भाषण [वापस जाएं]

May 30, 2013
बैंकॉक, थाइलैंड


थाइलैंड यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य

मुझे थाइलैंड की पहली द्विपक्षीय यात्रा पर बैंकॉक में बहुत प्रसन्‍नता हो रही है। मैं मैडम प्रधानमंत्री के आमंत्रण और उनके उदारतापूर्ण सत्‍कार के लिए उन्‍हें धन्‍यवाद देना चाहता हूं। मैं उन्‍हें हमारे संबंधों में गति‍प्रदान करने के लिए भी धन्‍यवाद देना चाहता हूं खासतौर पर जनवरी, 2012 में गणतंत्र दिवस पर हमारी सम्‍मानित मुख्‍य अतिथि के तौर पर उनकी यात्रा से हमारे संबंधों में तेजी आई है। हमने अभी-अभी द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक आम हित के मुद्दों पर बहुत उपयोगी, उत्‍पादक और संतोषप्रद वार्ता पूरी की है। हम उच्‍चस्‍तर की नियमित बातचीत को बहाल रखने पर सहमत हुए हैं। आने वाले महीनों में भारत के रक्षामंत्री, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री तथा विदेश मंत्री बैंकॉक की यात्रा करेंगे।

भारत, थाइलैंड के साथ संबंधों को बहुत महत्‍व देता है। हम पड़ोसी हैं तथा सदियों पुरानी संस्‍कृति और सभ्‍यता से जुडे हैं। हमारा सहयोग विभिन्‍न क्षेत्रों में बढ़ रहा है। यह रक्षा और सुरक्षा, व्‍यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, संस्‍कृति, पर्यटन इत्‍यादि के क्षेत्र में है और प्रत्‍येक क्षेत्र में सहयोग की व्‍यापक संभावना है।

भारत के दक्षिण पूर्व और पूर्व एशिया के देशों के साथ संपर्कों के लिए भी थाइलैंड स्प्रिंगबोर्ड की तरह है तथा यह हमारी पूर्व की ओर देखो नीति तथा आसियान के साथ साझेदारी के लिए प्रमुख संपर्क है। हम समुद्री सुरक्षा, क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण तथा आसियान का केन्‍द्र में रखते हुए एक खुले, संतुलित और समावेशी क्षेत्रीय स्‍थापत्‍य के उदभव के लिए थाइलैंड को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखते हैं।

हालांकि हम दोनों देशों के बीच एक मजबूत आर्थिक सामंजस्‍य है लेकिन हमारे व्‍यापार और निवेश को अभी भी पूर्ण क्षमता हासिल करना बाकी है। हमने अपने मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे समग्र और संतुलित भारत -थाइलैंड मुक्‍त व्‍यापार समझौता जल्‍द पूरा करने के लिए कुछ बकाया मुद्दों का जल्‍द समाधान करें।

हम भारत और थाई कंपनियों की एक दूसरे के बाजारों में बढ़ी हुई उपस्थिति देखना चाहते हैं खासतौर पर जब दोनों देश अगले पाँच वर्षों में ढांचागत क्षेत्र में निवेश करने की योजना बना रहे हैं।

हमारी बढ़ते हुए सुरक्षा सहयोग को आज एक प्रमुख बल मिला। दो दशकों की बातचीत के बाद प्रत्‍यर्पण संधि हो पाई। धनशोधन निषेध के क्षेत्र में सहयोग ज्ञापन से आतंकवाद, संगठित अपराध, नशीले पदार्थें की तस्‍करी तथा नकली सामानों की रोकथाम के क्षेत्र में हमारी समान प्रतिबद्धता का मजबूत संदेश प्रमुखता से उजागर हुआ।

जैसा कि आपने देखा आज सहयोग के जिन समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए गए उनमें हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान, शिक्षा, संस्‍कृति और दोनों देशों के लोगों का आदान - प्रदान पर बहुत जोर दे रहे हैं। इससे दोनों देशों को लाभ होगा और कई तरह से दोनों देशों के लोग संपर्क में आएंगे। हम जल्‍द ही बैंकॉक में बौद्ध कला पर एक बडी प्रदर्शनी आयोजित करने वाले हैं।

हम आसियान क्षेत्रीय फोरम और आसियान संबंधी अन्‍य फोरमों, पूर्व एशिया शिखर सम्‍मेलन, बिम्‍सटेक और मेकॉंग गंगा सहयोग पहल में परामर्श और सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं। मैं आसियान के साथ भारत की महत्‍वपूर्ण साझेदारी और बढे हुए संबंधों में प्रधानमंत्री शिनावात्रा की भारत के प्रति उदार समर्थन की सराहना करता हूं। मैं इस क्षेत्र में शांति तथा साझे की समृद्धि के लिए भारत - आसियान साझेदारी को एक शक्ति बनाने की भारत की प्रतिबद्धता को फिर दोहराता हूं।

पवित्र बोधी बालवृक्ष जिसे इस यात्रा के दौरान महामहिम नरेश को प्रदान करके भारत के लोग अत्‍यंत सम्‍मानित हुए हैं, हमारे ऐतिहासिक संपर्कों का फिर से स्‍मरण दिलाता है। यह हमारे पुष्पित संबंधों को प्रदर्शित करता है। मुझे विश्‍वास है कि आज हुई हमारी वार्ता से भारत और थाइलैंड के संबंधों में नए अर्थ और सामग्री जुडेंगे।