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लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सर्लिफ को इंदिरा गांधी शान्ति, निरस्त्रीकरण एवं विकास पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री का भाषण:-
''हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे बीच लाइबेरिया की राष्ट्रपति महामहिम एलेन जॉनसन सर्लिफ उपस्थित हैं। आज उन्हें वर्ष 2012 का इंदिरा गांधी शान्ति, निरस्त्रीकरण एवं विकास पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
जिस किसी को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, उसने मानव इतिहास में अपना-अपना अमिट छाप छोड़ा है, लोगों, समाजों और राष्ट्रों के जीवन को बेहतर बनाया है। इस वर्ष, जिसे पुरस्कृत किया जा रहा है वह न केवल इन मूल्यों के प्रति समर्पित हैं बल्कि श्रीमति इंदिरा गांधी की प्रतिमूर्ति हैं। श्रीमति गांधी जिन मुद्दों को लेकर संघर्ष करती रहीं, प्रेसिडेंट सर्लिफ भी उन्हीं मूल्यों को लेकर संघर्ष करती रहीं।
श्रीमति इंदिरा गांधी ने निरंतर यह कोशिश की कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और न्यायसंगत तरीके से जीवन चले। उनसे जब पूछा गया कि भारत वामपंथी है या दक्षिणपंथी, तो उनका जवाब था कि भारत सीधा खड़े होने वाला देश है। उन्होंने निरंतर प्रयास किए कि लोगों को बराबरी, न्यायसंगत और इज़्जत के साथ जीने के लिए उचित वातावरण मिले। समाज के सबसे पिछड़े लोगों को भी बराबर की सुविधाएं मिले। उन्होंने जिस प्रकार गरीबी, सुरक्षा तथा क्षेत्रीय अखंडता के लिए बीड़ा उठाया, वह आज भी हमारी स्मृति में है। श्रीमति इंदिरा गांधी हर समय सामाजिक तथा आर्थिक विकास को केन्द्र में रखकर सोच-विचार करती थीं।
मानव पर्यावरण के संरक्षण पर उनकी क्रांतिकारी सोच इसकी एक उल्लेखनीय मिसाल है।
इंदिराजी के लिए भारत की स्वाधीनता तथा विकास सभी विकासशील देशों की स्वाधीनता और विकास, विशेषकर अफ्रीका के देशों, से जुड़े हुए हैं। अफ्रीका महाद्वीप के देशों के नेताओं तथा आम लोगों के साथ उन्होंने मित्रता के पुल बांधे। पुराने समय में भारत के साथ अफ्रीका के देशों के बीच जो संबंध थे, उन्होंने उसे आधुनिक संदर्भ दिया। पुराने समय के यह संबंध व्यापार, संस्कृति, उपनिवेशकों के खिलाफ संग्राम तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी तथा श्री राजीव गांधी जैसे नेताओं द्वारा विकास और खुशहाली के जो सपने देखे गए थे वे दोनों देशों ने देखे। सभी का मानना था कि अफ्रीका की सफलता न केवल इनके अपने नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि पूरे विश्व के हित में है।
आज अफ्रीका के साथ भारत का सम्पर्क भावनाओं, मूल्यों और हितों पर आधारित हैं। एक महासागर हमारे दो देशों को अलग करता है लेकिन साझा नियति हमें आपस में है। हमारी साझेदारी स्वाभाविक है क्योंकि दोनों देशों के लोगों की चिंताएं और जीवन-मूल्य एक जैसे हैं। हमारी अपनी प्रगति और विकास के लिए और हमारी आकांक्षाओं को अंजाम देने के लिए यह स्वाभाविक है कि अफ्रीका की चुनौतियों के लिए हम संवेदनशील और उनकी सफलताओं पर खुश हों।
