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कॉर्पोरेट उत्कृष्टता के लिए इकोनॉमिक टाइम्स पुरस्कार समारोह में आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। उत्कृष्ट योगदान करने वाले गतिशील और रचनात्मक उद्यमियों की पहचान और उनकी प्रशंसा के लिए यह वार्षिक आयोजन मूल्यवान अवसर प्रदान करता है।
मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं, और आशा करता हूं कि वे आने वाले वर्षों में दूसरों को भी इसी प्रकार अभिनव और सृजनशील बनने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
छह साल पहले मैं मुंबई में इकोनॉमिक टाइम्स पुरस्कार समारोह में शामिल हुआ था, उस अवसर पर आर्थिक सुधारों की 15 वीं वर्षगांठ मनाई गई थी। अर्थव्यवस्था फल-फूल रहा था और मुंबई में उत्साह भरपूर था। दो अंकों की विकास दर प्राप्त करना आसान लग रहा था। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और एफआईआई का प्रवाह तेजी से बढ़ रहा था। सरकारी राजस्व में वृद्धि हो रही थी और राजकोषीय घाटा कम हो रहा था। आशा की किरणें सर्वव्यापी थी।
उसके बाद समय बदल गया। वैश्विक अर्थव्यवस्था अब कठिन दौर से गुजर रहा है। दुनिया में सर्वत्र आर्थिक विकास दर धीमा है। वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य में कब तक आर्थिक विकास दर रफ्तार पकड़ेगी - इस बारे में काफी अनिश्चितता है।
इन घटनाओं से भारतीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुआ है। हमारा निर्यात घटा है और कई कारणों से राजकोषीय घाटा में वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रह गई और चालू वित्त वर्ष में यह केवल 6 प्रतिशत के आसपास ही रहने की उम्मीद है। इससे निवेशक का मनोबल गिरा है। कुछ तबकों में यह संदेह भी व्यक्त किया जा रहा है कि भारत के आर्थिक विकास की कहानी अपनी राह से भटक जाएगी।
अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव जारी है और आर्थिक मंदी से बाजार का मनोबल गिरता है। हालांकि, ऐसी मंदी से सीख लेकर अगर हम अर्थव्यवस्था की उन कमजोरियों की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें जो स्वस्थ अर्थव्यवस्था के दौरान छिपी रहती हैं तो बेहतर होगा। भारत की आर्थिक मंदी के लिए आंशिक रूप से वैश्विक मंदी जिम्मेदार है, लेकिन घरेलू कारक भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार है।
हम वैश्विक मंदी के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। हालांकि, मुझे दृड़ विश्वास है कि हम निश्चित रूप से दुनिया के लिए अलग कुछ कर सकते हैं, अगर हम अपने ही घर में आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए सकारात्मक पहल करें।
लेकिन हम अपनी कमजोरियों को ठीक कर सकते हैं और हम करेंगे भी, और हम आर्थिक विकास और देश में रोजगार के लिए नए अवसर सृजित करेंगे। यह हमारे लिए चुनौती है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आने वाले महीनों में यह हमारी नीति का केंद्र-बिंदु रहेगा।
हाल के सप्ताहों में, सरकार ने इन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर कई कदम उठाए हैं। हमारे उद्देश्य इस प्रकार हैं:-
(क) सरकारी वित्तीयन को स्थिर करना और राजकोषीय घाटा को अधिक प्रबंधनीय बनाना ताकि उच्च विकास दर प्राप्त किया जा सके और उसे जारी रखा जा सके;
(ख) इस विकास प्रक्रिया को सामाजिक और क्षेत्रीय दृष्टि से और अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाना। समावेशी विकास के प्रमुख स्तंभों में रोजगार के नए अवसर और मुद्रास्फीति की निम्न दर शामिल हैं;
(ग) विशेष रूप से बुनियादी ढांचों के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ-साथ सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना;
(घ) भारत में निवेश के अवसर तलाशने वाले दुनिया भर के निवेशकों के पास उपलब्ध पूंजी और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना;
इस प्रयोजन से, हमने पिछले कुछ महीनों में कई कदम उठाए हैं। हमारे कई आलोचकों ने इन में से कुछ कदमों को राजनैतिक रूप से असंभव करार दिया। हमने इसका सामना किया और हमने वही किया जो हमें सही प्रतीत हुआ। निस्संदेह, इस मामले में और अधिक करने की जरूरत है।
