भाषण [वापस जाएं]

September 5, 2012
नई दिल्‍ली


राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री का भाषण

राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की छठी बैठक में मैं आप सभी का स्‍वागत करता हूं। कुछ नए सदस्य बोर्ड में शामिल हुए हैं और मुझे यकीन है कि उनके जुड़ने से भारत की बेशकीमती वन्य जीव संरक्षण की हमारी कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा।

पिछली बैठक में कई सदस्यों ने वन्य जीव प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। इनमें से कई मुद्दे प्रणाली संबंधी समस्‍याओं से उत्‍पन्‍न होते हैं, इसलिए हमें उन पर निरंतर विचार-विमर्श करना चाहिए और उनका समाधान ढूंढना चाहिए। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पास अब वन्‍य जीवों से संबंधित कई एजेंडे हैं, जो एक अच्‍छी बात है। मैं आशा करता हूं कि आज के विचार-विमर्श से भविष्‍य के लिए बहुमूल्‍य मार्गदर्शन मिलेंगे, जिनके बल पर संरक्षण संबंधी हमारे प्रयासों की बाधाएं दूर हो सकेंगी।

वन्य जीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हमारी कोशिशों के अच्छे परिणाम निकले हैं। देश में संरक्षित क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। इस समय 668 राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभयारण्य, बाघ संरक्षित क्षेत्र और वनवासी संरक्षित क्षेत्र हैं।

वन्य जीवों के प्राकृतिक पर्यावास के लिए संरक्षित क्षेत्र का बढ़ना एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन साथ ही हमारी जिम्मेदारी है कि वन संसाधनों पर निर्भर वनवासियों की आजीविका की भी रक्षा की जाए।

हमें ऐसे विकल्प तलाशने होंगे जिससे आदिवासियों सहित वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका पर असर न पड़े और उनके सामाजिक आर्थिक विकास में प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग हो सके। ऐसे मानव बहुल क्षेत्रों में वन्‍य जीव प्रबंधन के लिए स्‍थानीय लोगों को शामिल करते हुए एक ‘समावेशी’ पहल की जरूरत है, क्‍योंकि वे प्राथमिक हितधारक हैं।

वन्‍य जीवों के संरक्षण के संदर्भ में गांवों और पुनर्वासों का स्‍वैच्छिक और बेहतर पुनर्निर्धारण करना महत्‍वपूर्ण है। इन कार्यों के पर्याप्‍त धनराशि की कमी होना एक मुद्दा है। हमें राजकीय सीएएमपीए (मुआवजा आधारित वनरोपण निधि प्रबंधन और आयोजना प्राधिकरण) की निधि के इस्‍तेमाल के अनुभव का मूल्‍यांकन करना होगा ताकि संक्षिप्‍त क्षेत्रों से स्‍वैच्छिक पुनर्निर्धारण हो सके। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर संबंधित राज्‍य सरकारों के साथ और भी वार्ताओं की जरूरत है।

हमारी बैठकों में जो मुद्दे उठाए गए हैं, उनमें से बाघ जैसे बड़े स्‍तनधारी जीवों के अलावा जोखिम वाली प्रजातियों के संरक्षण का मुद्दा महत्‍वपूर्ण है। आप सभी जानते हैं कि सरकार ने समन्वित वन्‍य जीव पर्यावास विकास नामक एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की शुरुआत की है, जिसमें अन्‍य मुद्दों के अलावा संक्षिप्‍त क्षेत्रों के बाहर वन्‍य जीवों के बेहतर संरक्षण पर जोर दिया गया है और अत्‍यंत जोखिम वाली प्रजातियों को बचाने के लिए कार्यक्रम शुरू करने पर जोर दिया गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि इस योजना के अंतर्गत समुद्री जीवों और पक्षियों सहित बहुत-सी प्रजातियों को इसमें शामिल किया गया है। इस योजना के निष्‍पादन के बारे में सदस्‍यों की राय पाकर मुझे प्रसन्‍नता होगी।

वन्‍य जीवों के पर्यावासों के संरक्षण से संबंधित नीतिगत उद्देश्‍यों की पूर्ति से जुड़ी ऐसी योजनाओं के लिए पर्याप्‍त धन का आबंटन सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार सभी संभव प्रयास करेगी। आबंटन राशि बढ़ाने के अलावा निगरानी तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा। मैं पर्यावरण मंत्रालय को इस बात का सुझाव दूंगा कि न केवल वन्‍य प्राणी योजनाओं के क्रियान्‍वयन के लिए बल्कि वन्‍य जीवों से संबंधित प्रावधानों का सख्‍ती से क्रियान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए अपने क्षेत्रीय कार्यालयों में वन्‍य जीव विशेषज्ञों को शामिल करते हुए, अपने इन कार्यालयों को सशक्‍त बनाए।

1972 का वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, हमें वन्य जीव संरक्षण के लिए वैधानिक ढांचा प्रदान करता है और इसमें समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। जोखिम वाली प्रजातियों के अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार पर आधारित संधि के प्रावधानों को लागू करने और दंडात्‍मक प्रावधान बढ़ाने के उद्देश्‍य से हमने इस कानून में कई संशोधनों के लिए पहल की थी।

वन्य जंतुओं का शिकार एक बड़ी समस्या है जो हमारे वन्य जीव संरक्षण के प्रयासों को प्रभावित कर रही है। हम शिकार के खिलाफ राज्यों द्वारा किए जा रहे उपायों को मजबूती प्रदान करने में उनकी सहायता कर रहे हैं। जंगली जानवरों के शरीर के विभिन्न अंगों की मांग और सीमापार इनके गैर-कानूनी व्यापार नेटवर्क ने संरक्षण के हमारे प्रयासों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। बाघ संरक्षण के लिए चीन, नेपाल और रूस के साथ हमारे संयुक्त प्रयासों सहित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है ताकि शिकारियों और गैर-कानूनी वन्य जीव बाजार के बीच की सांठगांठ को तोड़ा जा सके।

मुझे प्रसन्‍नता हो रही है कि पर्यावरण और वन मंत्रालय वन्‍य जीव अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो को सशक्‍त बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है। क्षेत्रीय कार्यालयों, स्‍थानीय इकाइयों और फॉरेंसिक लैबों की संख्‍या में वृद्धि करने के साथ ही वन्‍य जीव अपराध और अपराधियों पर आधारित एक राष्‍ट्रीय डाटाबेस तैयार करने का प्रस्‍ताव प्रक्रिया के दौर में है।

ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिनके बारे में मेरा विचार है कि इन पर आज की बैठक में हमें विचार-विमर्श करना चाहिए। मैं आशा करता हूं कि हमारे सदस्‍यगण और राज्‍य सरकारें हमें अपने विचारों से अवगत कराएंगे, जिनकी सक्रिय भागीदारी और प्रयास हमारे संरक्षण से जुड़े कार्यों के लिए महत्‍वपूर्ण हैं।

मैं सभी को शुभकामना देता हूं कि हम वन्य जीव संरक्षण के प्रयासों को मजबूत बनाने के लिए सार्थक विचार-विमर्श करेंगे।