इसलिए महोदया, आपके यहां होने से और इस पुरस्कार को स्वीकार करने से आपने इस समारोह में चार चाँद लगा दिए हैं। महोदया, आपका जीवन हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि कोई भी उद्योगी व्यक्ति अगर किसी भी नैतिक मूल्य के लिए संघर्ष करता है तो वह हर प्रकार की चुनौती और प्रतिकूलता का सामना कर सकता है।
प्रेसिडेंट महोदया, आपकी जीवन यात्रा आकर्षक रही। अपने व्यावसायिक जीवन में आप सार्वजनिक, निजी तथा बहुपक्षीय संस्थाओं में सर्वोच्च पदों पर आसीन रहने के बाद, वर्षों आप राजनैतिक निर्वासन में रहीं लेकिन फिर भी अपने देशवासियों की समस्याओं को सुलझाने के प्रति समर्पित रहीं। इस तरह का जीवन केवल वे जी सकते हैं जिनमें हिम्मत हो, जिनका चरित्र सुदृढ हो।
प्रेसिडेन्ट महोदया, अफ्रीका की सबसे पहली निर्वाचित राष्ट्रपति बनकर आपने इतिहास रचा। उससे भी अहम बात यह है कि आपने अपने देश में दो दशक तक दमन की राजनीति, हिंसा और संघर्ष के बीच रहने के बाद शांति, स्थिरता, गणतंत्र और विकास के रास्ते पर अग्रसर होने के हालात बनाए। यही नहीं, आपने अपने पड़ोसी देशों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयास भी किए, क्योंकि आप इस बात को अच्छी तरह समझती हैं कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बने रहने से ही लाइबेरिया का भविष्य उज्जवल होगा। दो-दशकों के आपके संघर्ष से अफ्रीका महादेश में बदलाव के समय की चुनौतियों के बारे में अन्दाजा होता है। आपकी सफलता आपके देश, आसपास के क्षेत्र और पूरे महादेश की उम्मीदों और आशाओं को दर्शाती है। आपको जो सम्मान और पुरस्कार मिले हैं आप नि:संदेह उनके काबिल हैं। प्रेसिडेन्ट महोदया, किसी विवाद या युद्ध को रोकना स्थायी शांति कायम करने से कहीं आसान है। हिंसा और नाइंसाफी को रोकना आसान है लेकिन गणतंत्र को बनाए रखना कठिन होता है। आपने और आपके देश ने इन चुनौतियों का सामना बखूबी किया है हम आपको शुभकामनाएं देते हैं कि आने वाले समय में भी सफलता आपके कदम चूमें और आप इस रास्ते पर अडिग आगे बड़ती रहें।
प्रेसिडेन्ट महोदया, आज भारत आपके जीवन, आपके दृष्टिकोण और आपके प्रयासों की प्रशंसा कर रहा है। हम यह भी वादा करते हैं कि लाइबेरिया के शांतिपूर्ण विकास में हम आपका साथ देंगे। हम आपके और आपके देशवासियों के आभारी हैं कि आप भारतीयों और भारतीय उद्यमियों की बढ़ती संख्या की मेजबानी कर रही हैं। हमारे दोनों देश एक ऐसे सहयोग के प्रति प्रतिबद्ध हैं जो यह दर्शाता है कि बेशक आकार में फर्क हो और एक-दूसरे से बहुत दूर स्थित हों, लेकिन अगर साझा मूल्यों वाले देशों के बीच आपसी सम्मान हो, तो परस्पर लाभ और मानवता के हितों के लिए मिलकर काम किया जा सकता है।
मैं गणतंत्र और शांति को बढ़ावा देने वाली एक ऐसे व्यक्तित्व को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त करने के लिए बधाई देता हूं, जिन्होंने लाईबेरिया के स्वरूप को बदलने के साथ ही अफ्रीका को फिर उठ खड़े होने की प्रेरणा दी। प्रेसिडेन्ट महोदया, आप केवल महिलाओं को ही प्रेरित नहीं करतीं बल्कि उन सभी को प्रेरित करतीं हैं जो अपने देशवासियों को एक बेहतर जिन्दगी देने के लिए प्रयासरत हैं। मैं आपकी निरंतर सफलताओं के लिए शुभकामनाएं देता हूं ताकि आप अपने देशवासियों के साथ मिलकर लाइबेरिया को नई राह पर आगे ले जा सकें।''