भाषण [वापस जाएं]

May 29, 2012
यांगोन, म्‍यामां


यांगोन में बुद्धिजीवियों और व्‍यावसायिक समुदायों को प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का यांगोन में आज बुद्धिजीवियों और व्‍यावसायिक समुदाय को संबोधन का अनुदित पाठ इस प्रकार है:

मैं म्‍यामां के वाणिज्‍य और उद्योग महासंघ तथा म्‍यामां विकास संसाधन संस्‍थान का काफी आभारी हूं कि उन्‍होंने मुझे यहां एकत्रित गणमान्‍य व्‍यक्तियों के सामने बोलने का अवसर दिया।

मैं म्‍यामां के लोगों को भारत के लोगों की ओर से शुभकामनाएं और बधाई देता  हूं।

मैं खूबसूरत और मनमोहक शहर  पी टा में दो दिन बिताने के बाद यांगोन आया हूं। मुझे म्‍यामां के नेताओं के साथ चर्चा करके काफी खुशी हुई है। राष्ट्रपति थींन सेन पिछले साल भारत आए थे तथा उन्‍होंने दोनों देशों के बीच सहयोग के नए युग की शुरूआत की । म्‍यामां दोनों देशों के बीच अपने काफी पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को और बढ़ाना तथा मज़बूत करना चाहता है। हम उनकी इस भावना का स्‍वागत करते हैं और भारत भी दोनों देशों के बीच के रिश्‍ते को और प्रगाढ़ करना चा‍हता है।

भारत और म्‍यामां के काफी पुराने सांस्‍कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। दोनों देशों के व्‍यापारी, भिक्षु तथा समुद्री व्‍यापारियों ने एक दूसरे के कार्यों और  परंपराओं का आदान-प्रदान किया। 

बौद्ध विरासत, हमारे देशों के लोगों के बीच एक मज़बूत आध्‍यात्मिक बंधन हैं। इस वर्ष पावन श्‍वेदगोन पैगोडा की 2600वीं जयंती है। मैं यहां आज देर शाम को प्रार्थना करूंगा।

हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हमारे नेताओं ने स्वतंत्रता पाने हेतु विचारों को एक दूसरे के साथ साझा किया।

आज हमें हमारे प्राचीन संबंधों में पुनः नवीनता लाने का अवसर प्राप्त हुआ है। म्यामां भारत की पूर्वोन्मुख नीति का महत्वपूर्ण भागीदार है और वह भारत और चीन तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

कल हमने अनेक सीमा बाजारों को स्‍थापित करने पर  सहमति व्‍यक्‍त की। इसकी शुरूआत भारत में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर पंगसाऊ और म्‍यांमा में सागाइंग में होगी। हम री-टीडिम सड़क सहित सीमा पर बुनियादी जरूरतें विकसित करने के दिशा में कार्य कर रहे हैं, जिससे मिजोरम और चिन के बीच व्‍यापार संपर्क बढ़ेगा।

इन प्रयासों से स्‍थानीय अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत होगी और रोजगार के अवसर प्राप्‍त होंगे। इन उपायों से इन क्षेत्रों में विद्रोही गुटों और अन्‍य आपराधिक तत्‍वों की गतिविधियों पर अंकुश लग सकेगा।

भारतीय उद्योग की म्‍यांमा में दिलचस्‍पी बढ़ी है। हमारे आर्थिक संबंधों की पूरी संभावना का पता लगाने के लिए हमें व्‍यापार और निवेश को बढ़ाना होगा। वित्‍तीय लेन-देन आसान करने के लिए द्विपक्षीय बैंकिंग व्‍यवस्‍था करने की जरूरत है। मुझे खुशी है कि यूनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया म्‍यांमा में अपना कार्यालय खोलने की प्रक्रिया में है।

मुझे विश्‍वास है कि हम वर्ष 2015 तक तीन अरब अमरीकी डॉलर के कुल व्‍यापार लक्ष्‍य से आगे बढ़ जाएंगे। लेकिन हमें अपने व्‍यापार में विविधता लाने की जरूरत है। भारत और अधिक कृषि उत्‍पाद, कोयला और अन्‍य खनिज आयात कर सकता है और भारी उद्योग की वस्‍तुएं, रसायन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स और वस्‍त्र निर्यात कर सकता है।

ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग की बहुत संभावना है। तेल क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंधों का बर्मा शैल के दिनों से लम्‍बा इतिहास रहा है। हमें ऊर्जा क्षेत्र में व्‍यापक सहयोग करना चाहिए, जिसमें भारत की विशेषज्ञता का इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

मानव संसाधन विकास हमारे विकास कार्यक्रम का एक महत्‍वपूर्ण घटक है। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने अपने तकनीकी सहायता कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रशिक्षण स्‍थानों की संख्‍या हर वर्ष 250 से दुगुना कर 500 कर दी है। कल हमने म्‍यांमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोरमेशन टेक्‍नोलॉजी स्‍थापित करने के बारे में एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए, जिससे आईसीटी क्षेत्र में क्षमता बढ़ेगी।   

म्‍यांमा राष्‍ट्र निर्माण के नये चरण में प्रवेश कर रहा है। भारत सरकार म्‍यांमा की दीर्घका‍लिक विकास प्राथमिकताओं को सहायता देने के लिए उसकी तरफ दोस्‍ती का हाथ बढ़ाने के लिए तैयार है। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए हम मिलकर सहयोग के नये क्षेत्रों का पता लगाएंगे।

