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यूक्रेन के राष्ट्रपति श्री विक्टर यांकोविच की भारत यात्रा के मौके पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के वक्तव्य का अनूदित पाठ इस प्रकार है:-
“यूक्रेन के राष्ट्रपति महामहिम श्री विक्टर यांकोविच की प्रथम भारत यात्रा पर उनका स्वागत करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। एक ऐसे समय में जब हम भारत और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक रिश्तों के बीस वर्षों पूरे होने का आयोजन कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति की यह यात्रा हो रही है।
राष्ट्रपति यांकोविच और मैंने हमारे द्वीपक्षीय रिश्तों की व्यापक समीक्षा की है। हाल के वर्षों में हमारी साझेदारी में जो वृद्धि हुई है उसके प्रति मैंने राष्ट्रपति को संतोष व्यक्त किया है। इसके साथ ही भारत-यूक्रेन के रिश्तों को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता में उनके व्यक्तिगत प्रयासों के लिए मैंने उनका धन्यवाद किया । दोनों देशों के बीच व्यापक साझेदारी को आगे बढ़ाने के प्रति हम सहमत हैं।
रक्षा तकनीक में यूक्रेन की विशेषज्ञता सुस्थापित है और यह हमें हमारी रक्षा प्रौद्योगिकी में सहयोग का प्रस्ताव करती है। हम दोनों देश साथ मिलकर रक्षा सहयोग की काफी परियोजनाओं के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। रक्षा सहयोग समझौता जिस पर हमने अभी हस्ताक्षर किए हैं उसके तहत इस सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक नई रुपरेखा की स्थापना की गई है।
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में यूक्रेन के साथ भारत के संबद्ध हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत से ही चल रहे है। मुझे खुशी है कि फिलहाल हम उन्नत अंतरिक्ष प्रक्षेपणों पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के पास उपलब्ध विज्ञान और प्रौद्योगिकी के दायरे को बढ़ाने के लिए हमने विज्ञान के क्षेत्र में भी अपने सहयोग को विस्तृत किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग पर आज किए गए समझौते से इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को काफी अधिक फायदा होगा।
राष्ट्रपति यांकोविच और मैंने परमाणु ऊर्जा तथा परमाणु सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान भी किया जिससे हम लोग एक-दूसरे से काफी कुछ सीख सकते हैं। चेर्नोंबिल में हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे से यूक्रेन को इस महत्वपूर्ण मुद्दे से निपटने के संबंध में काफी ज्ञान और समझ है। दोनों देशों के परमाणु नियामक प्राधिकरणों के बीच अभी हुए इस समझौते से हमने परमाणु सुरक्षा और विकिरण सुरक्षा के अपने अनुभवों को बांटने पर सहमति व्यक्त की है। अप्रैल 2011 में चेर्नोंबिल हादसे की 25वीं बरसी के अवसर पर परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और नवाचार तरीके से इस्तेमाल पर काइव शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने के प्रयास के लिए मैंने राष्ट्रपति यांकोविच की प्रशंसा भी की।
हमने द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों पर भी विशेष रूप से बातचीत की। हमारा आपसी व्यापार पिछले पांच वर्ष में दोगुने से ज्यादा होकर करीब 3 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। हालांकि यह ज्यादा यूक्रेन के पक्ष में रहा। हमने अपने व्यावसायिक संबंधों को और मज़बूत करने तथा व्यापक और संतुलित बनाने पर सहमति व्यक्त की। विशेष ध्यान देने के लिए हमने उर्वरक, दवा, सूचना प्रौद्योगिकी, खनन और भारी मशीनरी जैसे अनेक क्षेत्रों को चिन्हित किया है। इस संदर्भ में मैंने राष्ट्रपति यांकोविच से कारोबारियों, पेशेवरों, विद्यार्थियों और दोनों देशों के लोगों के लिए आने-जाने की प्रकिया को आसान बनाने में वीज़ा व्यवस्था में भारत के हित की भी बात कही।
राष्ट्रपति यांकोविच और मैंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। हमने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारे परामर्श को और सशक्त करने पर भी सहमति व्यक्त की। मुझे इसमें कोई शक नहीं कि राष्ट्रपति यांकोविच की यह यात्रा भारत-यूक्रेन संबंधों को और प्रगाढ़ करेगी।मैं एक बार फिर से राष्ट्रपति विक्टर यांकोविच के भारत आने पर उनका स्वागत करता हूं।”