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देवियो और सज्जनों, हमें उम्मीद है कि संसद का आगामी सत्र बहुत रचनात्मक रहेगा। हमारे देशवासी संसद से यही उम्मीद भी करते हैं। जिस समय हम यहां इकट्ठे हो रहे हैं, उस समय पूरी दुनिया की आर्थिक गतिविधियों में मंदी का माहौल है, जिसका हमारे देश पर भी असर पड़ा है।
अब हमारे सामने यह एक चुनौती है कि हम ये सुनिश्चित करने के लिए भरोसेमंद कार्रवाई करें कि इस विश्वव्यापी मंदी से हम कम से कम प्रभावित हों। इस संदर्भ में जब हम संसद के समक्ष अपनी वित्तीय गतिविधियां चलायें, तो यह देश की क्षमता के लिए महत्वपूर्ण बात हो सकती है कि हम उन कठिन चुनौतियों का सामना कर पायें। इस संबंध में हम सदन के सभी वर्गों से सहयोग की आशा करते हैं। जहां तक हमारा सवाल है, हम संसद के सभी वर्गो के साथ रचनात्मक और उत्पादक रवैया अपनायेंगे और उम्मीद करेंगे कि संसद के सदस्यों के बीच उत्तरदायित्वपूर्ण चर्चा हो।