हमें म्‍यांमा के स्‍पीकर के नेतृत्‍व में एक संसदीय प्रतिनिधि मंडल के आगमन पर खुशी हुई, हमें इस तरह के आदान-प्रदान को प्रोत्‍साहित करना चाहिए। मुझे खुशी है कि हमारे नागर विमानन अधिकारियों ने प्राईवेट विमानों सहित सीधी उड़ानों पर सहमति व्‍यक्त की है। हमें जहाजरानी संपर्क बढ़ाने के लिए भी इसी तरह की पहल करने की जरूरत है।

हम शिक्षा संस्‍कृति और साहित्‍य के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए भारत- म्‍यांमा फाऊंडेशन के विचार का अध्‍ययन कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण बगान में आनंदा मंदिर की मरम्‍मत का कार्य कर रहा है।

हमें स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी सहयोग करने की जरूरत है। कलकत्ता और दागोन यूनिवर्सिटी के बीच सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर होना स्‍वागत योग्य कदम है। कृषि के क्षेत्र में अच्‍छी प्रगति हुई है। हमने नेपिदो के नजदीक आधुनिक कृषि अनुसंधान, शिक्षा केन्‍द्र की स्‍थापना के समझौते पर कल हस्‍ताक्षर किए।

हमें सुरक्षा सहयोग करने की जरूरत है, जो न केवल हमारी जमीनी सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए, बल्कि समुद्री व्‍यापार की रक्षा के लिए भी जरूरी है। क्षेत्रीयों मंचों पर सहयोग बढ़ाना भी हमारे आपसी हित में होगा। हम म्‍यांमा के क्षेत्रीय समूहों का नेतृत्‍व संभालने का इन्‍तजार कर रहे हैं। वह इस वर्ष बिम्‍सटेक शिखर बैठक और 2014 में आसियान शिखर सम्‍मेलन की मेजबानी करेगा।

मुझे आज सुबह डॉ आंग सान सू की से मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ। भारत में हम उनके साहस, दृढ़ता और बलिदान की सराहना करते हैं। वो एक देशभक्त हैं और मुझे आशा है कि इस खूबसूरत देश में जारी बदलाव की प्रक्रिया और व्यापक सामंजस्य में वह महत्वपूर्ण योगदान देंगी। वह भारत की भी पुरानी मित्र रही हैं। हमें खुशी है कि उन्होंने प्रतिष्ठित नेहरु स्मारक व्याख्यान देने के लिए सहमति व्यक्त की है।  हम उनके पुराने घर में उनका स्वागत करने के लिए तत्पर हैं।

भारत के लोग एक प्रतिनिधि लोकतंत्र, सभी प्रजातीय समूहों के साथ सामंजस्य तथा आर्थिक और राजनैतिक सुधार के निर्माण कार्यों में संलग्न म्यांमा के लोगों के हित की कामना करते हैं। म्यामां के विशिष्ट ऐतिहासिक और राजनैतिक परिस्थितियों में लोकतंत्र का पथ विकसित होना चाहिए और यह यहां के लोगों की बुद्धिमता और यहां की परंपराओं पर आधारित होना चाहिए।

भारत में हमारा अनुभव रहा है कि वास्तविक सामंजस्य के लिए बातचीत और शांतिपूर्ण चर्चाएं सर्वश्रेष्ठ राह है। विभिन्न प्रजातीय समूहों के साथ शांतिपूर्ण निपटान के लिए म्यामां के सरकार के प्रयासों की मैं सराहना करता हूं।  अब उन्हें पूरी तरह से लोकतांत्रिक पथ को स्वीकार करना चाहिए और देश की प्रगति में सक्रिय साझेदार के रुप में सामने आना चाहिए।

आर्थिक सुधारों का पथ अक्सर काफी मुश्किल और परेशानी भरा होता है। इस प्रक्रिया में समाज के उन वंचित वर्गों की मदद के लिए विशेष कदम उठाने की आवश्यकता होती है जो अभी सशक्त नहीं है, ताकि उन्हें विकास और वैश्वीकरण का फल प्राप्त हो सके।  स्थानीय समुदायों और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में अलग पड़े लोगों की ज़रुरतों  का ध्यान रखा जाना चाहिए।  हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे पर्यावरण को खतरा हो अथवा उस पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचे जिसने सदियों से हमें कायम रखा है।

अंतत:, देश की प्रगति वहां के लोगों की ऊर्जा, सृजनात्मकता, उत्साह के भाव और उद्यमशीलता पर निर्भर होता है। केवल सार्थक राजनैतिक और आर्थिक सुधार ही प्रत्येक नागरिक को अवसरों का अधिकार और आजादी प्रदान कर सकता है ताकि वो अपनी क्षमता को महसूस कर सके और गरिमापूर्ण तथा सामाजिक और आर्थिक पूर्णता का जीवन बसर कर सके।  प्रत्येक नागरिक के सशक्तिकरण के द्वारा हम शांतिपूर्ण सौहार्दपूर्ण और आत्मविश्वास से परिपूर्ण राष्ट्र के निर्माण की आधारशिला रखते हैं।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि म्यामां की अपनी यात्रा से मैं काफी संतुष्ट हूं। दोनों देशों के बीच संबंधों में अपार क्षमता और विश्वास है और मैं दोनों देशों के बीच मित्रता, सहयोग और समान सौहार्द के निर्माण के लिए म्यामां के नेतृत्व और लोगों के साथ भविष्य में साथ करने की दिशा में आगे देखता हूं।