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कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने आज एक समारोह में श्री गुलजार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा दिये गये भाषण का मूल पाठ इस प्रकार हैः
"हमारे सालाना कैलेन्डर में 31 अक्तूबर की एक खास अहमियत है। आज का दिन हमारी प्रिय नेता श्रीमती इंदिरा गांधी जी को श्रद्धांजलि देने का और उनके बलिदान को याद करने का दिन है। आज वो दिन भी है जब हमें गंभीरता से यह सोचना चाहिए कि हम राष्ट्र-निर्माण में किस तरह से योगदान कर सकते हैं। इंदिरा ज़ी की याद में कायम ये पुरस्कार हमें ऐसे व्यक्तियों के काम से वाकिफ कराता है जो हमारे देश और देश को एक करने में जुटे हुए हैं। ऐसे लोग जो हमें ये प्रेरणा देते हैं कि हमें धर्म, जाति, समुदाय और क्षेत्र से ऊपर राष्ट्रहित में काम करना चाहिए। हम आज उन व्यक्तियों का सम्मान करते हैं जो भारत में अमन और भाईचारे का संदेश फैला रहे हैं। गुलजार साहब एक ऐसी ही महान शख़्सियत हैं। मैं उनको इस पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।
श्रीमती इंदिरा गांधी की कुर्बानी को 28 साल बीत चुके हैं। लेकिन आज भी हमारे जेहन में उनकी याद बिल्कुल ताजा है। उन्होंने हमें जो दिशा दिखाई उसके लिए सारा देश उनका हमेशा आभारी रहेगा। अपनी सारी जिंदगी उन्होंने भारत की उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को आगे बढ़ाने की भरपूर कोशिश की। एक मजबूत, प्रगतिशील और आधुनिक भारत बनाने के उनके सपने को साकार करने के लिए हम सभी को मिलकर कोशिश करनी चाहिए। यही इंदिरा जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गुलजार साहब एक अनोखे कलाकार हैं। वे कविताएं लिखते हैं और कहानियॉं और फिल्मों की पटकथाएं लिखते हैं, वे फिल्मों का निर्देशन करते हैं और उनके लिए गीत भी लिखते हैं। हिन्दी, उर्दू में बखूबी लिखने के अलावा वे बृजभाषा, हरियानवी और मारवाड़ी भाषाओं में भी लिख सकते हैं। गंभीर विषय हो या बच्चों के मनोरंजन की बात, गुलजार साहब की कहानियॉं, कविताएं और फिल्में दिल को छूती हैं। गुलजार साहब पांच दशकों से भी ज्यादा से अपनी कला से हम सबका मनोरंजन कर रहे हैं। उनकी कला में हमेशा सामाजिक महत्व का कोई न कोई संदेश रहता है। गुलजार साहब ने अपने हर काम में इंसानियत और दूसरों के प्रतिसंवेदनशीलता के महत्व पर जोर दिया है। हमारे देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने का ये एक बहुत अच्छा तरीका है।
मेरा मानना है कि अगर हम अपने देशवासियों के प्रतिसंवेदनशील रहें तो कोई भी ताकत हमें धर्म, जाति और क्षेत्र के नाम पर नहीं बांट सकती। गुलजार साहब का काम हमें यह सिखाता है कि हम सबसे पहले भारतीय हैं और उसके बाद ही कुछ और। गुलजार साहब ने टेलीविज़न के माध्यम से मिर्जा गालिब और मुंशी प्रेमचंद जैसे महान लोगों के काम को घर-घर पहुँचा कर हमें ये बताया है कि धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक बुराइयों से लड़ना हमारे देश के लिए कितनी अहमियत रखता है। बच्चों के लिए लिखी गयी उनकी किताब ‘एकता’ को नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने तकरीबन बीस साल पहले सम्मानित किया है। उन्होंने बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए हैं। इंदिरा जी की याद का सम्मान करने का सही तरीका ये है कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए काम करते रहें।
अभी पिछले महीनों में हमारे देश में हिंसा, और उत्तर पूर्व के लोगों के देश के दूसरे क्षेत्रों में पलायन की घटनाएं हुईं वे हमें ये याद दिलाती हैं किहमारे समाज को बॉंटने वाली ताकतें आज भी काफी सक्रिय हैं। हमारा फर्ज बनता है किहम इन ताकतों से लड़ने की हर मुमकिन कोशिश करें। धर्म, जाति, समुदाय और क्षेत्र हमारे देश की तरक्की और विकास में किसी भी सुरत में बाधा नहीं बननी चाहिए। हम अपनी बात खत्म करने से पहले मैं एक बार फिर गुलजार साहब को मुबारकबाद देता हूँ। भविष्य के लिए मेरी तमाम नेक ख्वाहिशात उनके साथ है।"