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आज नोम पेन्ह में 10वें भारत-आसियान सम्मेलन में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस सम्मेलन में भाग लेकर उन्हें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कंबोडिया के प्रधानमंत्री हून सेन और वहां के लोगों को उनके आतिथ्य-सत्कार एवं सम्मेलन के उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए धन्यवाद दिया।
डा. सिंह ने कहा कि कंबोडिया का प्रत्येक दौरा यह याद दिलाता है कि दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक संपर्क और प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों की बुनियाद पर टिके हैं। उन्होंने कहा कि दसवें सम्मेलन के लिए हम उस देश में एकत्रित हुए हैं, जिस देश ने इस प्रकार के प्रथम सम्मेलन की मेजबानी की थी। डॉ. सिंह ने कहा कि आसियान के साथ अपने संबंधों को भारत रणनीतिक रूप से सर्वोंच्च प्राथमिकता देता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि दो दशक पहले भारत ने मुक्त व्यापार और वैश्विक आर्थिक एकता की यात्रा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि चूंकि भारत पूर्व की ओर देख रहा था, एशिया प्रशांत क्षेत्र में आसियान एक प्राकृतिक भागीदार था और यह स्थिति आज भी बनी हुयी है।
डॉ. सिंह ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि लाने के लिए इस क्षेत्र में ज्यादा सहयोग और एकता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत 2015 तक एक आसियान समुदाय के लक्ष्यों, आसियान एकता के लिए पहल और सम्पर्क पर आसियान मास्टर योजना का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि बृहत एशिया प्रशांत समुदाय में सहयोग बढ़ाने और बेहतर समझ विकसित करने में आसियान का नेतृत्व प्रशंसनीय है।
डॉ. सिंह ने कहा कि आसियान सदस्यों और आसियान संगठन के साथ भारत के संबंध सभी दिशाओं में प्रगाढ़ हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाणिज्य और सम्पर्क इस संबंध के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिनमें हमने अच्छी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि वस्तुओं के कारोबार पर भारत-आसियान समझौते से हमें फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि मार्च 2012 को खत्म हुए भारतीय वित्तीय वर्ष में हमारा व्यापार लगभग 80 अरब अमरीकी डॉलर था, जो 70 अरब अमरीकी डॉलर के हमारे लक्ष्य से अधिक था। उन्होंने कहा कि भारत दिसंबर में दिल्ली में स्मारक शिखर सम्मेलन के पहले सेवा और निवेश प्रोत्साहन में व्यापार समझौते को पूरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि यह हमारे बढ़ते आर्थिक संबंध का एक मजबूत संकेत होगा और इससे दोनों दिशाओं में व्यापार और निवेश के प्रवाह में तेजी से विस्तार करने में मदद मिलेगी।
डॉ. सिंह ने कहा कि सभी आयामों-भौतिक, संस्थागत और लोगों से लोगों को सम्पर्क में आसियान के साथ संबंध भारत के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के दो बड़े यादगार समारोह- भारत-आसियान कार रैली और भारतीय नौसेना के पोत सुदर्शिनी का आसियान नौकायान अभियान समुद्र, सतह और हवाई सम्पर्कों द्वारा भारत और आसियान को जोड़ने के महत्व और क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हमने भूमि परिवहन कार्यकारी समूह, समुद्री परिवहन कार्यकारी समूह और आसियान सम्पर्क समन्वय समिति में भी आसियान के साथ विचार-विमर्श किया है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में त्रिपक्षीय राजमार्ग कार्यबल की बैठक हुई थी, जिसमें 2016 तक भारत के मोरे से थाईलैंड के माई सॉट तक सम्पर्क स्थापित करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत त्रिपक्षीय राजमार्ग के विस्तार पर नक्शे की प्रतीक्षा कर रहा है और इसने वियतनाम तक नए राजमार्ग का प्रस्ताव दिया है ताकि एकीकृत रूप से इनकी जांच हो सके। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इन प्रस्तावों के लिए व्यवहारिकता अध्ययन शीघ्र ही पूरे हो जाएंगे।
डॉ. सिंह ने कहा कि आसियान के सदस्य देशों से बड़ी संख्या में छात्र, वरिष्ठ संपादक, राजनयिक और किसान आगामी दिसम्बर में भारत का दौरा कर रहें हैं और वे नई दिल्ली में कार रैली के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान ने पर्यटन सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखे सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। उन्होंने कहा कि आसियान देशों के लिए अपनी वीजा व्यवस्था में उदारीकरण को जारी रखना यह दर्शाता है कि हम लोगों से लोगों के सम्पर्क को बढ़ाने और पारस्परिक लाभप्रद आर्थिक अवसरों को बढ़ाने के इच्छुक हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि आसियान इंटर पार्लियामेंटरी असेम्बली के प्रतिनिधियों ने भारतीय संसदीय प्रतिनिधियों के साथ पहली बार एक दूसरे के यहां दौरे किए।
डॉ. सिंह ने कहा कि अनेक क्षेत्रों में हमारा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के दौरान हमारे पर्यावरण, नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन, कृषि और दूरसंचार मंत्रियों के बीच हुई बैठकें इस बढ़ती गति को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि हमने मध्यम और लघु उद्योगों के महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए विचार-विमर्श शुरू कर दिया है क्योंकि ये उद्योग हमारे देशों में रोजगार और खोज के इंजन हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि कृषि और वन रोपण पर आसियान-भारत की एक समाचार पत्रिका की शुरूआत एक महत्वपूर्ण पहल है और वे कृषि क्षेत्र में आसियान की भागीदारी के स्तर से काफी उत्साहित हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि दिसम्बर में दिल्ली में होने वाला भारत-आसियान व्यापार मेला सफल होगा। उन्होंने ज्ञान और कौशल क्षेत्र में अपने वर्तमान सहकारी कार्यक्रमों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि जून 2012 में बंगलूरू में भारत और आसियान की अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रमुखों के बीच पहली बैठक हुई थी जिससे हमारे पारस्परिक लाभ के लिए अंतरिक्ष सम्पदा और विज्ञान के उपयोग में सहयोग को बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि 2010-2015 के लिए शांति, प्रगति और सांझी समृद्धि कि कार्य योजना पर अच्छी प्रगति कर रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत और आसियान को न सिर्फ अपने लोगों के बीच सांझी समृद्धि और मजबूत संबंध के लिए कार्य करना चाहिये, बल्कि इस पूरे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करना चाहिये। उन्होंने सांझी चुनौतियों के समाधान के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने रक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी क्षेत्रों में अपने बढ़ते संबंध पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत पूर्वी एशिया सम्मेलन, आसियान क्षेत्रीय मंच और एडीएमएम+ मंचों पर अपने विचार-विमर्श और सहयोग को काफी महत्व देता है। उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि हमारी सांस्कृतिक समरूपता, भौतिक निकटता, सांझे मूल्य, विश्व को लेकर मिलते-जुलते विचारों और इस क्षेत्र में हमारे दृष्टिकोणों में समानताओं से हमारे संबंध को और व्यापक और रणनीतिक स्वरूप प्राप्त होगा।
डॉ. सिंह ने भारत के लिए समन्वयकर्ता के रूप में पिछले तीन वर्षों से रचनात्मक और सहयोगी भूमिका निभाने के लिए कम्बोडिया की सराहना की। उन्होंने भारत के लिए वर्तमान समन्वयकर्ता ब्रूनेयी का स्वागत किया और अपनी भागीदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री ने सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को 20 से 21 दिसम्बर 2012 को नई दिल्ली में स्मारक सम्मेलन में अपनी भागीदारी निश्चित करने के लिए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।