भाषण [वापस जाएं]

January 7, 2013
कोच्चि, केरल


प्रधानमंत्री का भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड कोच्चि के एकीकृत शोधन विस्‍तार परियोजना के शिलान्‍यास पर संबोधन

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का बीपीसीएल कोच्चि के एकीकृत शोधन विस्‍तार परियोजना के आज शिलान्‍यास के अवसर पर भाषण का पाठ इस प्रकार है:-

मुझे इस बात की खुशी है कि कोच्चि तेल शोधक एकीकृत विस्‍तार परियोजना के शुरूआती समारोह में भाग ले रहा हूं। कोच्चि तेल शोधक को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1966 मे राष्‍ट्र को समर्पित किया था। तब से इसके कामकाज रिकार्ड शानदार बना हुआ है।

इस परियोजना के पूरा होने पर कोच्चि तेल शोधक की क्षमता बढ़कर 9.5 से 15.5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष हो जाएगी। इससे किरोसीन, एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति बढ़ेगी और यह देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्‍वपूर्ण योगदान होगा।

भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन की 20 हजार करोड़ की इस विस्‍तार परियोजना का करल की अर्थव्‍यवस्‍था पर बहुआयामी प्रभाव पड़ेगा। इससे स्‍थानीय अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा के साथ रोजगार के अतिरिक्‍त अवसर मिलेंगे। यह तेल शोधक प्रौ़द्योगिकी और प्रचालन में विश्‍व स्‍तर का होगा। हमारी यूपीए सरकार ने केरल के विकास को हमेशा महत्‍व दिया। पिछले आठ वर्षों में राज्‍य में कई परियोजना शुरू की गई, जिससे राज्‍य की अ‍र्थव्‍यवस्‍था को मजबूती मिलेगी।

त्‍वरित औद्योगिक और आर्थिक विकास के लिए उचित मूल्‍य पर ऊर्जा की आपूर्ति आवश्‍यक है। तेल और गैस से आगामी कई वर्षों तक ऊर्जा की आवश्‍यकताएं पूरी होंगी। सरकार तेल और गैस की खोज में कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे इस बात की खुशी है कि बीपीसीएल ने मोजाम्बिक और ब्राजील में भी इस दिशा में काफी प्रगति की है।

हम सभी के लिए यह गौरव की बात है कि 215 मिलियन मी‍ट्रिक टन शोधन क्षमता के साथ भारत न केवल पेट्रोलियम उत्‍पादों की मांग पूरी करने में आत्‍मनिर्भर है, बल्कि भारी मात्रा में निर्यात भी कर रहा है। वर्ष 2011-12 में 2,85,000 करोड़ रूपए के 60.8 मिलियन मीट्रिक टन पेट्रोलियम उत्‍पादों का निर्यात हुआ। तेल उद्योग के देश में वाहन ईंधनों के उन्‍नयन का कार्य 30,000 करोड़ रूपए के निवेश से शुरू किया है।

राष्‍ट्रीय विकास परिषद की बेठक में 27 दिसंबर को मैंने कहा था कि देश में ऊर्जा की कीमतें बहुत कम हैं। कोयला, पेट्रोलियम उत्‍पादों और प्राकृतिक गैस की कीमतें अंतरराष्‍ट्रीय कीमतों से कम हैं। विकास के लक्ष्‍य की पूर्ति के लिए ऊर्जा कीमतों को चरणबद्ध रूप में विश्‍वस्‍तरीय कीमतों के बराबर लाना होगा, जिसके लिए केंद्र और राज्‍य सरकारों को जनता को जागरूक करना होगा।