निवेशकों के विश्वास को बहाल करने के लिए राजकोषीय घाटा को नियंत्रण में लाना अनिवार्य है। वित्त मंत्री ने इस साल के लिए अनुमानित 5.3% के राजकोषीय घाटे को वर्ष 2016-17 तक 3% के स्तर पर लाने के लिए रोडमैप की घोषणा की है। हाल ही में ईंधन सब्सिडी को कम करने के लिए की गई कार्रवाई को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। ये निर्णय राजनीतिक रूप से कठिन निर्णय थे, लेकिन हमने वही किया जो सही है। इस तरह के कदम का गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में हमें भी चिंता है और हम उनके 'जीवन' की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए हर संभव उपाय करेंगे।
बजट में किए गए कुछ कराधान संबंधी उपायों के बारे में निवेशकों से बहुत ही नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। हमने जीएएआर(GAAR) के कार्यान्वयन और कुछ निर्धारित निवेश पर कराधान पर विचार करने के लिए पार्थो सोम समिति की नियुक्ति के माध्यम से निवेशकों की चिंताओं का समाधान किया है। हमने आई टी क्षेत्र के लिए कर से संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए भी रंगाचारी समिति की नियुक्ति की है। दोनों समितियों की सिफारिशें प्राप्त हो गई हैं और वित्त मंत्रालय इन सिफारिशों की जांच कर रही है। उम्मीद है कि हम अगले कुछ सप्ताहों के भीतर इन सभी मुद्दों पर निर्णय की घोषणा करेंगे।
वर्तमान स्थिति के प्रमुख नकारात्मक पहलुओं में से एक पहलू यह भी है कि विविध मामलों की मंजूरी देने में देरी और जिन शर्तों के अधीन मंजूरी दी जा सकती है, उनके निर्धारण में अपारदर्शिता की वजह से बड़ी संख्या में बुनियादी ढांचा परियोजनाएं रूकी हुई हैं। हम मंजूरी प्रक्रियाओं में तेजी लाने और उन्हें और अधिक पारदर्शी बनाने के उपाय कर रहे हैं।
विकास की गति को पुनर्बहाल करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश महत्वपूर्ण है। 12 वीं योजना में बुनियादी ढांचे में लगभग दस खरब(एक ट्रिलियन) डॉलर के निवेश का लक्ष्य है। आने वाले कई वर्षों के लिए सार्वजनिक निवेश के अंतर्गत बुनियादी ढांचे में निवेश को अग्रता दी जाएगी और हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि, बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक निवेश का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा निजी क्षेत्र से होना है। हमने बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं और नियमित रूप से मंत्रालयों का मॉनीटर किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका निष्पादन यथा अपेक्षित है। कुछ आइकॉनिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं जिनमें मुंबई में एलिवेटेड रेल कॉरिडोर; नए लोकोमोटिव संयंत्र; आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में दो नए प्रमुख बंदरगाह; नवी मुंबई, गोवा और केरल में नए हवाई अड्डें; पांच नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डें; और, हमारे कुछ हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय हब के रूप में विकसित करने की नीति शामिल है। हम मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक सहित महत्वपूर्ण शहरी परियोजनाओं को भी जल्दी कार्यान्वित करने जा रहे हैं, जबकि 12 वीं योजना में जे एन यू आर एम-2 शुरू करने जा रहे हैं।
बिजली क्षेत्र में, ईंधन की आपूर्ति एक समस्या रही है। वास्तव में, बिजली क्षेत्र की पूरी श्रृंखला में मूल्य निर्धारण प्रणाली को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। हम कोयला उत्पादन और आयातित कोयले की पूलिंग (Pooling) को बढ़ाकर इन समस्याओं को सुलझा रहे हैं।
गैस क्षेत्र में, घरेलू उत्पादन में आई गिरावट का मुकाबला करने के लिए आपूर्ति के नए स्रोतों की व्यवस्था की जा रही है। हम पुनर्गठन पैकेज की पेशकश के माध्यम से राज्य की बिजली वितरण कंपनियों की मदद कर रहे हैं। हाल ही में, इस पैकेज को अनुमोदित किया गया है।
कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं वित्तपोषण की कठिनाइयों से जूझ रही हैं। विशेष रूप से सड़क और बिजली क्षेत्र प्रभावित हैं। सड़क क्षेत्र में, समस्या यह है कि हम आसान परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं और अब हमें कठिन परियोजनाओं पर काम करना होगा। इसके लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है और इन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। ईंधन आपूर्ति की कमी और राज्य डिस्कॉम की वित्तीय कठिनाइयों के कारण बिजली क्षेत्र में वित्तपोषण प्रभावित हो रहा है। इन समस्याओं का भी समाधान किया जा रहा है।
मुझे विदेशी निवेश पर सरकार के दृष्टिकोण के बारे में कुछ कहना है। सरकार के इरादों और मंशा की गलत आलोचना की गई है और उन पर सवाल उठाए गए हैं। मैं स्पष्टवादी हूं। वैश्विक बाजार की मुश्किल स्थितियों के साथ-साथ सामान, विशेष रूप से पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों के कारण चालू खाता घाटा स्वीकार्य स्तर से परे चला गया।
अल्प अवधि में इस घाटे को कम करना मुश्किल है क्योंकि हमारा निर्यात बहुत तेजी से नहीं बढ़ सकता है, जबकि निवेश की दर को बढ़ाने संबंधी हमारे प्रयासों से आयात बहुत अधिक बढ़ जाएगा। वित्तीय घाटे को कम करने लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शायद बाह्य वित्तीय निवेश का सबसे अच्छा स्रोत है। यह अन्य प्रकार के निवेशों की तुलना में अधिक स्थिर है और इससे वैश्विक आपूर्ति और विपणन श्रृंखला से संबंधित जानकारी और उनकी सुलभता जैसे कई आनुषंगिक सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ेगी। हमने, हाल ही मे, खुदरा, विमानन, बीमा, बिजली एक्सचेंज और प्रसारण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाया है।
कुछ लोग अभी भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का हौआ बनाने और ईस्ट इंडिया कंपनी का उदाहरण देकर डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतांत्रिक राजनीति में सरकार की किसी भी कार्रवाई, जांच और आलोचना के लिए खुली होनी चाहिए। लेकिन हमारा अनुभव हमें सिखाता है कि हमें इन नकारात्मक सोच रखनेवालों की बातों में आकर बेवकूफ़ नहीं बनना चाहिए और अपना भविष्य बिगाड़ना नहीं चाहिए। भारतीय उद्योग जगत ने अर्थव्यवस्था के उदारीकरण को इस तरह स्वीकार किया जिसका अनुमान आसानी से नहीं लगाया जा सकता था।
इस सभाकक्ष में भारी संख्या में ऐसे उद्यमी उपस्थित हैं जिन्होंने अपनी फर्मों में उच्च स्तरीय दक्षता और उत्पादकता के साथ विश्व स्तरीय प्रचालन प्रणाली अपनाई हैं। आप में से कुछ लोगों ने विदेशों में भी उद्यम स्थापित किए हैं और अपनी फर्मों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बदल दिया है। हम विदेशों में फलते-फूलते भारतीय कंपनियों का स्वागत करते हैं, साथ ही हम भारत में आने वाली विदेशी कंपनियों का भी स्वागत करते हैं।
मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए मौद्रिक नीति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने विकास की गति के पुनर्बहाली के लिए दो तिमाहियों में सीआरआर को क्रमिक रूप से कम करने की मांग की है। केंद्रीय बैंकों को विकास को प्रेरित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की बाध्यताओं के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि निम्न मुद्रास्फीति विकास के लिए तथा विकास को सामाजिक रूप से और अधिक समावेशी बनाने के लिए सहायक है।
वित्तीय क्षेत्र हमारे बचत-कर्ताओं द्वारा किए जाने वाले वित्तीय निवेश के इंस्ट्रुमेंट के लिए अवसर प्रदान करके तथा इन बचत को उत्पादक निवेश में लगाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंत्रिमंडल ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने के प्रावधान के साथ बैंकिंग और बीमा कानूनों में परिवर्तन, तथा नए पेंशन कानून का अनुमोदन किया है। यह हमारा प्रयास होगा कि हम जल्द से जल्द उन्हें संसद द्वारा पारित करवाए। इससे हमारी वित्तीय प्रणाली विकास के लिए और अधिक सहायक होगा।
सेबी हमारे पूंजी बाजार में लेन-देन की लागत को कम करने की प्रक्रियाओं और नीतियों में सुधार करने की दिशा में काम कर रहा है। आईआरडीए बीमा क्षेत्र में आ रही चुनौतियों का समाधान कर रहा है और बीमा की व्याप्ति के स्तर को बढ़ा रहा है। बाह्य वाणिज्यिक उधार और अन्य नियमों से संबंधित नीतियों को संशोधित किया जा रहा है ताकि विशेष रूप से लंबी अवधि के ऋण सहित पूंजी प्राप्त करना आसान हो सके।
