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आज नई दिल्ली में भारत दूरसंचार- 2012 के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के संबोधन का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-
भारत दूरसंचार सम्मेलनों की श्रृंखला हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर हमारी सरकार, उद्योग और अन्य हितधारको को एकसाथ मिलकर विचार करने का अवसर प्रदान करती है। मैं, श्री कपिल सिब्बल, दूरसंचार विभाग और फिक्की को संयुक्त रुप से हमारे देश के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस सम्मेलन के आयोजन के लिए मुबारकबाद देता हूं। भारतीय दूरसंचार 2012 में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों के लिए मैं सार्थक और लाभप्रद चर्चा की कामना करता हूं।
भारतीय दूरसंचार क्षेत्र ने पिछले लगभग एक दशक के दौरान काफी वृद्धि देखी है। लगभग 96.5 करोड़ दूरभाष कनेक्शन के साथ भारत आज विश्व में कुल मिलाकर दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार है। दूरसंचार क्षेत्र हमारे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और एफआईआई का संचालक भी है। हमारी अर्थव्यवस्था की गतिशीलता में इसने महत्वपूर्ण योगदान किया है।
जैसा आप जानते हैं, पिछले महीनों में इस क्षेत्र को कुछ मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पडा है। हालांकि, मुझे विश्वास है कि श्री कपिल सिब्बल के कुशल नेतृत्व में परेशानियों का यह दौर अब खत्म हो रहा है। पिछले एक वर्ष के दौरान हमारी सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र में बहुत सी अग्रगामी पहल की है। हमने नवीन दूरसंचार नीति 2012 की घोषणा की है। साथ ही हमने बहुत से जटिल मुद्दों पर नीतिगत स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है। बाजार संबंधित प्रक्रिया के द्वारा एक पारदर्शी तरीके से स्पेक्ट्रम की पर्याप्त उपलब्धता और इसके आवंटन को सुनिश्चित करने की कोशिश भी हमारे द्वारा की गई है। मुझे विश्वास है कि भविष्य के लिए किए गए नीतिगत फैसले निवेशकों की चिंताओं को दूर करने में काफी प्रभावी साबित होंगे और हमारे देश में दूरसंचार उद्योग की वृद्धि को नवीन आयाम देंगे।
मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन में दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े उन सभी मुश्किल मुद्दों को शामिल किया जाएगा जिसका हल ढूंढने की आवश्यकता है। अपनी ओर से मैं तीन प्रमुख आयामों पर बल देना चाहूंगा जिनके द्वारा आने वाले वर्षों में हमारे दूरसंचार प्रयासों को दिशा मिलनी चाहिए।
पहला मुद्दा है हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आधारभूत दूरसंचार सेवाओं की पैठ। दूरसंचार क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि मुख्य तौर पर शहरी इलाकों में इस्तेमाल पर आधारित है। जब तक भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में टेलीफोन का इस्तेमाल और अधिक व्यापकता से नहीं किया जाएगा तब तक उच्चतर वृद्धि हासिल करने में दूरसंचार का पूरा सामर्थ्य संभव नहीं हो सकेगा। एक ओर जहां शहरी भारत का दूरसंचार घनत्व 169 प्रतिशत तक पहुंच चुका है वहीं ग्रामीण भारत के लिए यह केवल 41 प्रतिशत ही है। न केवल यह बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में फोन का इस्तेमाल न करने वाले 59 प्रतिशत लोगों में से अधिकांश शायद समाज के सामाजिक और आर्थिक रुप से कमज़ोर वर्ग से जुड़े लोग हैं।
