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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज चण्डीगढ़ के निकट धानस में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन-जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत स्लम पुनर्वास कार्यक्रम के तहत बनाए गए फ्लैटों का कब्जा लाभार्थियों को सौंपा। इस अवसर पर दिया गया प्रधानमंत्री का भाषण इस प्रकार है:-
"आज हम जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन की झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास योजना के अंतर्गत बनाए गए 8000 मकानों को लाभार्थियों को सौंपने के लिए इकट्ठा हुए हैं। जेएनएनयूआरएम को शुरू हुए करीब 8 साल हो चुके हैं। आज सबसे पहले मैं आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को इस महत्वपूर्ण मिशन को मेहनत और लगन से लागू करने के लिए बधाई देना चाहूंगा।
मैं चण्डीगढ़ प्रशासन और चण्डीगढ़ आवास बोर्ड को भी बधाई देता हूं कि उन्होंने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए इतनी बड़ी परियोजना को सफलतापूर्वक लागू किया है। मुझे बताया गया है कि इससे लगभग 40,000 लोगों को फायदा पहुंचेगा। यह निश्चय ही चण्डीगढ़ शहर को झुग्गी झोपड़ी मुक्त बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
साल 2006 में एक सर्वेक्षण के ज़रिए पहचाने गए सभी झुग्गी झोपड़ी निवासियों को आवास उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना आपके शहर में लागू की जा रही है। इसमें करीब 12000 मकान आने वाले समय में बनाए जाएंगे। मैं इस काम के लिए चंडीगढ़ प्रशासन को अपनी शुभकामनाएं भी देता हूं।
भारत में शहरीकरण की रफ्तार आने वाले वर्षों में बढती जाएगी। 1971 में हमारे देश की शहरी जनसंख्या करीब 11 करोड़ थी। 1971 से 2011 के बीच के 40 सालों में इसमें करीब 27 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई। यह अनुमान लगाया जाता है कि अगले 20 सालों में यह और तेज़ी से बढ़ेगी और इसमें करीब 22 करोड़ का और इज़ाफा होगा।
यह बढ़ोत्तरी शहरी बुनियादी ढांचे पर बहुत भारी दबाव डालेगी। हमारे शहरों में जो झुग्गी झोपड़ियां हैं वह इस बात का नमूना पेश करती हैं कि तेज़ शहरीकरण से किस प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
आज हमारे देश में स्लम में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग 10 करोड़ है और 2017 तक यह बढ़कर 10.4 करोड़ तक हो जाने का अनुमान लगाया गया है।
इस बड़ी समस्या को देखते हुए, केन्द्र सरकार ने शहरी ग़रीबों की आवासीय ज़रूरतों को पूरा करने में राज्यों को सहायता देने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली है, हालांकि आवास राज्य सरकारों का विषय है। 2005 से लेकर अब तक जेएनएनयूआरएम के तहत लगभग 15.6 लाख आवास मंज़ूर किए गए हैं, और इससे सामाजिक आवास और बुनियादी सुविधाओं में करीब 41 हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा का निवेश होने का अनुमान है।
झुग्गी झोपड़ियों और उनके फैलाव की समस्या को हल करने के लिए हमारी सरकार ने राजीव आवासीय योजना आरंभ की है। इसके अंतर्गत एक ' स्लम मुक्त भारत' की कल्पना की गई है, जिसमें हरेक नागरिक को एक अच्छा साफ-सुथरा आवास और बुनियादी सुविधाएं प्राप्त हो सकें, जिनसे उन्हे अपनी रोज़ी-रोटी में भी सहायता मिले। इस योजना के तहत केन्द्र सरकार आने वाले 4 वर्षों में शहरी ग़रीबों के लिए 10 लाख आवास उपलब्ध कराने की कोशिश करेगी।
शहरी ग़रीब लोगों को 5 लाख रुपए तक के आवासीय कर्ज पर ब्याज में 5% सब्सिडी दी जा रही है। 1 हजार करोड़ रुपए की पूंजी से एक ऋण जोखिम गारंटी कोष भी स्थापित किया गया है। इस फण्ड के ज़रिए शहरी ग़रीबों को बैंकों से कर्ज लेते समय समर्थक प्रतिभूति की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह योजना आने वाले 4 वर्षों में शहरी ग़रीबों के लिए अतिरिक्त 10 लाख आवासीय इकाईयों के निर्माण में मदद करेगी।
शहरी ग़रीबों के लिए आवासीय सुविधाओं के विकास में निज़ी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी हमने एक स्कीम और शुरू की है। इसमें निज़ी क्षेत्र की कंपनियों को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों और कम आय श्रेणी के लोगों के लिए आवास बनाने के लिए आर्थिक लाभ दिए जाते हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं चण्डीगढ़ भारत की आज़ादी के बाद बसाया जाने वाला पहला योजनाबद्ध शहर है। यह शहर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने वास्तुशिल्प और नगर डिजाइन के लिए बहुत प्रसिद्ध है। तमाम भारतीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में इस शहर की प्रतिव्यक्ति आमदनी भी सबसे अधिक है। 2010 में इसे भारत का सबसे "साफ-सुथरा" शहर घोषित किया गया था।
मुझे उम्मीद है कि चण्डीगढ़ बहुत जल्दी भारत का पहला झुग्गी झोपड़ी मुक्त शहर बनने का गौरव भी प्राप्त करेगा।
अंत में, मैं एक बार फिर आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय और चण्डीगढ़ प्रशासन को इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए बधाई देता हूं। मेरा मानना है कि इस तरह की महत्वपूर्ण योजनाएं हमारे देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के सफर में एक नई मिसाल बनेंगी।"