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मेरा हमेशा यह विश्वास रहा है कि भारत और अमरीका अपरिहार्य भागीदार हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल और विशेषकर उस समय जबकि राष्ट्रपति ओबामा और मैंने एक साथ काम किया है, मेरा मानना है कि राष्ट्रपति ओबामा ने विविध क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मजबूत, विस्तृत और घनिष्ठ बनाने में उल्लेखनीय योगदान किया है।
जब मैं 2005 में अमरीका आया तो मैंने अमरीकी संसद को अपने संबोधन में कहा था कि भागीदारियां सिद्धांतों पर आधारित होती हैं और भागीदारियां व्यावहारिकता पर आधारित होती हैं। उस समय मैंने कहा था कि भारत-अमरीकी सहयोग के मामले में लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और व्यावहारिकता के प्रति हमारी वचनबद्धता, दोनों राष्ट्रों को मजबूत और स्थाई भागीदार बनाने में सफल रही है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि पिछले पांच वर्षों में राष्ट्रपति ओबामा के साथ मिलकर काम करते हुए इस प्रक्रिया को हर तरह से मजबूती मिली है।
भारत और अमरीका आपसी सहयोग के प्रति एक नई प्रतिबद्धता की भावना और उसे विभिन्न क्षेत्रों में और घनिष्ठ बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं। हम व्यापार, प्रौद्योगिकी में निवेश का दायरा बढ़ाने की दिशा में सहयोग कर रहे हैं। हमारा आपसी व्यापार आज एक खरब अमरीका डॉलर मूल्य पर पहुंच चुका है। भारत में अमरीकी निवेश 80 अरब डॉलर हो चुका है और वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद इसमें वृद्धि हो रही है।
व्यापार, प्रौद्योगिकी और निवेश के क्षेत्रों से बाहर हम ऊर्जा, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा में बचत संबंधी प्रौद्योगिकियों, रक्षा और सुरक्षा संबंधी सहयोग के अलावा खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान तथा आतंकवाद के खिलाफ उपायों जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाश कर रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में भारत को अमरीका के साथ की आवश्यकता है और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि राष्ट्रपति ओबामा ने दोनों देशों के बीच सहयोग की इस प्रक्रिया पर विशेष बल दिया है।
राष्ट्रपति ने मुझे बताया है कि अमरीका सीरिया और ईरान में किस तरह के उपाय कर रहा है; और मैं उनकी इस सोच और साहस के लिए उन्हें बधाई देता हूं कि उन्होंने कूटनीति को एक अवसर और प्रदान किया है। भारत उनकी इस पहल का पूरा समर्थन करता है क्योंकि 60 लाख भारतीय पश्चिम एशिया और मध्य-पूर्व क्षेत्र में रहते हैं। वे अपनी जीविका कमाते हैं। देश का भुगतान संतुलन बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए मध्य-पूर्व, ईरान और सीरिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने में किया गया कोई भी प्रयास वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए किया गया प्रयास समझा जाना चाहिए। यह सहयोग निश्चित रूप से उस क्षेत्र के भी हित में है, जिसमें भारत स्थित है।
हमने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों और आपसी व्यवहार के बारे में बातचीत की है। मैंने राष्ट्रपति ओबामा के समक्ष स्पष्ट किया है कि आतंकवाद का केन्द्र पाकिस्तान में होने के कारण हमें किस तरह की कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं। मैं प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने का उत्सुक हूं हालांकि हमारे उप-महाद्वीप में आतंकवाद की मौजूदगी के चलते पाकिस्तान के साथ संबंधों में बदलाव को लेकर मैं बहुत अधिक आशान्वित नहीं हूं।
कुल मिलाकर मैं यहां उन सब उपायों के लिए राष्ट्रपति ओबामा का आभार व्यक्त करता हंू जो उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग मजबूत, विस्तृत और गहन बनाने की दिशा में किए हैं।
मैंने राष्ट्रपति ओबामा के समक्ष स्पष्ट किया है कि भारत एक गरीब देश है। हमारा बुनियादी लक्ष्य लोगों के जीवन स्तर में सुधार, उन्हें घोर गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों से छुटकारा दिलाना है, जो आज भी हमारी आबादी के बड़े हिस्से पर दुष्प्रभाव डाल रही हैं। हम चाहते हैं कि इस संघर्ष में अमरीका हमारी मदद करे। मैं समझता हूं कि राष्ट्रपति ओबामा के रूप में अमरीका के पास एक ऐसा नेता है जो भली भांति समझता है कि भारत का विकास न केवल उसकी गरीबी दूर करने के लिए बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए भी जरूरी है।