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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज यहां प्रोफेसर बी. एन. गोस्वामी के सम्मान में निबंधों की एक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक का नाम है- इंडियन पेंटिंग: थीम्स, हिस्ट्री एंड इंटरप्रिटेशन्स। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक वक्तव्य दिया जिसका अनुदित मूल पाठ निम्नलिखित है:-
''यह मेरे लिए बड़ा सम्मान का अवसर है कि मुझे प्रोफेसर ब्रिजेन्द्र गोस्वामी के सम्मान में निबंधों की इस पुस्तक के विमोचन का अवसर प्राप्त हुआ है। हालांकि कला के क्षेत्र में कुछ करने का मैं दावा नहीं करता लेकिन मैं इस बात का दावा करता हूँ कि मैं ब्रिजेन्द्र को कॉलेज के दिनों से जानता हूँ जब हम दोनों अमृतसर के हिन्दू कॉलेज के छात्र थे और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय के कॉलेज में थे। उसके बाद भी हम दोनों ने पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया। जैसा कि मैंने कहा है कि मैं ब्रिजेन्द्र को करीब साढ़े 6 दशकों से जानता हूँ और मैं यह भी कह सकता हूँ कि उनकी विद्वता उस समय भी आज के समान प्रभावशाली थी। प्रोफेसर गोस्वामी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा, आईएएस जिसमें उन्होंने सफलता प्राप्त की थी, को छोड़कर पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य अपनाया था।
उन दिनों में प्रतिष्ठित सेवा, आईएएस को छोड़ना अनसुनी बात थी, लेकिन प्रोफेसर गोस्वामी सदा दृढ़ विश्वास के व्यक्ति थे। उन्होंने जीवन के शुरू में अपने दिल की आवाज को स्पष्ट रूप से सुना था। और यह कला के जगत के लिए एक अच्छी बात थी।
आज हम उनका 80वां जन्मदिवस मनाने के लिए यहां एकत्र हुए हैं जो दोहरा लाभ है। इस दौरान प्रोफेसर गोस्वामी ने एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर लिया है। उनकी रचनाएं, विशेष रूप से भारतीय चित्रकला के क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावशाली रही हैं। उन्होंने कुल मिलाकर विश्व को, अमरीका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में शिक्षण सहित विभिन्न तरीकों से भारतीय कला की बारीकियों से अत्यधिक अवगत कराया है।
यह प्रोफेसर गोस्वामी के लिए उचित श्रेय की बात है कि समूचे विश्व से ख्याति प्राप्त विद्वान उनके सम्मान में प्रकाशित की जा रही इस विशेष पुस्तक इंडियन पेंटिंग: थीम्स, हिस्ट्री एंड इंटरप्रिटेशन्स में योगदान करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं।
मैं समझता हूँ कि भारतीय चित्रकला के विभिन्न पहलुओं पर नए दृष्टिकोण उजागर करने के अलावा इस पुस्तक में अनेक नए अनुसंधानों के बारे में जानकारी भी है। मुझे इस पुस्तक का विहंगम दृष्टिपात करने का अवसर प्राप्त हुआ है और इस विषय के बारे में मुझे बहुत कम ज्ञान होने के बावजूद यह पुस्तक यथार्थ रूप में प्रमाणिक और प्रभावशील है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक उन सभी के लिए अत्यधिक उपयोगी होगी जो भारतीय कला और खासकर भारतीय चित्रकला के विषय में रूचि रखते हैं।
इन शब्दों के साथ मैं अंत में इस शानदार पुस्तक के संपादकों और प्रकाशकों को बधाई देता हूँ। मैं प्रोफेसर ब्रिजेन्द्र गोस्वामी के लिए विद्वता, अच्छे स्वास्थ्य और प्रसन्नता के अनेक वर्षों की कामना करता हूँ और मैं उनकी धर्मपत्नी करूणा जी को भी बधाई देता हूँ जिन्होंने मुझे इस निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया और मैं सम्मान के लिए गौरवान्वित महसूस करता हूँ।''