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नई दिल्ली में आज आयोजित राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भावना पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री का मूल भाषण इस प्रकार है:-
"आज हम यहां दो प्रतिभाशाली व्यक्तियों और एक असाधारण संगठन को साम्प्रदायिक सद्भावना और राष्ट्रीय एकता में उनके योगदान के लिए सम्मानित करने के उद्देश्य से एकत्र हुए हैं। सबसे पहले मैं श्री खामलियाना, श्री मोहम्मद अब्दुल बारी तथा मैत्री और राष्ट्रीय एकता फाउन्डेशन को राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भावना पुरस्कार हासिल करने के लिए बधाई देता हूँ।
आज देश के कुछ भागों में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया है। यह बहुत दुख की बात है। हम सभी का सामूहिक दायित्व है कि हम अपने समाज में सद्भावना और मैत्री को बढ़ावा दें।
हमारा देश विविधताओं से भरा है। यह वही देश है जिसमें हम अपने स्वार्थ को भुलाकर सहिष्णुता और दूसरों का सम्मान करने की परंपरा पर चलने पर गर्व करते है। भारत की भूमि पर सदियों से विभिन्न धर्म एक साथ फले-फूले हैं और समृद्ध हुए हैं। हमारे यहां लोगों का धर्मनिरपेक्ष नजरिया है और मेरा मानना है कि केवल थोड़े से लोग हम लोगों के बीच फूट पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं। मेरा यह भी मानना है कि हम सभी का कर्त्तव्य है कि इन ताकतों से बचा जाए। मैं आज इस अवसर पर केन्द्र सरकार की इस प्रतिबद्धता को दोहराना चाहता हूँ कि वह देश में साम्प्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। हमने इस लक्ष्य को हासिल करने के तरीकों का पता लगाने के लिए 23 सितम्बर को राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक बुलाई है।
आज हम जिन दो व्यक्तियों को सम्मानित कर रहे हैं उन लोगों ने ऐसा अनुकरणीय कार्य किया है जिस पर हमें गर्व होता है। समाज में संगतता और सद्भावना को मजबूत बनाने में श्री खामलियाना ने विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य किया जिनमें नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों का पुनर्वास, एड्स की रोकथाम, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, अनाथालयों के लिए संसाधन जुटाना तथा राहत केन्द्र शामिल हैं। वह और उनका संगठन मिजोरम यूथ क्लब समर्पण भाव से समाज की सेवा करने वालों का जीता जागता उदाहरण हैं और उनकी अगुवाई हम सभी को प्रेरणा देती है।
श्री मोहम्मद अब्दुल बारी का जीवन नि:स्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करने वालों का एक अन्य उदाहरण है। उन्होंने अपने भद्रक जिले में संभावित गड़बड़ियों को रोकने के लिए सफलतापूर्वक कार्य किया और गड़बड़ी पैदा होने पर उन्हें रोकने में कामयाब रहे। उन्होंने रक्तदान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्री बारी को हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों से सम्मान मिला।
मैत्री और राष्ट्रीय एकता फाउन्डेशन साम्प्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए 28 वर्षों से कार्य कर रहा है। उसने युवाओं और छात्रों को शामिल करके विभिन्न गतिविधियों के जरिए इन उद्देश्यों को हासिल किया हैं। इसके कार्यों में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए शान्ति, सद्भावना और मैत्री के संदेश का प्रचार-प्रसार शामिल हैं। फाउन्डेशन ने सराहनीय कार्य किया है और वह इस पुरस्कार का पूरी तरह हकदार है।
अंत में मैं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए राष्ट्रीय फाउन्डेशन के कार्य की भी सराहना करता हूँ जिसने यह पुरस्कार शुरू किए। मेरा मानना है किउसने सही मायनों में उस उद्देश्य को हासिल कर लिया है जिसे लेकर 1992 में भारत सरकार ने इसकी स्थापना की थी।
मुझे खुशी हो रही है कि आज के पुरस्कारों के जरिए हमें श्री खामलियाना, श्री बारी तथा मैत्री और राष्ट्रीय एकता फाउन्डेशन के कार्यों के बारे में जानने का अवसर मिला है। हमें ऐसे और व्यक्तियों तथा संगठनों की जरूरत है। मैं एक बार फिर इन सभी को बधाई देता हूँ और भविष्य में उनकी सफलता की कामना करता हूँ।"