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कोच्चि में 11वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के आज के संबोधन का आलेख निम्नलिखित है:-
इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर अपने मुख्य अतिथि, मॉरीशस के राष्ट्रपति महामहिम राजकेश्वर पुरूयाग का स्वागत करना मेरे लिए सम्मान की बात है।
राष्ट्रपति पुरूयाग का सार्वजनिक सेवा का चार दशकों का रिकार्ड है। उन्हें इस दौरान अनेक उपब्धियां मिली हैं जो दुनिया भर के भारतवंशियों के लिए गौरव की बात है। आज आप केरल में उपस्थित हैं जिससे हमें भारत और मॉरीशस के बीच के भाषाई और सांस्कृतिक संबंधों की याद आती है। हमारे दोनों देशों के तट एक ही महासागर के जल से सिंचित हो रहे हैं और हमारे दोनों ही देश हिंदमहासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि के हित में काम करने में विश्वास करते है। इसलिए मैं महामहिम, आपका आभारी हूं कि आपने इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस पर मुख्य अतिथि बनने का हमारा आमंत्रण स्वीकार किया। हम मॉरीशस की सरकार के इसलिए भी आभारी हैं कि उसने क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन को अक्तूबर, 2012 पोर्ट लुई में आयोजित करने का समर्थन किया था।
इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस की मेजबानी करने का केरल से अच्छा कोई और विकल्प नहीं था।
प्रकृति केरल पर बहुत मेहरबान रही है। यहां के लोगों की आतिथेय वृत्ति और सांस्कृतिक समृद्धि इसे ‘भगवान का खुद का प्रदेश’ बनाती है। केरल के समुद्री तट पूरी दुनिया के वाणिज्य, संस्कृति और धर्म की धाराओं से प्राचीन काल से ही संबद्ध रहे हैं। यह वही राज्य है जो जुड़ाइज्म, ईसाई और इस्लाम धर्मों से सबसे पहले संपर्क में आया। इस राज्य के निवासियों के समुद्र यात्रा पर निकलने और खाड़ी देशों तथा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में चीन के साथ परंपरागत संबंधों का इतिहास रहा है। इस प्रफुल्ल राज्य के लोग आज सिर्फ दुनिया भर में अपनी उपस्थिति ही दर्ज नहीं करा रहे हैं, बल्कि उन्होंने अनेक सामाजिक उपलब्धियां भी प्राप्त की हैं। इसलिए आज मुझे इस बात की खुशी है कि केरल इस वर्ष के भारतीय प्रवासी दिवस की मेजबानी कर रहा है। इसके लिए मैं केरल के माननीय मुख्यमंत्री और अपने मित्र ऊमन चांडी को धन्यवाद देता हूं।
युग-युगों से प्रवासियों और भारत के बीच संबंध अनेक रूप धारण करते रहे हैं। इन्हीं का एक रूप है भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान। करीब 100 साल पहले लगभग आज ही के दिन महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन में भारत का नेतृत्व करने भारत लौटे थे। हम इसी साल गदर आंदोलन की शताब्दी मना रहे हैं जो दूर-दराज के केलीफोर्निया में एक चिंगारी की तरह प्रज्वल्लित होकर सामने आया था और जिसके बाद भारत में स्वतंत्रता संघर्ष शुरू हुआ। हम इस दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष डाक टिकट जारी करने के अलावा सान फ्रांससिस्को में स्मारक के तौर पर एक संग्रहालय और पुस्तकालय खोलेंगे जिसमें इस महान राष्ट्रीय आंदोलन के नायकगण गदर बाबाओं की प्रतिमाएं स्थापित की जायेंगी।
स्वतंत्रता के बाद प्रवासी भारतीय भारत और अपने निवास के देशों के बीच मित्रता और सहयोग के लिए सेतु के रूप में काम करते रहे हैं। इस बात पर विचार किए बिना कि वे चाहे कोई सफल व्यावसायिक, व्यापारी अथवा परिवार के साथ अपने भविष्य के निर्माण के लिए कठोर परिश्रम करने वाले श्रमिक हों, वे हमेशा दुनिया में भारत की विरासत और प्रगति के सबसे प्रभावशाली प्रतिनिधि बने हुए हैं।
