भाषण [वापस जाएं]

June 5, 2013
नई दिल्ली


आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन

आज नई दिल्ली में आयोजित आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के संबोधन का मूल आलेख नीचे दिया जा रहा है:-

"आंतरिक सुरक्षा पर इस बहुत महत्वपूर्ण वार्षिक सम्मेलन में मैं राज्यों से आए हुए सभी मुख्यमंत्रियों और माननीय प्रतिभागियों का स्वागत करता हूं।

हमारी यह बैठक कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं और उनके सुरक्षा कार्मिकों पर वामपंथी उग्रवादियों द्वारा किए गए अमानवीय आक्रमण की पृष्ठभूमि में हो रही है। इस तरह की हिंसक कार्रवाई का हमारे लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। केन्द्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए कि, ऐसी बातें दोबारा न हों, सहयोग कर रहे हैं। मैंने नोट किया है कि इस सम्मेलन की कार्यसूची में एक विशेष अधिवेशन वामपंथी उग्रवादियों के बारे में रखा गया है। मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस अवसर का फायदा उठाएं और कुछ ठोस सुझाव दें, ताकि नक्सलवाद के खतरे से निपटा जा सके।

मैं इस सिलसिले में कहना चाहूंगा कि नक्सलवाद एक चुनौती है जिसे हम कुछ समय से काफी गंभीरता से ले रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए हमने दोहरी रणनीति अपनाई है। पहली है समयपूर्व कार्रवाई करना और माओवादी उग्रवादियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई का संचालन करना। हमें इसके साथ ही विकास और सुशासन पर भी ध्यान देना है, जो वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इस दोहरी रणनीति के अंग के रूप में अनेक उपाय किए गए हैं। इनमें सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना, अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 34 जिलों में सड़क संपर्क बेहतर बनाना और प्रभावित इलाकों में विभिन्न विकास स्कीमों के बारे में मापदंडों में उदारता बरतना और 82 चुनिंदा आदिवासी और पिछड़े जिलों में एकीकृत कार्य योजना लागू करना।

हमें कुछ सफलती भी मिली है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान वामपंथी उग्रवादी ग्रुपों की कार्रवाई की घटनाओं और इनके कारण मौतों में काफी कमी आई है। साथ ही, बड़ी संख्या में नक्सलवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया है। लेकिन समय-समय पर पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में हुई घटना की तरह हिंसक आक्रमण होते रहते हैं। इन बड़े हमलों का सफाया करने के लिए केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करने की जरूरत है।

केन्द्र सरकार ने अपनी तरफ से इस सिलसिले में कदम उठाना शुरू कर दिया है। इस कवायद में मंत्रिमंडल सचिव, गृह सचिव और खुद मेरा कार्यालय शामिल रहे हैं। इससे वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ हमारी रक्षात्मक और आक्रमण संबंधी क्षमताएं मजबूत हुई हैं। मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकारें भी हमारे साथ पूरी तरह से सहयोग करेंगी, जिससे हमारे प्रयासों को और धार मिलेगी।

इस सिलसिले में मैं दोहरी रणनीति पर जोर देना चाहूंगा जिस पर हम चलते रहे हैं और जिसे ज्यादा मजबूत बनाने की जरूरत है। ऐसे समय जब हम अपने प्रयासों को सुदृढ़ बना रहे हैं, माओवादी हिंसा द्वारा प्रभावित इलाकों में हमारे सुरक्षा और खुफिया तंत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है और हमें यह सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग शांति और सुरक्षा के माहौल में रह सकें और हमारे विकास प्रयासों से पूरा लाभ उठाएं।

नक्सलवाद की चुनौती से निपटने की रणनीति पर एक व्यापक राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सरकार ने इस महीने की 10 तारीख को सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई है।

