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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में आयाजित एक कार्यक्रम के अवसर पर वर्ष 2011 के लिए एस.के. सिंह पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेश सेवा में विशिष्टता, दक्षता और नवीनता के लिए एसके सिंह पुरस्कार प्रदान करने पर उन्हें प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रख्यात बहुआयामी जन सेवक और विशिष्ट कौशल से युक्त राजनयिक स्वर्गीय श्री एसके सिंह की याद में प्रारंभ किए गए इस पुरस्कार के लिए वे श्रीमती मंजू सिंह और उनके परिवार का आभार प्रकट करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री एसके सिंह के साथ उनकी मित्रता 1950 के दशक में प्रारंभ हुई थी और यह उनके दिवंगत होने तक अनवरत जारी रही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात पर कोई शक नहीं है कि यह पुरस्कार युवा भारतीय विदेश सेवा अधिकारियों की पीढ़ी को श्री एसके सिंह के पद चिन्हों का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार के माध्यम से यह भी पता चलता है कि दुनियाभर में हमारे राजनयिक जटिल और मुश्किल परिस्थितियों में भी अहम भूमिका अदा करते हैं।
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इस पुरस्कार के लिए भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी श्री तन्मय लाल को चुने जाने पर देश के लिए उनकी बेहतरीन सेवाओं हेतु अपनी शुभकामनाएं दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने संपूर्ण करियर के दौरान द्विपीक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों के क्षेत्र में अपना शानदार योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे राजनयिकों को दुनिया में एक दूसरे पर बढ़ती हुई निर्भरता के मामले में अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्यों और देश के हितों को सुरक्षित रखते हुए वैश्विक स्तर की वार्ताओं पर जोर देना चाहिए और देश की सुरक्षा, स्थिरता और शांति को बनाए रखने के प्रयासों में अहम भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनयिकों को देश के आर्थिक विकास, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा एवं देश की सहायता के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी ताकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभिनव और शिक्षा के नए आयामों को प्राप्त किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय विदेश सेवा ने हमेशा से कूटनीति के क्षेत्र में बेहतर प्रशिक्षित अधिकारियों का सृजन किया है लेकिन इसके बावजूद भी तेजी से बदलती दुनिया और जटिल मसलों के समाधान के लिए बौद्धिक नवीनीकरण को जारी रखना चाहिए। संबोधन के अंत में, प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि विदेश सेवा अधिकारियों की वर्तमान पीढ़ी अपनी वचनबद्धता, समर्पण और कौशल से देश के समक्ष इस सदी में आने वाली चुनौतियों से निपटने और अवसरों का उपयोग करने के मामले में देश की मदद करना जारी रखेगी।