सरकार में रहते हुए हम लोग इन प्रवासियों के भारत के साथ संबंधों को घनिष्ठ बनाने और आगे बढ़ाने के लिए वह सब कुछ करेंगे जो संभव है। उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हुए हम उनकी यात्रा व्यापार और शिक्षा को सुविधाजनक और आसान बनायेंगे ताकि वे भारत के आर्थिक विकास में समुचित अधिकारों के साथ शामिल हो सकें।
जैसे-जैसे भारतीय प्रवासी समुदाय दुनिया में ज्यादा से ज्यादा अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है, उन पर भी भारत की आर्थिक कठिनाइयों, संघर्षों, सामाजिक अशांति और बिना सोचे समझे नफरत के कारण किये जाने वाले अपराधों का असर पड़ रहा है। आज दुनिया के कई भागों में उथल-पुथल मची हुई है और वहां पर भारतीय समुदाय की सुरक्षा की चिंता हमें है। आप लोग जिस देश में रहते हैं वहां की सरकारों द्वारा इस आश्वासन से हमें चैन मिलता है कि वे प्रवासियों की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय किए जायेंगे। हमारा मानना है कि सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी उन्हीं मेजबान देशों की हैं लेकिन जब भी जरूरत होगी, जैसे कि पिछले साल लीबिया में पड़ गई थी, हमारी सरकार आपको तुरंत और जरूरी सहायता देगी।
निजी सुरक्षा के अलावा हम अपने प्रवासी भाइयों के सामाजिक और भावनात्मक कल्याण को लेकर भी चिंतित हैं। इसलिए हमने अपने श्रमिकों के लिए बीमा योजना शुरू की है, अपने दूतावासों में मुश्किल में पड़े भारतीय नागरिकों के लिए कल्याण कोष स्थापित किया है और विदेशों में भारतीय महिलाओं की मदद के लिए तंत्र तैयार किया है।
विदेशों में हमारे श्रमिकों, व्यापारियों और व्यावसायिकों के अधिकारों और हितों की रक्षा और प्रोत्साहन विभिन्न देशों में स्थित हमारे दूतावासों का प्रमुख कर्तव्य है। इस संबंध में हमने अनेक देशों के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते और सामाजिक सुरक्षा संबंधी समझौते किए हैं जो इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस का विषय रखा गया है भारतीय विकास गाथा में प्रवासियों का सहयोग । यह उपयुक्त ही है क्योंकि हाल ही में भारत की विकास गाथा और सामान्य सामाजिक और सुशासन मुद्दों पर चिंता जाहिर की गई है।
पिछले चार वर्षों से यह बात हमारे मस्तिष्क में महत्वपूर्ण बनी हुई है कि विश्व अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से दो प्रमुख वित्तीय संकटों जूझना है। ये दोनों ही विकसित विश्व से निकले हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था भी इनके प्रभावों से अछूती नहीं रही है। एक शानदार औसत वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर –जो 2004 -10 के बीच 8 प्रतिशत रही, 2011-12 में घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई। चालू वर्ष के दौरान यह दर 6 प्रतिशत से नीचे जा सकती है।
लेकिन, घरेलू कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद, हमें पूरा भरोसा है कि हमारे आर्थिक मूलतंत्र जिनके पीछे हमारी सोची-समझी नीतियां हैं, के चलते अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार वाले मार्ग पर लौट सकेगी। यह हमारे लिए जरूरी है क्योंकि हम, खासतौर से युवा भारत की महत्वकांक्षाओं को जल्दी पूरी करने के लिए एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था चाहते हैं और हम चाहते हैं कि हमारा आर्थिक विकास अधिक समावेशी और सतत बने। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने हाल ही में घरेलू और विदेशी निवेश बढ़ाने, परियोजना कार्यान्वयन तेज करने और पूंजी बाजार तथा कर व्यवस्था में सुधार लाने के अनेक उपाय किए हैं।
हाल के वर्षों में भारत के बारे में जो सकारात्मक गाथाएं चली हैं, उनमें शामिल हैं गरीबी हटाने की दर में तेजी लाना, सबसे गरीब राज्यों की विकास दर बढ़ाना और उत्पादकता में सुधार लाना तथा कृषि क्षेत्र में वास्तविक मजदूरी में वृद्धि करना। ये महत्वपूर्ण हैं खासतौर से इस बात को देखते हुए कि हमारी आबादी का 65 प्रतिशत भाग अब भी खेती पर निर्भर है।
