थक हैं। मैं बैंक के प्रबंधन, इसके निदेशक मंडल, इसके अध्‍यक्ष सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

मैं महिलाओं के उज्‍जवल भविष्‍य तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी सरकारी की प्रतिबद्धता दोहराते हुए अपना भाषण समाप्‍त करता हूं।

धन्‍यवाद, जयहिन्‍द।