यदि हमें समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करना है तो हमें ग्रामीण और शहर के बीच के अंतर को पाटना होगा। आज हमारे देश के अधिकतर हिस्सों में नेटवर्क कवरेज है और अधिकांश जनसंख्या तक दूरसंचार का नेटवर्क पहले ही पहुंच चुका है। ऐसा हो सकता है कि आर्थिक या अन्य बाधाओं के कारण टेलीफोन के इस्तेमाल को बढ़ाने में रूकावट आ रही है। दूर-दराज़ इलाकों में निवेश करने की ज़रूरत है। मैं उद्योग जगत से आग्रह करता हूं , जिसने दूरसंचार क्षेत्र में नवाचार दिखाया है, वे ग्रामीण क्षेत्रों में इसे बढ़ाने के लिए रणनीतियां प्रस्तुत करें। मैं दूरसंचार विभाग से भी आग्रह करता हूं कि वे बड़ा सोचें और रचनात्मक तरीके से सोचें कि यूएसओ कोष या अन्य प्रकार से मिले संसाधनों का इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कैसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है । हम ऐसा भारत नहीं बन सकते तथा नहीं बनना चाहिए जहां फोन के इस्तेमाल में कमी समावेशी विकास की राह में रूकावट हो। नई दूरसंचार नीति-2012 में ग्रामीण क्षेत्रों में 2017 तक 70 प्रतिशत और 2020 तक 100 प्रतिशत, दूरसंचार सुविधाएं उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है। हमें इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए और जो वायदे किए गए है उससे बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए।
दूसरा मुद्दा जिसको में रेखांकित करना चाहता हूं वो है ब्रॉडबैंड सेवाओं की उपलब्धता। ब्रॉडबैंड, किफायती दाम पर सूचना और ज्ञान पहुंचाकर लोगों के जीवन में सुधार लाता है। ई-कामर्स, ई-बैंकिंग, ई-गवर्नेंस, ई-शिक्षा, और टेलीमेडिसन जैसी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के कई कार्यों के लिए उच्च गति वाले इंटरनेट कनेक्टिविटी की ज़रूरत होती है। अध्ययनों से पता चला है कि ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में वृद्धि और देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के बीच सीधा संबंध है।
किफायती दामों पर स्मार्ट फोन और टेबलेट के आने के साथ-साथ हमारे देश में दूरसंचार की ढांचागत सुविधाओं की व्यापक उपलब्धता से यह हमें ब्रॉडबैंड सेवाओं की समान रूप से उपलब्धता सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान करती है। अत: हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सशक्त करने के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की महत्ता को पहचानते हुए हमारी सरकार ने सभी पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क परियोजना की शुरूआत की है। मुझे विश्वास है कि इस विशिष्ट परियोजना से दूरसंचार में एक नया युग शुरू होगा जो पूरे देश विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सूचना के आदान-प्रदान को सरल बनाएगा। यह सुनिश्चित करने हेतु कि ब्रॉडबैंड सेवाओं को सही मायने में किफायती और सुलभ बनाने के लिए इस बुनियादी ढांचे का पूरी कुशलता से इस्तेमाल हो मैं सभी सरकारी विभागों और निजी क्षेत्र से आग्रह करूंगा कि वे रचनात्मक तरीके से इस पर काम करें।
पिछले दो दशको में विशेष रूप से दूरसंचार और सामान्य रूप से इलैक्ट्रॉनिक्स में हमारी घरेलू विनिर्माण क्षमताओं के कम होने पर भी मैं ध्यान देना चाहूंगा। हमें दूरसंचार और इलैक्ट्रॉनिक्स की पूरी श्रृखंला में घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को मज़बूत करने की ज़रूरत है। नई दूरसंचार और इलैक्ट्रॉनिक्स नीतियों में ऐसा करने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। अब यह हमारे उद्योगों विशेषकर निजी क्षेत्र के प्रमुखों पर है कि वे इस विशिष्ट पहल का फायदा उठाएं। एक प्रमुख ऑटोमोबाइल खरीदार देश के रूप में हमने एक मज़बूत ऑटोमोबाइल क्षेत्र विकसित किया है। मुझे विश्वास है कि दूरसंचार और इलैक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भी इस तरह का विकास होगा। हमें दूरसंचार और इलैक्टॉनिक्स विनिर्माण में नेतृत्व करने वालों की ज़रूरत है जो नई व्यवस्थाएं ला सकते हैं और भारत को एक प्रमुख हार्डवेयर उत्पादक के रूप में समर्थ बनाने के लिए ऐसा माहौल बना सकते हैं। हमारी सरकार ऐसे प्रयास का समर्थन करने हेतु हर मुमकिन कदम उठाने के लिए वचनबद्ध है।
हमारे राष्ट्र के विकास को गति देने के लिए दूरसंचार क्रांति बुहत से अवसर प्रदान करती है। मैं आशा करता हूं कि आप अपने विचार-विमर्श के दौरान इन सभी संभावनाओं को आगे बढ़ाएंगे। मैं आपके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।