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तेहरान में आयोजित गुट निरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के वक्तव्य के मूल पाठ का हिन्दी रूपांतरण –
"मैं गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अध्यक्ष का पद संभालने के लिए इस्लामिक गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति महामहिम डॉ. महमूद अहमदीनेजाद को बधाई देता हूं। अध्यक्ष महोदय, भारत अगले तीन साल तक आंदोलन की अगुवाई करने में ईरान का पूरा सहयोग करेगा।
मैं पिछले शिखर सम्मेलन के बाद आंदोलन की अगुवाई मिस्र द्वारा किए जाने की भी सराहना करता हूं, हालांकि मिस्र भारी घरेलू बदलावों से गुजरता रहा है।
अध्यक्ष महोदय, गुट निरपेक्ष आंदोलन विश्व की बहुतायत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। वह वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास को प्रोत्साहन देने के लिए एक मजबूत ताकत के रूप में काम करता रहा है। हम सब मिलकर काम करते हैं और हमारा साझा उद्देश्य रणनीतिक स्थिति, सामाजिक और आर्थिक विकास को कायम रखना तथा ऐसी दुनिया बनाने का प्रयास करना है, जहां न्याय और बराबरी हो। यह सभी पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं।
अध्यक्ष महोदय, आपने शिखर सम्मेलन का जो विषय – संयुक्त वैश्विक प्रशासन द्वारा दीर्घकालिक शांति - चुना है, वह प्रासंगिक है। वैश्विक प्रशासन संबंधी आज का जो ढांचा है, वह अतीत के शक्ति समीकरण पर आधारित है। इसमें हैरत की कोई बात नहीं है कि हमारे समय के आर्थिक और राजनीतिक संकटों के मद्देनजर यह अपर्याप्त साबित हो चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा स्वच्छ आर्थिक एवं वित्तीय तौर-तरीकों को देखते हुए वैश्विक प्रशासन की कमी खुलकर सामने आई है।
पश्चिम एशियाई और उत्तर अफ्रीकी क्षेत्रों में भारी बदलाव आ रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत लोकतांत्रिक और बहुलतावादी व्यवस्था के लिए लोगों की इच्छाओं का समर्थन करता है। इसके बावजूद इस तरह के बदलाव बाहरी दखल से संभव नहीं हैं, क्योंकि इससे साधारण नागरिकों की तकलीफें बढ़ जाती हैं। सीरिया की गिरती हालत विशेष चिंता का विषय है। दुनियाभर में स्वीकृत सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए हमारे आंदोलन को इस विषय पर अपना रूख अपनाना चाहिए। हमें सभी दलों से आग्रह करना चाहिए कि वे सभी सीरियाई नेवृत्व वाले समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए संकट को शांति के साथ हल करने का प्रयास करें, ताकि सीरिया के नागरिकों की सभी वैधानिक आकांक्षाएं पूरी हो सकें।
गुट निरपेक्ष आंदोलन ने हमेशा फलीस्तीनी लोगों के मुद्दों का समर्थन किया है। आज हमें अपने संकल्प को दोहरना चाहिए कि फलीस्तीनी समस्या का जल्द समाधान हो, ताकि वहां के लोगों की तकलीफें दूर हों और वे अपने देश में शांति और सम्मान के साथ जिंदगी बिता सकें।
अध्यक्ष महोदय, अतीत में व्यक्तिगत रूप से हमारी एक छोटी आर्थिक और सैनिक हैसियत हुआ करती थी, लेकिन हमारे आंदोलन की सम्मिलित आवाज़ और तार्किक हस्तक्षेप ने हमारे आंदोलन को सम्मान तथा विश्वसनीयता प्रदान की है। आज हमें फिर से विभिन्न मुद्दों पर उसी प्रकार आवाज़ उठाने की जरूरत है।
आज हमें समन्वित वैश्विक गतिविधि के जरिए एक दूसरे को प्रभावित करने वाले और सभी देशों की समान चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक प्रशासन संबंधी नये तरीकों की जरूरत है। इनमें अंतर्राष्ट्रीय आंतकवाद, विनाशकारी हथियारों का प्रसार, समुद्री डाकुओं का खतरा, साइबर सुरक्षा को खतरा और पारिस्थितिकीय टिकाऊ विकास प्राप्त करने की चुनौतियां, ऊर्जा, पानी और भोजन सुरक्षा शामिल हैं।
हमारे आंदोलन को एक भरोसेमंद और प्रभावशाली वैश्विक प्रशासन ढांचा बनाने की पहल करनी चाहिए। मैं पूरी उम्मीद करता हूं कि आंदोलन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाओं में सुधार के लिए कार्रवाई करने पर राजी होगा। वैश्विक व्यापार, वित्त और विकास जैसे विषयों पर जब तक प्रगतिशील देश मिलकर आवाज़ बुलंद नहीं करेंगे, तब तक मौजूदा समस्याओं से कुशलता के साथ निपटना मुश्किल है।
