भाषण [वापस जाएं]

June 26, 2013
श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर


जम्‍मू-कश्‍मीर में बनिहाल-काजीगुंड रेल मार्ग को राष्‍ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री का संदेश

“आज हम इंजीनियरिंग के एक ऐसे आश्‍चर्यजनक नमूने को राष्‍ट्र और देश के नाम समर्पित करने जा रहे हैं जिसे रेलवे के तकनीकी विशेषज्ञों और कर्मचारियों ने सर्वोत्‍कृष्‍ट हिमालय से तराशा है। यह निसंदेह एक बहुत बड़ा यादगार अवसर है।

जम्मू-ऊधमपुर-कटरा-काज़ीगुण्ड-श्रीनगर-बारामूला रेल मार्ग, एक राष्‍ट्रीय स्‍वप्‍न है। आपमें से कुछ लोग जानते हैं कि ये सपना किसी और ने नहीं बल्कि महाराजा प्रताप सिंह ने आज से बहुत साल पहले 1898 में देखा था। तब से यह सपना तमाम मुश्किलों के रास्ते से गुज़रा है। इस वास्‍तविकता के बावजूद कि इस रेल संपर्क के लिए एक परियोजना को आज से काफी पहले यानी 1905 में ही मंजूरी मिल गई थी, इसे अभी तक पूरा नहीं किया जा सका। देश के बंटवारे के बाद जम्मू भी दूसरे भारतीय रेलवे नेटवर्क से कटकर रह गया था। 1971 में जम्मू को तो भारतीय रेलवे के बाकि नेटवर्क से एक ब्रॉडगेज लाइन के ज़रिए पठानकोट के रास्ते से जोड़ा था, ये श्रीमती इंदि‍रा गांधी का एक सपना था जो उन्‍होंने पूरा कि‍या लेकिन, जम्मू के उत्‍तर की ओर की लाइन पर कोई काम नहीं हो सका।

आख़िरकार श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने इस बेहद महत्‍वपूर्ण लाइन पर 1983 में काम शुरू करवाया। हम तब से अब तक एक लम्बा सफर तय कर चुके हैं और मुझे बहुत खुशी है कि हमारे पुराने सपने को यथार्थ रूप देने का काम बहुत अच्छे ढंग से संपूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है। इस महत्‍वपूर्ण और निसंदेह खूबसूरत रेलवे प्रोजेक्ट के बहुत से हिस्से पूरे हो चुके हैं। मैं स्‍वयं सन् 2005 में इस रेलवे संपर्क के जम्मू-ऊधमपुर हिस्से के उद्घाटन से जुड़ा रहा हूं। तत्‍पश्‍चात 2008 में अनन्तनाग और माज़होम के बीच रेल संपर्क कायम हो गया। माज़होम-बारामूला भाग 2009 में पूरा हुआ और इसके बाद काज़ीगुण्ड-बारामूला के बीच 119 किलोमीटर लम्‍बी रेलवे लाइन बिछाई गई।

आज शुरू हो रहे बनिहाल-काज़ीगुण्ड रेल संपर्क को संपूर्णता तक पहुंचाने में तमाम लोगों ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और विपरीत मौसम की चुनौतियां का सामना करते हुए जबरदस्‍त मेहनत की है। पीरपंजाल में 11 किलोमीटर लंबी सुरंग, जो भारत में सबसे लंबी सुरंग है, को मुकम्मल करने में 7 साल लगे। ये सिर्फ इंजीनियरिंग का एक आश्‍चर्यजनक उदाहरण ही नहीं है बल्कि इसका महत्‍व कहीं अधिक है। पूरे साल इस रेल संपर्क की सुविधा कश्मीर घाटी के लोगों को बाकी हिन्दुस्तान में होने वाले आर्थिक विकास से जोड़ कर उन्हें बहुत फायदा पहुंचाएगी। रेल संपर्क की ये सुविधा जम्मू-कश्मीर में होने वाले आर्थिक कामों को हि‍न्‍दुस्‍तान की तरक्की का एक अटूट हिस्सा बना सकेगी। ये रेल संपर्क खुशहाली और रोज़गार उपलब्‍ध कराएगा। जम्मू व कश्मीर में बनने वाले सामान और चीज़ें देश के बाकी हिस्से में पहुंचेंगी और इसी तरह देश के दूसरे हिस्सों में बनने वाले सामान यहां लाए जा सकेंगे। आम लोगों के आने-जाने और व्‍यापार का सिलसिला रफ्तार पकड़ेगा। देश के इस सबसे खूबसूरत राज्‍य में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा जिसके परिणामस्‍वरूप दूसरे संसाधनों का विकास होगा। अब कश्मीर घाटी के दोनों तरफ के लोगों को पूरे साल आपस में जोड़े रखने वाला एक किफायती माध्‍यम स्‍थापित हो जाएगा।