इस वर्ष 1 जनवरी को हमने लाभार्थियों को डायरेक्ट ट्रांसफर के जरिए हित लाभ सीधे पहुंचाने के लिए एक छोटा कदम उठाया। इसके लिए हमने डिजिटल आधार प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया। यह हमारे विकास कार्यक्रमों को अधिक समावेशी बनाने और सरकारी कार्यक्रमों को कुशल तथा उनमें रिसाव की संभावना को कई प्रकार से कम करने के प्रयासों का एक उदाहरण है। हमने अभी जल्दी ही 12वीं पंचवर्षीय योजना और वार्षिक विकास दर 8 प्रतिशत प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके लिए हमें बहुत बड़ी मात्रा में संसाधनों, संस्थानों की नीतियों में सुधारों, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नये मॉडलों और सामुदायिक भागीदारी तथा विज्ञान और टेक्नॉलोजी चालित नवाचारों की जरूरत पड़ेगी। अब, जबकि हम ग्रामीण क्षेत्रों पर लगातार ध्यान दे रहे हैं और हमें निरंतर ऐसा करते भी रहना है, हमें अपने नगरों और कस्बों के विस्तार पर ज्यादा ध्यान देना होगा। मूल सुविधाओं, शिक्षा, ऊर्जा, जल और कृषि क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए नये तौर-तरीकों की जरूरत पड़ेगी।
आज भारत के निवेश योग्य संसाधन बहुत बड़े है और इसका विशाल बाजार, शक्ति और स्थिरता हमारा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, साथ ही, हम अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और तकनीकी भागीदारी को अपनी विकास नीति का अटूट अंग समझते हैं। यह हमारी राजनीतिक और आर्थिक नीति का हमारे क्षेत्र में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महत्वपूर्ण उद्देश्य बन चुका है।
हमें पता है कि हमने भले ही आर्थिक प्रगति की हो और बहुत बड़े पैमाने पर पिछले दो वर्षों में आर्थिक, सामाजिक परिवर्तन किए हों, लेकिन हमारा देश गरीबी, समानता, निरंतरता और अवसरों के मामले में चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमारे समाज के महिलाओं समेत कमजोर वर्ग लगातार तेजी से बदलते भारत में समस्याओं और पूर्वाग्रहों का सामना कर रहे हैं।
लेकिन देशभर में नवाचार, उद्यमिता और नागरिकों तथा समुदायों द्वारा नेतृत्व की असंख्य सफलता गाथाएं मौजूद हैं जो हमारे लाखों करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने और आशा का संचार करने में सक्षम हैं। जनता सशक्तीकृत और जागरूक हो रही है। वह पारदर्शी भागीदारी वाली स्वच्छ और कुशल सरकार के प्रति जागरूक है और इसके चलते उसकी उम्मीदें बहुत बढ़ गई हैं। सरकार भी किसी घटना को एक अवसर मानकर कानून संबंधी और विनियामक संरचनाओं में सुधार लाने का पक्का इरादा कर चुकी है। मुझे शक नहीं कि हमारे नागरिकों और खासतौर से युवा वर्ग की ऊर्जा और उत्साह देश में सकारात्मक परिवर्तन लाने की एक ताकत बन सकेगी।
मुझे यह भी विश्वास है कि देश के सामाजिक, आर्थिक विकास में हमारे प्रवासी भारतीय भी एक महत्वपूर्ण भागीदार होंगे। आप पूँजीनिवेश करना चाहें, अथवा अपने ज्ञान, टेक्नोलॉजी और कुशलता का इस्तेमाल करते हुए कोई उद्यम खोलना चाहें, भले ही किसी शहर या दूरदराज के गांव में ऐसा करना चाहें, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपके प्रयासों को निरंतर समर्थन मिलता रहेगा।
अंत में हम आपको भरोसा दिलाते हैं कि जैसे-जैसे भारत का विकास होता जा रहा है, हमारे विदेशी सरोकार बढ़ रहे हैं और हम अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत ऊंची जिम्मेदारियां संभालते जा रहे हैं, प्रवासी भारतीय हमारे और नजदीक आते जायेंगे और हमारे लिए बाहरी दुनिया के साथ महत्वपूर्ण संपर्क साबित होंगे।
इन शब्दों के साथ मैं आप सबको और आपके परिजनों को बहुत सुखद और समृद्धिपूर्ण नववर्ष की कामना करता हूं।