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प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की पुनः विकास परियोजना का शिलान्यास किया है। इस अवसर पर दिए गए उनके भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:-
“लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की पुनः विकास परियोजना के शिलान्यास के मौके पर मुझे आप सभी के बीच पहुंच कर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह विद्यालय अपने सौ साल पूरे कर रहा है और हमारे राजधानी नगर में अनोखा संस्थान है। इसकी स्थापना देश की आजादी से तीन दशक से ज्यादा समय पहले की गई थी और यह भारत के तत्कालीन इतिहास का एक हिस्सा बन चुका है। इसकी झलक अपने देश में चिकित्सा शिक्षा की प्रगति में एक बड़े कदम के रूप में मिलती है और यह चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को यह सुविधा देने की दिशा में उठाया गया पहला कदम था।
एक शताब्दी पहले इस तरह से की गई मामूली शुरुआत से लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज आज चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान बन चुका है। यह अपने देश में महिलाओं को श्रेष्ठ चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराता है और साथ ही बहुत बड़ी संख्या में रोगियों की, और खासतौर से गरीबों की, चिकित्सा आवश्यकताएं पूरी करता है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस संस्थान में जो सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं उनसे इस विद्यालय और अन्य विद्यालयों तथा अस्पतालों के विकास में सहायता मिलेगी।
स्वास्थ्य के बारे में पुरानी कहावत कि यह सबसे बड़ी संपदा है, आज पहले से ज्यादा सच साबित हो रही है। हमारे राष्ट्र के स्वास्थ्य संसूचक आज पूरे देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाले बन रहे हैं। इसीलिए मुझे इस बात पर ध्यान देते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हाल के वर्षों में हमारे देश में स्वास्थ्यचर्या के क्षेत्र में पांच बड़े विकास हुए हैं।
पहला तो यह कि स्वास्थ्य क्षेत्र में जटिल चुनौतियों को देखते हुए इसकी आवश्यकताओं को मान्यता देने की जरूरत है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए 12वीं पंचवर्षीय योजना में 11वीं पंचवर्षीय योजना के मुकाबले स्वास्थ्यचर्या के लिए आवंटन बढ़ाकर तीन गुना कर दिया गया है। इसके अलावा पोषण, सुरक्षित पेयजल, साफ-सफाई, आवास और खासतौर से बालिकाओं की शिक्षा पर बराबर ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि ये सामाजिक कारक हैं जो समाज के स्वास्थ्य की स्थिति तय करते हैं। यही कारण है कि हमने 12वीं योजना के दौरान योजना व्यय तय करते हुए इन क्षेत्रों को खास महत्व दिया है और इन पर हमारा खास जोर है।
दूसरा यह, कि हम चिकित्सा शिक्षा पर पहले से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। पहले जहां सिर्फ नई दिल्ली में एक अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान था, वहीं अब इस तरह के 6 श्रेष्ठता संस्थान भोपाल, भुवनेश्वर, पटना, जोधपुर, रायपुर और ऋषिकेश में खुल चुके हैं। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि इन संस्थानों में पूर्व स्नातक छात्रों के लिए कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं और चालू शिक्षा वर्ष के दौरान पढ़ाई प्रारंभ कर दी गई है।
यह भी ध्यान देने की बात है कि पिछले तीन वर्षों में हमारे सहकर्मी श्री गुलाम नबी आजाद के मार्गदर्शन में देश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों की संख्या में तीस प्रतिशत वृद्धि हुई है और परास्नातक सीटों की संख्या लगभग 51 प्रतिशत बढ़ गई है। 61 नए मेडिकल कॉलेज खोले जा चुके हैं जिन्हें मिलाकर इस प्रकार के संस्थानों की संख्या बढ़कर 362 हो गई है। इसके अतिरिक्त 269 नए नर्सिंग स्कूल खोलने की स्वीकृति दी जा चुकी है जो ज्यादातर दूर दराज, कम पहुंच वाले और पिछड़े जिलों में होंगे। इससे देश में प्रशिक्षित नर्सों और आक्जीलरी नर्स मिडवाइब्ज की कमी दूर करने में काफी सहायता मिलेगी।