विकासशील देश दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को विकासशील दुनिया में संरचनात्मक विकास के लिए निवेश की खातिर प्रोत्साहित करना चाहिए। हमें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि मौजूदा आर्थिक संकट विकसित देशों से विकासशील देशों को प्राप्त होने वाले विकास सहयोगों को धीमा न कर सके।
आज हम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर साथ-साथ हैं, लेकिन यह बात भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हम समस्याओं से निपटने और अपने विकास के लिए अपनी परिस्थितियों को देखते हुए एक-दूसरे का सहयोग करें।
उदाहरण के लिए विकासशील दुनिया सौर ऊर्जा की तरह नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में बहुत समृद्ध है। हमें नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अपने वित्तीय और बौद्धिक संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। औद्योगिकीय विश्व में इन प्रौद्योगिकियों पर कम ध्यान दिया जाता है, क्योंकि वहां संसाधन आधार भिन्न है। इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने से हमें पर्यावरण को बचाए रखने में भी सफलता मिलेगी। इस प्रयास में हम एक-दूसरे से सीख सकते हैं।
इसी तरह हमारे जैसे कई देशों में खाद्य सुरक्षा एक बुनियादी समस्या है। अत्यधिक मोल-तोल, ढांचागत अड़चनें और समन्वय की कमी के कारण पूरे विश्व के पैमाने पर खाद्य पदार्थों की महंगाई बढ़ रही है। हमारे आंदोलन को कृषि उत्पादकता, मौसम अनुमान, अनुसंधान और विकास जैसे क्षेत्रों में दुनिया के पैमाने पर प्रभावशाली खाद्य नीति, समन्वय तथा सहयोग के लिए प्रयास करना चाहिए।
शायद हमारे लिए सबसे अच्छा यह होगा कि हम ज्ञान अर्थव्यवस्था में निवेश तथा अपने मानव संसाधनों के निर्माण पर ध्यान दें। जब हमारे सामने अनोखी विकास चुनौतियां हों, हमारे युवाओं के पास सृजनशीलता और ऊर्जा है, जो इन समस्याओं का अभिनव और वहन करने योग्य तरीकों से निपट सकते हैं। बहरहाल, हमें चाहिए कि हम उन्हें कौशल प्रदान करें और उन्हें दुनिया की अर्थव्यवस्था में तेजी से होने वाले बदलाव के मद्देनजर रोजगार प्राप्त करने के योग्य बनाएं। ज्ञान अर्थव्यवस्था आधारित कौशल विकास संबंधी गुट निरपेक्ष आंदोलन की पहल में योगदान देने में भारत को प्रसन्नता होगी।
अध्यक्ष महोदय, अफ्रीका महाद्वीप ने गुट निरपेक्ष आंदोलन के कई नेताओं को बौद्धिक स्रोत प्रदान किया है। आंदोलन का विकास और अफ्रीका का उपनिवेश से छुटकारा लगभग साथ-साथ ही हुआ है। इसलिए अफ्रीका का गुट निरपेक्ष आंदोलन में एक विशेष स्थान है। भारत की अफ्रीका के साथ रणनीतिक साझेदारी है, जो इस बात पर आधारित है कि अफ्रीका के लोगों को इसका प्राथमिक लाभ मिले। उल्लेखनीय है कि इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट पूरे अफ्रीका में संस्थान-निर्माण के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का अवसर प्रदान करता है, ताकि हमारे बहुस्तरीय योगदान को बढ़ाया जा सके। मैं आंदोलन के इच्छुक सदस्यों को अफ्रीका आधारित क्षेत्रों में भारत के साथ काम करने के लिए आमंत्रित करता हूं।
लगभग दो दशक पहले भारत ने ‘लुक ईस्ट’ नीति शुरू की थी, ताकि एक नई एशियाई आर्थिक बिरादरी हमारे पूर्व में तैयार हो सके और हम सबको उसका लाभ मिल सके। बहरहाल हमारे पश्चिम में आधारित एशियाई क्षेत्र की प्रगति, समृद्धि, राजनीतिक स्थिरता हमारे लिए हमेशा ऐतिहासिक और सभ्यता संबंधी महत्व वाली रही है। पूर्व एशियाई क्षेत्र अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल कर सकता है, शांति और समरसता से रह सकता है तथा लोकतांत्रिक और बहुलतावादी समाजों के साथ मिलकर 21वीं सदी में मानवीय प्रगति और शांति के लिए भारी योगदान दे सकता है।
अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि मुझे शांति और समृद्धि कायम करने तथा आंदोलन के सामूहिक प्रयासों के प्रति दोबारा संकल्पित होने का अवसर मिला, जिसकी हमारी संकटग्रस्त दुनिया में बहुत आवश्यकता है। विभिन्न मुद्दों पर हमारे सदस्यों के भिन्न-भिन्न विचार हैं, लेकिन हमारे साझा भविष्य और एकजुटता ने हमें समान उद्देश्य प्रदान किए हैं। मुझे यकीन है कि हमारे विचार-विमर्श से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस ऐतिहासिक आंदोलन को उसकी सही जगह प्राप्त होगी।"