वर्ष 2012 में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला। सीमा पार से घुसपैठ रोकने की हमारी रणनीति जम्मू-कश्मीर में खुफिया कार्रवाई जवाबी आतंकवाद पर आधारित रही है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2012 में 2011 के मुकाबले आतंकवादी हिंसा में एक तिहाई कमी आई। असलियत यह है कि वर्ष 2012 में आतंकवादी हिंसा के मापदंडों में दो दशक पहले की आतंकवादी गतिविधियों में उछाल की तुलना में कमी आई। 2012 में राज्य में जितने पर्यटक और तीर्थयात्री आए, वह एक रिकार्ड है और उससे राज्य की सुरक्षा स्थिति में सुधार की भी झलक मिलती है।

जम्मू-कश्मीर में अनेक मूल सुविधा परियोजनाओं का कार्यान्वयन भी ठीक प्रगति कर रहा है। हिमायत और उड़ान स्कीमों का उद्देश्य युवा वर्ग को अतिरिक्त लाभकर रोजगार प्रदान करना है। इसे भी सफलता मिली है। इन घटनाक्रमों का स्वागत किया जाना चाहिए।

पूर्वोत्तर भारत में भी सुरक्षा की स्थिति जटिल बनी हुई है। वहां अशांति, जबरन धन वसूली और आंदोलन सत्ता विरोधियों द्वारा किए जा रहे हैं। लेकिन अनेक असंतुष्ट समूहों और अलगाववादी ग्रुपों के साथ संवाद में काफी प्रगति हुई है। असम में दीमा हसाओ के दीमा हालम दावोगाह के दोनों गुटों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। फरवरी, 2013 में तीन मेतेई विद्रोही समूहों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। नेशनल सोशलिस्ट कॉउन्सिल ऑफ नागालैंड के साथ भी वार्ता जारी है।

गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) का गठन अगस्‍त 2012 में गोरखालैंड क्षेत्र के प्रशासन तथा उसका समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए एक स्‍वायतशासी संस्‍था के रूप में किया गया था। केंद्र जीटीए क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने की परियोजनाओं पर तीन साल तक दो सौ करोड़ रूपये सालाना वित्‍तीय सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है।

हम उन सभी गुटों और संगठनों के साथ बातचीत करके किसी संतोषजनक नतीजे तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हिंसा का रास्‍ता छोड़कर हमारे संविधान के ढांचे के तहत समस्‍याएं सुलझाना चाहते हैं। हम पूर्वोत्‍तर राज्‍यों को उनकी कानून और व्‍यवस्‍था लागू करने की क्षमताओं को बढ़ावा देने की सहायता जारी रखने के लिए भी समानरूप से प्रतिबद्ध हैं, ताकि पूर्वोत्‍तर के लोग लोकतंत्र के और विकास के फायदों का आनंद ले सकें।

मैं इस अवसर पर आपका ध्‍यान हमारी आंतरिक सुरक्षा से जुड़े दो मुद्दों की ओर दिलाना चाहता हूं जिन पर विशेष रूप से ध्‍यान देने की जरूरत है। पहला, इससे पहले वाले वर्ष की तुलना में साल 2012 के दौरान सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की घटनाओं की संख्‍या और उनकी तीव्रता बढ़ी है। मुझे पक्‍का यकीन है कि हम सभी इस बात पर सहमत होंगे कि हमारे विकास और समृद्धि को बरकरार रखने के लिए देश में सांप्रदायिक सदभाव बनाये रखना बेहद आवश्‍यक है। यह बेहद आवश्‍यक है कि हम सब प्रकार की सांप्रदायिक ताकतों से सख्‍ती से निपटे। इसके साथ ही हमें अपने समाज के अल्‍पसंख्‍यकों और कमजोर वर्गों विशेषकर अनुसूचित जा‍ति और अनुसूचित जनजाति की विशेष जरूरतों को पहचानने और उन्‍हें पूरा करने की भी जरूरत है।

