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वित्त वर्ष 2012-13 अवसंरचना के लक्ष्यों को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह के मूल भाषण का अनुवादित रूप निम्नानुसार है :-
मुझे खुशी है कि वित्त वर्ष 2012-13 के लिए मुख्य अवसंरचना क्षेत्रों के लिए निर्धारित लक्ष्य को अंतिम रूप देने के लिए व्यापक स्तर पर कवायद की जा रही है। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बढावा देने की आवश्यकता से हम सभी अवगत हैं और आज की कवायद इस दिशा में किये जा रहे हमारे प्रयासों का एक भाग हैं। इस अति महत्वपूर्ण कार्य से जुडे हुए सभी लोगों को मैं धन्यवाद देता हूं।
पिछले आठ वर्षों के दौरान आकर्षक उच्च वृद्धि दर प्राप्त करने और विश्व में दूसरी सबसे तेज बढती बडी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के बाद अब हम अत्यधिक कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। विश्व की अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है और चारों तरफ यूरोजोन चिंता का कारण है। इसके बाद गत् कुछ वर्षों में पैट्रोलियम की बढती अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की समस्या भी बनी हुई है। घरेलू स्तर पर बढती मांग के साथ-साथ आपूर्ति पक्ष में मौजूदा अवरोधकों के कारण महंगाई पर दबाव रहा है। इन सभी कारकों के कारण एक विकट आर्थिक चुनौती है।
इन कठिन परिस्थितियों में व्यापार और निवेशकों की भावनाओं को पुर्नजीवित करने के लिए हमें हर संभव कदम उठाने चाहिए। हमें एक ऐसा वातावरण तैयार करने की जरूरत है जो निवेश और विकास प्रक्रिया में बाधा बनने वाले किसी भी अवरोधक को दूर करने में सहायक हो। हम एक सरकार के रूप में मौजूदा परिस्थिति को बदलने और भारत की विकास गाथा को पुर्नजीवित और पटरी पर लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कटिबद्ध हैं। हम इस बात से अवगत हैं कि इसे प्राप्त करने के लिए हमें अनेक मोर्चो पर कार्य करना है और इसके लिए हमें जो कुछ भी करना होगा, हम करेंगे।
मुझे विश्वास है कि हम सब इस बात से सहमत हैं कि अवसंरचना का विकास तीव्र आर्थिक विकास के लिए किसी भी साध्य रणनीति का एक महत्वपूर्ण भाग है। अल्पावधि में अवसंरचना का विकास हर तरफ से अर्थव्यवस्था में निवेशक की दर को बढाने में मदद करेगा। दीर्घावधि में यह आपूर्ति से संबंधित अवरोधकों को दूर करेगा जो कृषि उद्योग और व्यापार से संबंधित गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। अवसंरचना क्षेत्र की आवश्यकताएं व्यापक हैं और इस क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक का अनुमान है। सरकार अकेले इस बड़ी राशि को निवेश नहीं कर सकती और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस क्षेत्र में सार्वजनिक, निजी भागीदारी के जरिये निजी क्षेत्रों को शामिल करें।
आज जो हम लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं वे निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी और कारगर हैं। पहले के प्रदर्शनों की तुलना में वे काफी महत्वपूर्ण हैं। जैसे सड़कों में हम इस वर्ष 9,500 किलोमीटर सड़क निर्माण का ठेका देने की योजना बना रहे हैं और नये प्रणाली के तहत मरम्मत कार्य के लिए 4 हजार किलोमीटर से भी अधिक सड़कों का मरम्मत कार्य सौंपने की योजना बना रहे हैं। रेलवे में हम मुंबई में एलिवेटिड रेल कॉरिडोर, दो नये लोको विनिर्माण इकाईयां और डेडिकेटिड माल ढुलाई गलियारा का सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) प्रसार तथा इसके अतिरिक्त पीपीपी तर्ज पर 4 या 5 स्टेशनों के पुर्नविकास की योजना बना रहे हैं। जहाजरानी क्षेत्र में हमने दो नये बड़े पीपीपी पत्तन के चुनौती भरे कार्य को सौंपने का लक्ष्य रखा है जो दशकों में पहला है और इसके अतिरिक्त क्षमता निर्माण के लक्ष्य में पिछले वर्ष की तुलना में यह तीन गुना है।
नागर विमानन क्षेत्र में नवी मुंबई, गोवा और कन्नूर में तीन नये ग्रीन फील्ड हवाई अड्डों का निर्माण कार्य सौंपा जायेगा तथा लखनऊ, वाराणसी, कोयम्बटूर, त्रिची और गया में नये अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों का निर्माण किया जायेगा। इसके साथ देश में दो नये केंद्र भी बनाये जाएंगे जो गन्तव्य स्थान के साथ-साथ पारगमन केंद्र का भी काम करेगा। ऊर्जा क्षेत्र में हम 18,000 मेगावाट क्षमता निर्माण का कीर्तिमान हासिल करना चाहते हैं।
इन लक्ष्यों को प्राप्त करने और इस रास्ते में अवरोधकों से निपटने के लिए अब मिलकर कार्य करने की चुनौती है। जो हमने योजना बनाई है उसके कार्यान्वयन के लिए मैं सभी मंत्रालयों से ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने का आग्रह करता हूं। मैं उनसे अंतर्मंत्रालयी भेदभावों या जमीनी विवाद जो इस क्रम में सामने आ सकते हैं उन्हें त्वरित ढंग से निपटाने की आशा रखता हूं।
मैं आपके प्रयासों से काफी उत्साहित हूं और मुझे विश्वास है कि हम इसे पूरा करेंगे। मेरी तरफ से आप सबको बधाई और दूसरी और तीसरी तिमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की मैं आशा करता हूं।