भाषण [वापस जाएं]

May 5, 2012
नई दिल्‍ली


राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनसीटीसी) के लिए बैठक में प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दिल्ली में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनसीटीसी) के लिए बैठक को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के संबोधन का अनूदित पाठ इस प्रकार हैः-

“राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनसीटीसी) के परिचालन संबंधी बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर आयोजित इस बैठक में मैं आप सभी का स्वागत करता हूं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमने पहले 16 अप्रैल 2012 को मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा करने का विचार किया था। लेकिन इस मुद्दे के महत्व और कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा जाहिर चिंता के परिप्रेक्ष्य में हमने खास तौर पर सिर्फ इसी विषय पर बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया। मुझे पूरी आशा है कि आज आपकी चर्चाओं के परिणामस्वरुप हम आतंकवाद निरोधक संरचना और इस समस्या से निपटने के लिए अपनी संचालन और सांस्थानिक क्षमताओं में अधिक सुधार लाने में और अधिक प्रगति करेंगे। मुझे यह भी आशा है कि आज कि चर्चा सौहार्दपूर्ण और सहयोग के वातावरण में होगी, जो आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

मैंने जो कुछ पहले कहा है उसे दोहराना चाहूंगा। हमारे संविधान में राज्यों और संघ को प्रदत्त शक्तियों के वितरण को किसी भी प्रकार प्रभावित करना हमारी सरकार की मंशा नही है। एनसीटीसी की स्थापना राज्य और केन्द्र के आमने-सामने होने का मुद्दा नहीं है। एनसीटीसी की स्थापना के पीछे प्रमुख उद्देश्य इस विशाल देश में आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में समन्वय स्थापित करना है, जैसा खुफिया ब्यूरो अब तक करता आया है। एनटीसीटी आतंकवाद पर काबू पाने और आतंकी गतिविधियों को दूर करने के हमारे साझा उद्देश्यों के संयुक्त प्रयासों का संचालक होना चाहिए।

आतंकवाद आज हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित बड़े खतरों में से एक है। राष्ट्रीय और राज्य दोनों ही स्तरों पर सशक्त तंत्र के साथ प्रभावी आतंकवाद निरोधक पद्धति को स्थापित करने के संदर्भ में कोई असहमति नहीं हो सकती। केन्द्र और राज्य अकेले इस कार्य को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए सीमा पार और भीतर से प्राप्त होने वाले खतरों से निपटने के लिए करीबी सहयोग और समन्वय आवश्यक है।

मेरा मानना है कि विश्व और हमारे देश के सभी राज्यों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर एक संयुक्त राष्ट्रीय दृष्टिकोण को रुप और आकार देना केन्द्र की जिम्मेदारी है और अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकारों को अपनी विशेषज्ञता, ज्ञान और तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए तथा केन्द्र और अन्य राज्यों के साथ समन्वय में कार्य करना चाहिए।

26/11 के बाद से हमने राज्यों और केन्द्र दोनों में अपनी आतंक निरोधी क्षमताओं को बेहद कर्मठता के साथ मजबूत किया है। मेरा मानना है कि आज राज्य और केन्द्र पुलिस तथा खुफिया एजेंसियां सौहार्दपूर्ण तरीके से आपसी समन्वय में कार्य कर रही हैं। इन प्रयासों से काफी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है। बीते कुछ समय में राज्य पुलिस बलों ने कुछ बेहद महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए हैं। कुल मिलाकर सीमा पार आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और धर्म आधारित आतंकवाद समेत विविध आयामी भारत में आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति और उपायों पर मोटे तौर पर सहमति है।

आतंकवाद से निपटने के लिए हमारी सरकार राज्य सरकारों के साथ काम करने और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता और राज्य पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों के प्रशिक्षण सहायता प्रदान करने में सहयोग करते रहे हैं। सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा तथा राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजनाओं को भी हम कार्यान्वित कर रहे हैं। हमारी सरकार इन प्रयासों को मज़बूती से जारी रखेगी।

मंत्रिसमूह और प्रशासकीय सुधार आयोग द्वारा करगिल की घटना से प्राप्त सबक के फलस्वरुप प्रदान संस्तुतियों के तहत एनसीटीसी का प्रावधान किया गया। हमारा मानना है कि अपनी रुपपेखा और परिचालन के पहलुओं के साथ एनसीटीसी राज्यों की आतंकवाद निरोधक क्षमताओँ में सहयोग करेगा न कि इसमें बाधक होगा। एनसीटीसी प्रणाली प्रत्येक राज्य एजेंसी को आतंकी खतरे की बडी तस्वीर प्रदान करेगा जिससे उनकी आतंकवाद निरोधक क्षमताओं को बढ़ाने और आतंकी खतरे से निपटने में संसाधनों को सुगम बनाने में वृद्धि होगी।

लेकिन एनसीटीसी के निर्बाध और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए यह बहुत ज़रुरी है कि इसकी शक्तियों और कार्यों पर विस्तृत आम राय हो। हम चाहेंगे कि इस महत्वपूर्ण पहल में राज्य सरकारें हमारे साथ हों, जो कि हम समझते हैं कि हमारे आतंकवाद निरोधी प्रयासों को मज़बूत करेगी। हम मुख्यमंत्रियों के सुझावों का स्वागत करते हैं। हम उनके विस्तृत ज्ञान, विवेक और अनुभव का लाभ प्राप्त करना चाहेंगे।

गृह मंत्रालय ने हमारी चर्चाओं के लिए तैयारी में, गैर कानूनी गतिविधियां (निवारण) कानून की धारा 43 ए के तहत स्थायी परिषद के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओँ और संचालन शक्तियों के प्रयोग के लिए मसौदे को परिचालित किया है। दोनों मसौदे एनसीटीसी की सांगठनिक व्यवस्था और इसकी प्रस्तावित शक्तियों तथा कार्यों दोनों में केन्द्र-राज्य समन्वय के लिए विस्तृत प्रावधानों को प्रतिबिंबित करते हैं।

इन शब्दों के साथ ही मैं आपकी चर्चाओं के लिए सफलता की कामना करता हूं और मैं एक स्वतंत्र चर्चा की आशा करता हूं। मेरी कामना है कि आज कि चर्चा हमारे देश में आतंकवाद निरोधक संरचना को और अधिक प्रभावी प्रकार से स्थापित करने में हमें आगे साथ मिलकर काम करने में सक्षम बनाए।”