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ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के सम्मान में आयोजित भोज में प्रधानमंत्री का भाषण - महामहिम ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड, सम्मानित अतिथिगण, देवियों और सज्जनों -
प्रधानमंत्री गिलार्ड का पहली बार भारत की राजकीय यात्रा पर आने पर मैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूं। प्रधानमंत्री गिलार्ड भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अधिक घनिष्ठ और जीवंत संबंधों की पक्षधर हैं। हमारे संबंधों को इस दिशा में सार्थकता प्रदान करने के लिए उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करते हुए नई दिशा दी है। मेरा विश्वास है कि उनकी इस यात्रा से अधिक घनिष्ठ संबंधों का मार्ग प्रशस्त होगा।
मैडम प्राइम मिनिस्टर, ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री बनने से पहले आपकी इससे पहले वाली जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया की उप-प्रधानमंत्री और उससे पहले शिक्षा मंत्री के रूप में आप 2009 में यहां की यात्रा के दौरान आपने मंत्री स्तर की वार्षिक बातचीत की शुरूआत करने में पहल की थी। तब से, ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं और संवाद स्थापित किये हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों द्वारा सामना की जा रही अनेक कठिनाइयों को दूर करने में मदद की है। आपकी मौजूदगी में छात्रों की आवाजाही और कल्याण के बारे में आज रात जिस समझौते को पूरा किया गया है, वह निश्चय ही जिन संबंधों को आपने दिशा दी, उन्हें जारी रखने की कोशिशों की चरम सीमा है। यही नहीं, आपके द्वारा खुद निजी तौर पर पहल करने से ऑस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी ने पिछले साल भारत को यूरेनियम बेचने की नीति की समीक्षा की, जिससे आज रात हम गैर-सैनिक परमाणु सहयोग के एक द्विपक्षीय समझौते पर बातचीत पर सहमत हो सके।
देवियो और सज्जनो -
भारत और ऑस्ट्रेलिया जिस स्वतंत्रता और समानता के पक्षधर हैं उसकी प्रधानमंत्री गिलार्ड् मूर्तस्वरूप हैं। पिछली बार इन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की नीतियों पर ध्यान दिया था, जिनकी झलक हम अपने देश की प्राथमिकताओं पर देखते हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था को दुनिया भर में शुरू हुई मंदी के चलते उथलपुथल के दौरान उपयुक्त दिशा दी थी। तब से इस क्षेत्र में आर्थिक और राजनीतिक गंभीरता में बहुत परिवर्तन आया है। भारत की कोशिश होगी कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने और लोगों तक विकास के लाभ पहुंचाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम करें।
महामहिम,
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध तब शुरू हुए थे, जब उपनिवेशवाद का जमाना था। शीत युद्ध के समय भी ऑस्ट्रेलिया हमारे देश के लोकप्रिय विचारों पर स्पष्ट रूप से नजर में रहा। दोनों ही देश संसदीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, बहुसंस्कृतिवाद और मुक्त उद्यम में विश्वास करते हैं और यही हमारे संबंधों का आधार बनता है। अंग्रेजी भाषा और कॉमनवेल्थ हम दोनों देशों को इकट्ठा करते हैं और बेहतर सहयोग की राह आसान बनाते हैं। हम भले ही यह तर्क कर सकते हैं कि क्रिकेट के बारे में कौन ज्यादा उत्साही है, लेकिन इस बारे में किसी को शक नहीं होगा कि इसके जरिए हमारे देश ओर निकट आते हैं।
महामहिम, हमें अपने आपसी संबंधों के बारे में जहां संतुष्ट होना चाहिए, वहीं यह भी महसूस करना चाहिए कि अधिकतम संभावित क्षमता से अब भी फायदा उठाया जाना है। व्यापार और निवेश क्षेत्रों में प्रगति तब होती है, जब विकास संतुलित रखा जाए। हमारे ध्यान में ऊर्जा सुरक्षा भी होनी चाहिए। हमारी विकास योजनाएं ऐसी होनी चाहिए कि जिनमें ऑस्ट्रेलिया के प्रशिक्षण कौशल, जल उपयोग और पर्यावरण रक्षा की कुशलता की जरूरत पड़े। प्रधानमंत्री जी, मैं आपके सहयोग से काम करने की आशा कर रहा हूं, ताकि इन मुद्दों पर जल्दी से जल्दी हमारे संवाद सफल हो सकें। मुझे इस बात में जरा भी संदेह नहीं है कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों की जनता के फायदे के लिए हमारे दोनों देश और घनिष्ठ संबंध स्थापित करेंगे।
देवियो और सज्जनो - अब मैं आप सब से अनुरोध करता हूं कि आप सब निम्नलिखित की कामना में मेरा साथ दें-
प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कल्याण के लिए ऑस्ट्रेलिया की मित्रवत जनता की प्रगति और समृद्धि के लिए।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हमेशा गहराती मित्रता और सहयोग के लिए।