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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मानेसर, हरियाणा में भारतीय कार्पोरेट कार्य परिसर संस्थान के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के वक्तव्य का हिन्दी रुपांतरण इस प्रकार है :-
हम सब यहां एक अत्यंत पवित्र दिन जमा हुए हैं। आज बैसाखी है। मैं आप सबको और हरियाणा के लोगों को बैसाखी की शुभकामनाएं देता हूं।
भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान की परिकल्पना कार्पोरेट कानून और संबंधित विषयों में अनुसंधान करने वाले संस्थान तथा एक थिंक-टैंक के रूप में की गयी थी। इसके अलावा भारतीय कंपनी विधि सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए भी इस संस्थान की आवश्यकता थी। मैं इस महत्वपूर्ण पहल के लिए कार्पोरेट कार्य मंत्रालय को धन्यवाद देता हूं। अपने नए परिसर की पवित्र शुरूआत के दिन मुझे पूरा भरोसा है कि संस्थान उम्मीदों पर खरा उतरेगा।
पिछले दो दशकों के दौरान हमारे देश ने बड़े बदलाव देखे, जिसमें हरियाण अग्रणी रहा। इस दौरान हमारी अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। हरियाणा ने इस वृद्धि का नेतृत्व किया। इस उच्च आर्थिक विकास के प्रमुख कारकों में कार्पोरेट क्षेत्र का बहुत योगदान था। इसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की और आज हमारी कंपनियां विश्वभर में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
हमारे कार्पोरेट क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है और जो हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ आगे बढ़ रही है। मुझे बताया गया है कि वर्ष 1956 में जब कंपनी अधिनियम वजूद में आया था, उस समय हमारे पास लगभग 30 हजार पंजीकृत कंपनियां थीं। आज कार्पोरेट कार्य मंत्रालय के पास नौ लाख कंपनियां पंजीकृत हैं। कार्पोरेट सेक्टर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा, इसलिए हमारा यह निरंतर प्रयास होना चाहिए कि हम अपनी कंपनियों को बोझिल न होने दें, उन्हें ग्राहकों के अनुकूल बनाएं, उनके लिए पारदर्शी नियामक वातावरण तैयार करें ताकि वे प्रभावशाली तरीके से काम कर सकें, अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें और हमारे आर्थिक विकास और सामाजिक तकाजों को पूरा करने के लिए योगदान देने के लिए सक्षम हों।
हमारी सरकार ऐसा वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जो उद्यमों के लिए मददगार हो और उद्यमशीलता का विकास हो सके। यह ऐसा वातावरण होगा जो आर्थिक विकास और जीवनस्तर को ऊँचा करने में सहायक होगा। हम एक नियामक और नीतिगत वातावरण के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिनके बल पर हमारी जनता की सृजनशीलता बढ़ेगी और हम अपने गणतंत्र के संस्थापकों की उम्मीदों को पूरा करेंगे। अगर ऐसा करना है तो हमें भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। हमें प्रशासन की प्रणाली, नियमों, प्रक्रियाओं के साथ तालमेल बिठाना होगा ताकि भविष्य में पैदा होने वाली आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। हमें क्षितिज की तरफ लगातार देखना होगा और आने वाली चुनौतियों के हल के लिए पहले से ही योजना बनानी होगी।
इस संदर्भ में संस्थान की थिंक-टैंक वाली भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। कार्पोरेट कानूनों की समय-समय पर समीक्षा की जानी और उनमें संशोधन किया जाना जरूरी है। महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नए विचारों की आवश्यकता है। मिसाल के तौर पर निवेशकों की शिक्षा एवं सुरक्षा, कार्पोरेट प्रशासन, कार्पोरेट सामाजिक दायित्व और प्रतिस्पर्धा कानून। मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी एमसीए-21 नामक ई-प्रशासन की अपार क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके अलावा छोटी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के महत्व तथा सीमित दायित्व वाली साझेदारी जैसी नई प्रणाली के महत्व को भी पहचाना जाना चाहिए। इस संदर्भ में मंत्रालय को नई संरचनाओं और रुपरेखाओं को विकसित करने की आवश्यकता है।
मैं उम्मीद करता हूं कि भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान इस भूमिका को पूरा करेगा और कार्पोरेट क्षेत्र, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों तथा इन्स्टिट्यूट आफ चार्टेड एकाउंटेस आफ इंडिया, इन्स्टिट्यूट आफ कॉस्ट एकाउंटेंस आफ इंडिया और इन्स्टिट्यूट आफ कंपनी सेक्रेटरीज आफ इंडिया जैसे व्यावसायिक संस्थानों, निवेशकों, जमाकर्ताओं, कारोबारी संस्थानों, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक एवं व्यावसायिक संस्थानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान को कार्पोरेट कानून, कार्पोरेट प्रशासन, कार्पोरेट सामाजिक दायित्व, एकाउंटिंग मानकों, ई-प्रशासन, व्यावसायिकों के प्रशिक्षण और निवेशकों के शिक्षण जैसे क्षेत्रों से संबंधित हितधारकों को सेवाएं प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। संस्थान को अपनी गतिविधियों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य करना चाहिए ताकि भारतीय व्यापार की दखल विश्व स्तर पर हो सके। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान ने व्यापार के सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक दायित्वों के संदर्भ में राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशा-निर्देश तैयार करने में मदद की है। ये दिशा-निेर्देश निर्देशात्मक न होकर अपनी प्रकृति में स्वैच्छिक हैं, जैसा कि उन्हें होना चाहिए। इनसे व्यापार को यह मदद मिलती है कि वह समाज की उम्मीदों के अनुरूप अपनी वित्तीय गतिविधि चला सकें।
मैं अपने मंत्रिमंडलीय सहकर्मी डॉ. एम वीरप्पा मोइली की सराहना करता हूं कि उन्होंने भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान के अतर्गत राष्ट्रीय कार्पोरेट सामाजिक दायित्व फाउंडेशन का गठन किया है। इससे हमारे देश को कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने में सहायता मिलेगी। मुझे भरोसा है कि भारतीय कंपनियां और व्यापार पूरे विश्व में यह उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं कि कैसे कार्पोरेट क्षेत्र समानता, सबके लिए न्याय और समावेशी विकास को प्राप्त करने में योगदान करते हैं।
कंपनी विधेयक इस समय संसद के विचाराधीन है, जिसमें कार्पोरेट सामाजिक दायित्व, कार्पोरेट प्रशासन और निवेशक संरक्षण को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। मुझे उम्मीद है कि यह विधेयक जल्द पारित हो जाएगा।
अंत में मैं उन सबको एक बार फिर धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान के गठन में अपना योगदान दिया है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में यह संस्थान एक उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में सामने आएगा। मैं इसकी सफलता की कामना करता हूं।