लेकिन इन सब बातों के बावजूद स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधनों की उपलब्धता अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। हमें 12वीं योजना के दौरान पूर्व स्नातक और परास्नातक सीटें बढ़ाने के लिए और ज्यादा नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज खोलने की जरूरत होगी। इसके अलावा देश में अच्छी गुणवत्ता वाले शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर भी हमें ध्यान देने की जरूरत है। अर्ध-चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने और पैरा मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार दिल्ली में एक राष्ट्रीय पैरा मेडिकल साइंस संस्थान की स्थापना करने जा रही है। इसके अलावा चंडीगढ़, लखनऊ, भोपाल, हैदराबाद, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, पटना और औरंगाबाद में आठ क्षेत्रीय पैरा मेडिकल साइंस संस्थान खुलेंगे। मुझे उम्मीद है कि इन संस्थानों से संस्थागत सुशासन की रूपरेखा विकसित करने पर पर्याप्त ध्यान दिया जा सकेगा ताकि इन संस्थानों का प्रबंधन श्रेष्ठतम संभावित तरीके से किया जा सके और आम जनता को इस व्यय का अधिकतम लाभ मिल सके।
तीसरा, यह कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान एक प्रमुख शहरी योजना लागू की जाएगी जिसमें शहरों में रहने वाले गरीबों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर खास ध्यान दिया जाएगा। इस कार्यक्रम से श्रेष्ठतम संभावित परिणाम पाने के लिए हमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा आवास, शहरी विकास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय का सहयोग प्राप्त करना होगा।
चौथा यह कि ताजातरीन सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम से पता चला है कि भारत में शिशु मृत्यु दर में पिछले में एक वर्ष के दौरान और गिरावट आई है। यह अच्छी खबर है लेकिन हम अन्य अनेक विकासशील देशों के मुकाबले अब भी पीछे हैं। मुझे उम्मीद है कि नए उत्साह और चुस्ती के साथ शिशु मृत्यु दर और नीचे लाने की कोशिशें जारी रहेंगी। अगर भारत में पोलियो उन्मूलन और इसके जरिए शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की कोशिशें ऐसे ही उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ जारी रखी जाएं, तो शिशु मृत्यु दर में और कमी लाई जा सकती है और इसके परिणामस्वरूप हमारे जनसांख्यिक संसूचक निश्चय ही बेहतर होंगे।
अंततः मुझे इस बात पर बहुत खुशी हो रही है कि सरकारी अस्पतालों के जरिए देशभर में जेनेरिक दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे पूरे देश में स्वास्थ्य पर किए जाने वाले खर्च में निश्चय ही कटौती होगी।
मुझे इस बात में जरा भी संदेह नहीं कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के पुनः विकास से हमारे डॉक्टरों और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले व्यावसायिकों को भारत की आम जनता को श्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी तथा इस क्षेत्र में अनुसंधान और ज्ञान भंडार में बढ़ोत्तरी होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इस संस्थान से निकलने वाले और निकल चुके छात्र देश को चिकित्सा सेवाएं देने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे और यहां से देश सेवा के लिए समर्पित और प्रतिभाशाली लेडी डॉक्टर निकलेंगी।
आखिर में मैं अपने देश के सभी डॉक्टरों, नर्सौं और स्वास्थ्य क्षेत्र में अनथक रूप से काम करने वाले स्टाफ से अपील करना चाहूंगा कि वे भारत की जनता को अच्छी गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरी लगन और संवेदनशीलता के साथ काम करें क्योंकि काफी हद तक देश का कल्याण इसी बात पर निर्भर करता है कि आप इस राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों में कितना महत्वपूर्ण योगदान कर सकेंगे।”