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आज नई दिल्ली में लोक सेवा दिवस समारोह में प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के उद्बोधन का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-
आठवें लोक सेवा दिवस पर विचार-विमर्श शुरू करने के अवसर पर आज आपके बीच उपस्थित होकर मुझे खुशी हो रही है। समारोह के शुभारंभ के अवसर पर उद्बोधन में, मैं आपके एजेंडे के बारे में कुछ बिंदुओं को रखना चाहता हूं। मैं कुछ ऐसे मुद्दों पर अपने विचार भी रखना चाहता हूं जो एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं लेकिन जो मेरे विचार में मौजूदा मुश्किल दौर में हमारी लोक सेवाओं के कामकाज के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।
लेकिन सबसे पहले मैं उन होनहार लोक सेवकों को बधाई देता हूं जिनके काम को आज हमने सम्मानित किया है। भारत की तीव्र प्रगति विविध क्षेत्रों, खासकर लोक प्रशासन के क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता की हमारी क्षमता पर महत्वपूर्ण रूप से निर्भर है। मुझे खुशी है कि हमने इन लोक सेवकों के नवाचार और उद्यमिता को मान्यता दी है जो उन्होंने विभिन्न समस्याओं का प्रायोगिक और व्यावहारिक समाधान तलाशने में दिखाई है। हमें इस प्रकार की ज्यादा रचनात्मकता की जरूरत है। हमें अपने देश में ऐसा महौल बनाने की ज़रूरत है जहां रचनात्मकता, उद्यमिता और उद्यम को प्रोत्साहन दिया जाए तथा उसे प्रचुर पुरस्कृत किया जाए। इस विषय पर, मैं प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग की भी प्रशंसा करना चाहता हूं जिसने हमारे देश के विभिन्न भागों से सुशासन की 14 पहल का संकलन थिंकिंग आउट ऑफ बॉक्स के नाम से किया है।
इस अवसर पर मैं समस्याओं को नूतन तरीके से हल करने में लोक सेवाओं की सामूहिक क्षमता के मुद्दे तथा इस मामले में भी दायरे से बाहर निकलकर सोचने के मुद्दे का भी उल्लेख करना चाहूंगा। यह मोटेतौर पर इस सम्मेलन के एजेंडे में पहला विषय है। लोक सेवाओं को अनेक आयामों (जिनमें से कुछ का उल्लेख यहां वितरित किए गए पर्चे में है) में भविष्य की अपेक्षाओं के अनुकूल बनाने के लिए प्रयास करने की ज़रूरत है। हालांकि मैं इस मुद्दे पर कुछ टिप्पणी करने तक ही खुद को सीमित रखूंगा।
पिछले दो दशकों में अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों में सरकार की भूमिका बहुत बदल गई है। हम पहले के दौर की कमांड और नियंत्रित अर्थव्यवस्था से आगे निकल आए हैं। आज सुशासन सुनिश्चित करना और अर्थव्यवस्था का प्रबंध करना बेहद जटिल कार्य हैं। यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि लोक सेवाओं के पास हमारे समक्ष इस मुख्य चुनौती, इस जटिलता से निपटने के लिए अपेक्षित कौशल हो। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि इस चुनौती से निपटने के रास्तों और तौर तरीकों पर विचार कीजिए।
एक और मुद्दा यह है कि लोक सेवाएं भविष्य के लिए कैसे अनुकूल बनाई जाएं। हम शायद दुनिया की बेहतरीन परिपाटियों से यह सीख सकते हैं कि ऐसी प्रणाली कैसे तैयार की जाए।
