प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा
प्रबंधित कराई गई सामग्री
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
द्वारा निर्मित एंव संचालित वेबसाइट
शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शिक्षकों के लिए दिए गए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के भाषण का विवरण इस प्रकार है-
शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर आपके साथ होने पर मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। मैं आप सबके साथ मिलकर उस महान शिक्षक, दार्शनिक और शिक्षाविद् डा. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनके जन्मदिन पर हर वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं आप सभी शिक्षक पुरस्कार विजेताओं को इस बहुत ही प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार को प्राप्त करने पर बधाई देता हूं।
मैं शिक्षक समुदाय के सभी सदस्यों को भी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं तथा व्यक्तिगत जीवन और व्यवसाय में आपकी सफलता और संतुष्टि की कामना करता हूं।
शिक्षा से आर्थिक विकास के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता प्राप्त होती है। शिक्षा नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में पूरी तरह से भाग लेने के लिए सशक्त बनाती है और उन मूल्यों को प्रदान करती हैं, जिनसे सामाजिक सामंजस्य और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलती है। किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए जनता का सुशिक्षित होना बहुत आवश्यक है।
यही कारण है कि हमारी सरकार ने 2004-05 से शिक्षा पर सरकारी खर्च को काफी बढ़ा दिया है। 2004-05 में शिक्षा पर हमारे सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत व्यय किया गया, जो 2011-12 में बढ़कर 4 प्रतिशत हो गया है। शिक्षा पर प्रति व्यक्ति सरकारी खर्च 2004-05 के 888 रूपये से बढ़कर 2011-12 में 2,985 रूपये हो गया है। योजना राशि में वृद्धि से शिक्षा के बुनियादी ढांचे का व्यापक विस्तार करने और बड़े पैमाने पर शिक्षकों के लिए अतिरिक्त पद स्वीकृत करने में सहायता मिली है।
इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप शिक्षा तक आम लोगों की पहुंच में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की हाज़िरी लगभग शत-प्रतिशत हो गई है। प्रारंभिक शिक्षा में लड़कियों और लड़कों की संख्या के अंतर में भी कमी आई है। इसी के साथ ही शिक्षा तक पहुंच के मामले में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में भी काफी कमी आई है और अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और अन्य सामाजिक समूहों के बीच अंतर कम हुआ है।
लेकिन छात्रों की पढ़ाई का कमजोर स्तर मुख्य चिंता बना हुआ है। इसलिए जैसे ही हम आगे बढ़ते हैं, हमें शिक्षा के लिए आवश्यक साधनों, पहुंच और हाज़िरी की हमारी नीति में स्पष्ट बदलाव करना होगा और यह देखना होगा कि कक्षा के कमरे और विद्यालय में क्या होता है। बच्चों की हाज़िरी को वास्तव में सार्थक रूप में सुनिश्चित करने के लिए हमें पारदर्शी और विश्वसनीय प्रणालियां स्थापित करनी होगी। इसके साथ ही हमें इस बात का लगातार आकलन करने की प्रणाली भी स्थापित करनी होगी कि बच्चों को शिक्षा से क्या लाभ हो रहा है। इस प्रक्रिया में समाज और अभिभावकों की भागीदारी अनिवार्य है, ताकि वे शिक्षा की गुणवत्ता से संतुष्ट रहें।
इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि हमारे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के हमारे प्रयासों की सफलता में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को नीति निर्धारण, प्रशासन तथा प्रबंधन के साथ-साथ रोजमर्रा की शैक्षिक कार्य नीतियों और निर्णय लेने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनना होगा। शिक्षकों का सशक्तिकरण हमारी शिक्षा सुधार प्रक्रिया का प्रमुख हिस्सा होगा, जिसमें नीति संबंधी परिप्रेक्ष्यों और निर्णय लेने में भागीदारी का शिक्षकों को वास्तविक अवसर देना शामिल है।
हम आपसे उम्मीद रखते हैं कि आप शिक्षक होने के नाते ज्ञान और सत्य की खोज में हमारे देश के बच्चों का मार्ग निर्देशन करें। आपके माध्यम से हम अपेक्षा करते हैं कि हमारे बच्चों में लोकतांत्रिक मूल्यों और समानता, सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के प्रति निष्ठा तथा मानव गरिमा के प्रति सम्मान की भावना पैदा हो। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप बच्चों में स्वतंत्र रूप से सोचने और कार्य करने तथा सुविचारित निर्णय लेने की क्षमता विकसित करें। आपके माध्यम से हमारे बच्चों में दूसरों की भलाई और भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता विकसित होनी चाहिए और सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं में भाग लेने और कार्य करने की योग्यता पैदा होनी चाहिए।
मैं राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओं में इतना सराहनीय ढंग से योगदान देने के लिए आपको फिर से बधाई देता हूं। शिक्षक राष्ट्र के भविष्य की कुंजी हैं, क्योंकि वे राष्ट्र के निर्माता हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप जैसे शिक्षकों के साथ हमारे देश का भविष्य सुरक्षित और उज्जवल है। मेरी कामना है कि देश के सभी शिक्षक हमारे बच्चों के प्रति एक बहुत ही सार्थक और संतोषप्रद भूमिका निभाएं।