दूसरा मामला जिस पर हमें सामूहिक कार्रवाई करने की जरूरत है, वह है महिलाओं और बच्‍चों के साथ होने वाले अपराध। हमने ऐसे अपराधों के लिए कड़ा दंड देने तथा पूछताछ और मुकदमें के दौरान पीडि़तों के साथ संवेदनशील व्‍यवहार करने के लिए हाल ही में कई कानूनों को मूर्तरूप दिया है। इनमें आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013, कार्यस्‍थल पर महिलाओं के साथ यौन प्रताड़ना (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 और यौन अपराधों से बच्‍चों का संरक्षण अधिनियम 2012, शामिल हैं।

हमें महिलाओं और बच्‍चों की विशेषकर शहरों के संदर्भ में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाना होगा। ऐसे तंत्रों में पुलिसकर्मियों को संवदेनशील बनाना, विशेषकर उस स्‍तर तक, जहां वे पीडि़तों के संपर्क में आते हैं, समर्पित हेल्‍प लाइन्‍स बनाना। कार्यस्‍थल पर सुरक्षा के उपाय आदि शामिल हैं। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप इस बात का पता लगाएं कि ये नतीजे बेहतर ढंग से कैसे प्राप्‍त किये जा सकते हैं।

राज्‍य पुलिस बलों का क्षमता निर्माण और आधुनिकीकरण आतंकवाद से लेकर शहर की व्‍यवस्‍था करने जैसी आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए नितांत आवश्‍यक है। केंद्र राज्‍यों की इस दिशा में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्‍य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के काम की अवधि करीब बारह हजार करोड़ रूपये की लागत से पाँच वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है। कोलकाता, मुंबई, चेन्‍नई, बंगलुरू, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े महानगरों की व्‍यवस्‍था के लिए चार सौ 33 करोड़ रूपये अलग से मुहैया कराये गये हैं।

हम सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत बांग्‍लादेश सीमा पर बाड़ लगाने तथा अतिरिक्‍त सीमा चौकियां बनाने, भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-भूटान के साथ सड़कों का निर्माण और मरम्‍मत करने, साथ ही साथ भारत-पाकिस्‍तान और भारत-नेपाल सीमाओं पर एकीकृत सीमा चौकियों के विकास पर पहले से कहीं ज्‍यादा ध्यान और प्राथमिकता दी जा रही है। हम सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम तथा तटीय सुरक्षा योजना के चरण-2 का कार्यान्‍वयन जारी रखे हुए हैं।

आतंकवाद तथा सुरक्षा की अन्‍य चुनौतियों, चाहें वह आतंरिक हों या बाहरी, उनसे निपटने के लिए केंद्रीय और राज्‍य एजेंसियों द्वारा समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। आतंरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों के इससे पहले के सभी सम्‍मेलनों में इस पर जोर दिया गया है। इस जरूरत के महत्‍व को देखते हुए मैं आप सभी से एक बार फिर अनुरोध करता हूं कि केंद्र और राज्‍यों के बीच तालमेल बेहतर बनाने के तरीके तलाशिये।

यह भी समझा जाता है कि अब वक्‍त आ गया है कि आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा और वामपंथी उग्रवाद की चुनौतियों से समग्र रूप से निपटा जाए। मुझे लगता है कि हम में से हरेक को इन मसलों पर पूरी तरह वस्‍तुनिष्‍ठ रवैया अपनाना होगा और राष्ट्र के हित में काम करते हुए संकुचित राजनीतिक और विचाराधारा संबंधी मतभेदों से ऊपर उठना होगा। मैं सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी वर्गों से अपील करता हूं कि वे इन गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए कारगर तरीके और साधन तलाशने हेतु सब मिलकर काम करें।

इस सम्‍मेलन की सफलता की कामना के साथ मैं अपनी बात खत्‍म करता हूं। देश की आंतरिक सुरक्षा को और सशक्‍त बनाने के बारे में आपके बहुमूल्‍य विचारों का मुझे इंतजार रहेगा।"