कश्मीर घाटी की रेलवे लाइन अभी तक एक द्वीप की तरह है। जैसे-जैसे यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ेगा, हम इस लाइन को हिन्दुस्तान के बाकी नेटवर्क से जोड़ते जाएंगे। कटरा-ऊधमपुर सेक्शन पर काम चंद महीनों में पूरा हो जाएगा और इसके बाद सिर्फ ऊधमपुर और बनिहाल के बीच के हिस्से पर काम बाकी रहेगा, जो सबसे चुनौती भरा है। 359 मीटर ऊंचा चनाब पुल दुनिया में मेहराबदार रेलवे पुलों में सबसे ऊंचा रेलवे पुल होगा। मैं रेलवे विभाग से कहना चाहता हूं कि वो इस हिस्से के काम को जितना जल्दी हो सके पूरा करने की भरपूर कोशि‍श करें ताकि हम कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से हर मौसम में इस्तेमाल के लायक यातायात की व्‍यवस्‍था से जोड़ सकें।

जिस रेल संपर्क का आज उद्घाटन किया जा रहा है वो जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए केन्‍द्रीय यूपीए सरकार की कोशिशों का एक हिस्सा है। आपको याद होगा कि 2004 में जब मैं यहां दौरे पर आया था, तो मैंने जम्मू-कश्मीर के लिए नए रूप की एक परियोजना का ऐलान किया था। मुझे आपको ये बताते हुए खास खुशी हो रही है कि नए रूप की इस परियोजना में शामिल 67 प्रोजेक्टों में से, 34 पूरे हो चुके हैं और बाकी के क्रियान्‍वयन के सिलसिले में अच्छी शुरूआत हो रही है। इस सिलसिले में 7215 करोड़ रुपए की रकम जारी की गई है। पूरे किए गए चंद महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं में, राज्‍य में 1 हजार माइक्रो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं का क्रियान्‍वयन, ख़ानाबल-पहलगांव और नरबल-तंगमर्ग सड़कों को बनाना, 14 नए डिग्री कालेजों को शुरू करना, 9 नए आई टीआई संस्‍थानों को बनाना, श्रीनगर हवाई अड्डे पर यात्री और बुनियादी ढांचे की नई सुविधाएं देना और इस हवाई अड्डे को एक अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डे की शक्ल देना, राज्‍य पुलिस में 5 नए भारत रिजर्व बटालियन का गठन, बारह पर्यटन विकास प्राधिकरण का गठन आदि शामिल हैं।

इसके अलावा, करीब 1 हजार करोड़ रुपए की लागत की परियोजना, जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों की विशेष ज़रूरतें पूरी करने के लिए, लागू किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर के नौज़वानों को कौशल की ट्रेनिंग देने और उन्हें यथोचित रोज़गार देने के लिए लागू की जा रही अनुशंसाओं और उड़ान योजनाओं के अच्‍छे नतीजे सामने आने लगे हैं। जम्मू कश्मीर में विशेष छात्रवृत्ति की योजना राज्‍य के नौज़वानों को प्रोत्‍साहित करने के साथ उन्हें इस योग्‍य बना रही है कि वो देश के दूसरे हिस्सों में मौजूद शैक्षिक सुविधाओं का लाभ हासिल कर सकें।

मैं आपको विश्‍वास दि‍लाना चाहता हूं कि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान की केन्‍द्रीय सरकार जम्‍मू और कश्‍मीर के विकास को आगे बढ़ाने के लि‍ए हर ओर से सहयोग देगी। अंत में, मैं भारतीय रेलवे को इस बेहद कठिन काम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हार्दिक बधाई देता हूं। साथ ही साथ मैं जम्‍मू और कश्‍मीर के लोगों को भी इस अवसर पर बधाई देता हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि काम के बाकी हिस्से को निर्धारित समय में जल्‍द से जल्‍द पूरा किया जाएगा। ताकि जम्‍मू और कश्मीर के लोग साल के बारह महीनों के दौरान मौसम के विरुद्ध होने के ख़तरे से मुक्‍त होकर इस रेल संपर्क से लाभान्वित हो सकें।”