भाषण [वापस जाएं]

July 27, 2013
नई दिल्ली


नए एनसीएइआर केंद्र की आधारशिला के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में नए राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएइआर) केंद्र की आधारशिला रखी। इस अवसर प्रधानमंत्री के संबोधन का अनुदित पाठ इस प्रकार है:-

"राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद के नए केंद्र की आधारशिला रखने के अवसर पर उपस्थित होकर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है। यह संस्थान हमारे लिए बहुत बड़ी परिसंपत्ति है तथा यह हमारा दायित्व है कि वे सब जिन्होंने यहां कार्य किया या इस शानदार संस्थान से संबंधित रहे उन्होंने अपने एनसीअइआर संस्थापक की दूरदृष्टि से कभी नजर नहीं फेरी। मुझे डॉ. पी.एस. लोकनाथन याद हैं जिन्होंने एशिया और सुदूर पूर्व के लिए आर्थिक आयोग के पहले महासचिव के रूप में काम करने के बाद इस महान संस्थान के पहले महानिदेशक का दायित्व संभाला था।

अर्थशास्त्र के अध्ययन का उद्देश्य अनियत और मुश्किल सवालों के नियत जवाब उपलब्ध कराना है लेकिन कभी-कभी अर्थशास्त्री को और व्यापक स्तर पर दुनिया को चेतावनी देना भी है कि चतुर सरकार द्वारा कैसे दिग्भ्रमित नहीं हो।

जब हमने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया तो हमारी प्रेरणा दार्शनिक की प्रेरणा -ज्ञान के लिए ज्ञान - नहीं थी बल्कि उसके लिए थी कि ज्ञान जिसे लाने में मदद कर सके। चिंतकों ने कहा है: आश्चर्य दर्शन शास्त्र की शुरुआत है लेकिन यह आश्चर्य नहीं है, सामाजिक उत्साह है जो नियत जीवन और मुख्यधारा की व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह करता है, जो आर्थिक विज्ञान की शुरुआत है।

मैं आशा करता हूं कि यह संस्थान न आदर्शों के प्रति आस्थावान बना रहेगा जो इसके संस्थापक के आदर्श थे। मैं निश्चय के साथ कहता हूं कि समय के साथ उद्देश्यपूर्ण, अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान की आवश्यकता कम नहीं हुई है, वास्तव में यह और बढ़ गई है। एनसीएइआर के पिछले अध्यक्ष और पूर्व सदस्यों ने सार्थक अनुसंधान किया। मुझे उम्मीद है कि यह भवन जो अब बनने वाला है, अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध कराएगा। इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर इस समारोह से जुड़कर अपनी खुशी जाहिर करता हूं।"