समावेशी विकास हमारे लाखों देशवासियों को बैंकिंग सुविधा सुलभ करवाने पर निर्भर है। विशिष्ट पहचान कार्यक्रम के अंतर्गत देश के सभी निवासियों के लिए आधार संख्या उपलब्ध करना -लेन-देन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन का आधार बनेगा। सरकार ‘आधार’ आधारित सेवाओं को तेजी से कार्यान्वित करना चाहती है ताकि छात्रवृत्ति, पेंशन, स्वास्थ्य संबंधी लाभ, मनरेगा की मजदूरी और कई अन्य लाभों को ‘आधार’ के माध्यम से सीधे बैंक खातों में अंतरित किया जा सके।
इससे करोड़ों लोगों को स्वचालित वित्तीय लेनदेन प्रणाली में शामिल किया जा सकेगा। इससे बिचौलियों को खत्म करने, निधि की हानि को कम करने और लाभार्थियों को बेहतर सेवा प्रदान करने में मदद मिलेगी। इससे रियायती वस्तुओं के वास्तविक वितरण के बदले नकद अंतरण का विस्तारित कार्यक्रम कार्यान्वित हो पाएगा।
अन्य प्रमुख सुधार में, प्रस्तावित ‘वस्तु एवं सेवा कर’ शामिल है जिस पर कार्रवाई चल रही है। हम जीएसटी पर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं और आशा है कि विपक्ष, इस अवस्था में, देश के लिए जीएसटी के महत्व को समझेंगे। हम मानते हैं कि विपक्ष को सरकार की आलोचना और विरोध करने की भूमिका निभानी होती है। हम उनके सुझावों को ध्यान से सुनेंगे, लेकिन इस मामले में, जहां राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है, मुझे आशा है कि वे आवश्यक कानून पारित करने में सहयोग करेंगे।
अंततः हम यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं कि हम जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठा सके जो कि अपेक्षित है। कौशल विकास, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के विस्तार तथा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के परिणामस्वरूप फिटर और अधिक कुशल कार्यबल लाभान्वित होंगे जिससे वे लाभकारी रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
पिछले साल, आपके अखबार ने नवीकरण और सुधार के लिए ‘10 बिंदु कार्य-सूची’ प्रस्तुत की थी। यदि आप इस कार्य-सूची को देखेंगे, तो आप पाएंगे कि हम वास्तव में अधिकांश मोर्चों पर आगे बढ़े हैं। हमने "निराशा और दुर्भाग्य" को दूर किया, "विदेशी निवेश के लिए वातावरण" में सुधार किया, "मंत्रालयीन समन्वय" में सुधार किया, और हम "निवेशकों के विश्वास और आर्थिक विकास के वातावरण को पुनर्बहाल" करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमने "ऊर्जा और बिजली" की समस्याओं को हल करने और "शहरीकरण" के मुद्दों से निपटने तथा "सार्वजनिक वितरण प्रणाली" में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुझे आशा है कि हमें इस बात के लिए कुछ संपादकीय अनुमोदन मिल जाएगा।
मैंने अक्सर कहा है कि निवेश विश्वास पर आधारित है। लेकिन मैं इस बात पर बल देना चाहता हूं कि इस विश्वास के दो पहलू हैं। आप, उद्यमियों और जोखिम लेने वालों को हमारी नीतियों और उच्च विकास दर को बनाए रखने की इन नीतियों की क्षमता पर अवश्य विश्वास करना होगा। इसी प्रकार, भारत के लोगों को भी विकास के लाभों के न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने की हमारी क्षमता पर विश्वास करना होगा। इसके लिए पर्याप्त रूप से व्यापक पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन, मुद्रास्फीति को नियंत्रण मे रखना, सरकार द्वारा पारदर्शी और न्यायसंगत रूप से राजस्व की उगाही और व्यय आवश्यक है।
पिछले दशक के दौरान, हम अपने देश में और दुनिया भर में 'बढ़ती अपेक्षाओं की क्रांति' का सामना कर रहे हैं। इससे जहां एक ओर हमारे समाज में नई ऊर्जा का संचार हुआ है, वहीं दूसरी ओर, व्यापक असहिष्णुता और निराशावाद का माहौल पनपा है। यह एक ऐसी चुनौती है जिससे हम सबको साथ मिलकर निपटना है ताकि हम सामाजिक और राजनीतिक रूप से उच्च आर्थिक विकास और भारतीय उद्यम के पूर्ण विकास के अनुकूल वातावरण बनाए रख सके।
मुझे आशा है कि आज के समारोह में जिन महानुभवों को सम्मानित किया जा रहा है, वे इस दिशा में व्यापक प्रयास के लिए प्रेरित करेंगे। मैं मुंबईवासियों को शुभ दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामना देता हूं और अपना वक्तव्य समाप्त करता हूं।