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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह आज मुंबई में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड-सेबी के रजत जयंती समारोह में शामिल हुए। वहां उन्होंने समारोह में शामिल होने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि सेबी से उनका विशेष संबंध है क्योंकि जब वे भारत के वित्त मंत्री थे तब सेबी को संवैधानिक दर्जा मिला था। उन्होंने कहा कि तब से सेबी की विकास यात्रा पर मेरी पूरी नजर रही है और मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं यह संस्थान अपनी उपलब्धियों पर गौरवान्वित हो सकता है। मैं देश की इस अनूठी संस्था के विकास में शामिल सभी लोगों को बधाई देता हूं।
सेबी ने पूंजी बाजार का सफलतापूर्वक आधुनिकिकरण किया है और हमारी अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को दूनिया की अहम परिपाटी से जोड़ा है। यह गर्व की बात है कि भारतीय शेयर बाजार तकनीक और दैनिक व्यापार के संदर्भ में आज की तारीख में दूनिया के अच्छे बाजारों में शामिल है। यह काफी हद तक सेबी की साहसिक कोशिशों का नतीजा है। शेयर बाजारों में निवेशकों के हितों की रक्षा सेबी का मूल धर्म रहा है। इस बात से हमें संतोष मिलता है कि पिछले 25 वर्षों में भारतीय शेयर बाजार में कई महत्वूपूर्ण सुधार हुए हैं।
शेयर पत्रों के शीघ्र नकदीकरण से शेयर प्रमाण पत्रों के चोरी हो जाने या उसमें घपले की समस्या खत्म हो गई है। भारत दुनिया के उन प्रथम देशों में शामिल है जहां विशाल स्क्रिन आधारित ट्रेडिंग होती है जिसके अद्यतन आकंड़े देशभर में निवेशकों को लगातार मिलते रहते हैं। कम्प्यूटरिकृत ट्रेडिंग की वजह से शेयरों के भाव बढ़ाने और इसमें छल-कपट की आशंका कम हो गई है।
आवश्यक सूचनाओं की उपलब्धता की वजह से आज निवेशक पहले से कहीं ज्यादा सशक्त हुए हैं। आईपीओ का जारी होना एक महत्वपूर्ण सुधार है जिसके उद्देश्य खुदरा निवेशकों की रक्षा है। प्रमोटरों द्वारा आईपीओ के जरिए शेयरों की ब्रिकी की ये नई विधि काफी सफल रही है। हाल में बाजार में निवेश बढाने के लिए खुदरा निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिनमें राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना भी शामिल हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार के इन कदमों से खुदरा निवेशक पूंजी बाजार का रूख करेंगे, वित्तीय मध्यस्थता बढेगी हमारी वित्तीय व्यवस्था विस्तार लेगी और वित्तीय संपत्ति के पक्ष में बचतों का बंटवारा सकारात्मक रूप से प्रभावित होगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले दशक में जो उच्च विकास दर देखी गई उसके पीछे बचत और निवेश दर की अधिकता कारण रही। वर्ष 2000-01 में सकल घेरलू बचत जीडीपी के 23.7 फीसदी से बढकर वर्ष 2007-08 में 36.8 फीसदी तक पहुंची लेकिन वर्ष 2011-12 में यह घटकर 30.8 फीसदी पर आ गई जिसे हमें वापस पहले के स्तर पर लाना है। जब पूंजी बाजार के काम-काज में प्रभावी मध्यस्थता रहेगी तब बचत और निवेश की ऊची दरें काफी उत्पादक होंगी।
मैं पिछले 25 वर्षों के दौरान सेबी के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना करता हूं लेकिन मैं यह उम्मीद करने का साहस करता हूं कि बेहतरी आना अभी बाकी है मैं सेबी अध्यक्ष श्री सिन्हा और उनके सभी सहयोगियों सहित उन लोगों को भी जो किसी न किसी रूप में इस उत्पादक संस्था के साथ जुड़े रहे हों, को शुभकामनाएं देता हूं।