मैं समझता हूं कि आप जनता को सेवाएं प्रदान करने की प्रणाली में मौजूदा चुनौतियों से निपटने के रास्तों और माध्यमों पर भी चर्चा करेंगे। जनता को बुनियादी सेवाएं सुलभ कराना किसी भी आधुनिक सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक है। हमारे नागरिकों को किफायती दर पर अच्छी शिक्षा एवं अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता इत्यादि की ज़रूरत है। यह सब सेवाएं उपलब्ध कराने में समाज के उन तबकों की विशेष देखभाल करने की ज़रूरत है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तथा वंचित हैं। हमें सह समझना चाहिए कि अपेक्षित मानक तक कुछ बुनियादी जन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए हमें बहुत काम करना है। मुझे खुशी है कि हमने कानूनी ढांचा बनाने में प्रगति की है जिससे इस क्षेत्र में सुधार लाने में मदद मिलेगी। सामान एवं सेवाओं को समयबद्ध ढंग से हासिल करने का नागरिकों का अधिकार और शिकायत समाधान विधेयक 2011 संसद के समक्ष विचाराधीन हैं। जब यह विधेयक पारित हो जाएंगे तो नागरिकों को निर्धारित सामान एवं सेवाएं समयबद्ध ढंग से हासिल करने का अधिकार मिल जाएगा।
हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसने और सार्वजनिक प्राधिकरणों के कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इस संबंध में कई कानूनी पहल की गई हैं । सूचना का अधिकार कानून, लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक तथा भ्रष्टाचार उजागर करने वालों के लिए संरक्षण विधेयक कुछ ऐसे ही प्रयास हैं।
हालांकि भारत जैसे विविध और जटिल देश में हमेशा विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों में जन सेवाएं प्रदान करने में सुधार के लिए मानक समाधान उपलब्ध नहीं कराए जा सकते। इन समाधानों में अकसर क्षेत्र विशेष के लिए समाधान शामिल होंगे तथा वह अनेक स्थानीय कारकों पर आधारित होंगे।
हमें न सिर्फ जन सेवाएं प्रदान करने बल्कि सामान्य प्रशासन में भी नई और आधुनिक प्रौद्योगिकी का पूरा इस्तेमाल करने की भी ज़रूरत है। इस तरह के इस्तेमाल का एक अच्छा उदाहरण आधार कार्यक्रम है जो देश के सभी नागरिकों को विशिष्ट पहचान उपलब्ध कराने के लिए चलाया जा रहा है तथा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण स्कीम आधार नंबर पर आधारित है जिसे हमारी सरकार ने कुछ महीने पहले शुरू किया है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण स्कीम अब देश के 121 जिलों में चलाई जा रही है। इससे सब्सिडी बेहतर ढंग से प्रदान की जा सकेगी तथा छात्रवृत्ति एवं पेंशन जैसे लाभ प्रदान करने में देरी कम होगी। इससे बर्बादी और चोरी या हेरा-फेरी पर लगाम लगेगी जिसके फलस्वरूप ज्यादा वित्तीय समावेश होगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और ग्रामीण क्षेत्रों के निकट रोजगार के अवसरों का विस्तार व्यापक और जटिल काम है। मुझे खुशी है कि 11 वीं पंचवर्षीय योजना में हमने रिकार्ड कृषि वृद्धि दर हासिल की है। हमें इस गति को बनाए रखने की ज़रूरत है। कृषि क्षेत्र को हमारे बेहतरीन और होनहार लोक सेवकों की ज़रूरत है।
हमें ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रो में अपने युवकों और युवतियों में कौशल विकसित करने के लिए ठोस प्रयास भी करने चाहिए। यह हमारे संभावित जनांकिकीय फायदे से लाभ उठाने का एकमात्र रास्ता है। हमारी सरकार ने कौशल विकास का व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है और मुझे आशा है उसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। हमारी फ्लैगशिप महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी स्कीम को भी मजबूती से लागू करने की आवश्यकता है जो बहुत सफल रही है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास करते समय भी हमें भारत की आर्थिक वृद्धि को दिमाग में रखना चाहिए क्योंकि ग्रामीण इलाकों से बहुत से लोग शहरी क्षेत्रों में आएंगे। इसलिए शहरीकरण का प्रबंधन ऐसा क्षेत्र है जहां हमारे सभी योजना बनाने वालों को सबसे अधिक ध्यान देन की ज़रूरत है। अनुमान है कि 20 वर्ष में हमारी आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा शहरी क्षेत्रों में रहने लगेगा। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारे कस्बे और शहर अपने निवासियों को उच्च स्तर की जन सेवाएं उपलब्ध कराएं।
अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं तीन विषयों पर बात करना चाहता हूं जो मेरी नज़र में महत्वपूर्ण हैं। यह व्यापक रूप से स्वीकृत है कि एक देश के रूप में हमें इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में बहुत सुधार करना है। दिसंबर में दिल्ली में खौफनाक सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद यह मसले तेजी से चर्चा में आए थे। कुछ दिन पहले मासूम बच्ची के साथ वीभत्स हिंसा ने हमें एक बार फिर हमारे समाज की इस भ्रष्टता को जड़ से उखाड़ने के लिए मिलकर काम करने की ज़रूरत याद दिला दी है। दोनों घटनाओं के बाद विरोध प्रदर्शनों ने भी ऐसी घटनाओं के बाद जन आक्रोश से निपटने में संवेदनशीलता दिखाने की आवश्कता रेखांकित की है।
हमारी सरकार ने महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों से ज्यादा कारगर ढंग से निपटने में समर्थ होने के लिए सख्त कानून बनाने में तेजी से काम किया है। हम सब जिम्मेदार नागरिक हैं और अपने देश में महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में योगदान करने का हमारा विशेष दायित्व है। हमें इस दिशा में व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन चलाने की ज़रूरत है। सरकार का नेतृत्व करने वालों के रूप में यह परिणाम सुनिश्चित करने में आपकी और भी बड़ी जिम्मेदारी है।
दूसरा विषय हमारी अर्थव्यवस्था से जुड़ा है जो मुश्किल दौर से गुजर रही है। जैसा मैं पहले ही कह चुका हूं, मुझे विश्वास है कि अर्थव्यवस्था सिर्फ अस्थायी मंदी से गुजर रही है और वह जल्दी ही शायद तेजी के पथ पर लौट आएगी। मंदी के कारणों का उल्लेख किए बिना मैं मौजूदा कठिन हालात से निकलने में मदद के लिए सभी क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देता हूं। हमारी सरकार ने औद्योगिक एवं ढांचागत परियोजनाओं के लिए निवेश पर मंत्रिमंडल समिति बनाने की बड़ी पहल की है। इस समिति ने अच्छी प्रगति की है। लेकिन खासतौर से ऐसा माहौल बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है जो उद्यमों और निवेश के अनुकूल हो।
एक और क्षेत्र है राष्ट्रीय आपदाओं का प्रबंधन। भू-जलवायु दशाओं के बीच हमारा देश बाढ़, सूखे, चक्रवात, भूकंप और चट्टाने खिसकने जैसी आपदाओं का सामना करता रहा है। जलवायु परिवर्तन से ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता और बढ़ने की आशंका है। आपदाओं से निपटने में हमें बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए तथा इसके लिए लंबे समय तक विशेष कौशल हासिल करने की ज़रूरत है। आपदा होने पर राहत और पुनर्वास की ज़रूरत होती है लेकिन हमें आपदा से पहले बचाव, उपशमन और तैयारियों पर भी बराबर ध्यान देना चाहिए।
मुझे विश्वास है कि लोक सेवकों का हमारे समाज और हमारे देश के निर्माण में बहुत सार्थक योगदान है चाहे वे वरिष्ठ हों या कोई भी काम करते हों। आज इस अवसर पर आपको अपनी भूमिका और प्रदर्शन, अपनी सफलता और अपनी नाकामियों पर विचार करने का मौका मिला है। मुझे आशा है कि आप भारत की जनता की सेवा में अपनी जिम्मेदारी निभाने के ज्यादा प्रभावी रास्ते तलाशने के लिए इस मौके का पूरा सदुपयोग करेंगे। मैं आपके इस प्रयास के लिए आपको शुभकामना देता हूं।