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कोरियाई गणराज्य की द्विपक्षीय आधिकारिक यात्रा के दौरान सियोल में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का मीडिया को दिया गये वक्तव्य का पूर्ण भाग निम्नलिखित है।
मुझे कोरियाई गणराज्य की द्विपक्षीय आधिकारिक यात्रा के लिए प्रसन्नता हो रही है। अपने सामरिक भागीदारी में और तेजी लाने के क्रम में राष्ट्रपति श्री ली और हमने बातचीत का दौर अभी खत्म किया है। हम लोगों की यह भागीदारी मूल्यवान विचारों पर तैयार की गई है, जो आगे के विकास के लिए ठोस नींव प्रदान करेगी। राष्ट्रपति श्री ली ने हमारे सामरिक भागीदारी के अर्थ एवं उसके विचारों को मजबूती देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। मैं श्री ली को उनके योगदान के लिए धन्यवाद देता हूं।
हमारी बातचीत के दौरान राष्ट्रपति श्री ली और हम इस बात से सहमत हैं कि हमारे बढ़ते आचार-विचार के लिए हमारे मजबूत आर्थिक संबंध प्रासंगिक हैं । हमारी विस्तृत आर्थिक भागीदारी समझौता के लागू हो जाने से गत दो वर्षों के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 65 प्रतिशत बढ़ा है। इसलिए हम लोगों ने 2015 तक 40 बिलियन अमरीकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा है। हम लोगों ने इस समझौते के उन्नयन और इसे अधिक महत्वाकांक्षी बनाने केलिए इस कार्य में और प्रगति करने पर सहमति जताई है।
मैं भारत में कोरियाई कंपनियों को बड़ी मात्रा में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता हूं। भारत में एलजी, हुंडई, सेमसंग जैसी कंपनियों के घरेलू नाम के रूप में हैं। मैं चाहूंगा कि भारत में लघु और मध्यम आकार की कोरियाई कंपनियां अपने निर्माण के लिए आधार बनाए। मैंने राष्ट्रपति श्री ली को बताया कि भारत अपने भौतिक ढांचा को विकसित करने के लिए काफी प्रयास कर रहा है। हम चाहते हैं कि कोरियाई कंपनियां इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक हों और इससे जो अवसर प्राप्त होंगे उनसे वे लाभान्वित हों।
वीज़ा नियमों को आसान करने संबंधी जो समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं वे व्यापारियों के आवागमन को आसान करेंगे।
सियोल में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन जैसे एक अन्य महत्वपूर्ण बहुपक्षीय बैठक के आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति श्री ली और कोरियाई गणराज्य के लोगों सम्मान करता हूं । अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे परमाणु आपूतर्तिकर्ता समूह, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण रिजिम, ऑस्ट्रेलिया समूह एवं वेसेनार व्यवस्था में भारत के शामिल होने की इच्छा में कोरिया के सहायक होने के लिए मैंने उनसे आग्रह किया हे।
हमने अपने राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई है। उस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष के अंत से पहले सियोल स्थित अपने दूतावास में एक रक्षा अटैची की नियुक्ति से संबंधित निर्णय के बारे में मैंने राष्ट्रपति श्री ली को अवगत कराया है।
हमने अपने वैज्ञानिकों एवं तकनीकी विशेषज्ञों के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों की चर्चा की है। जिसमें इस बात पर भी चर्चा की गई है 10 मिलियन यूएस डॉलर के संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कोष को कैसे कार्यान्वित किया गया। भारत ने भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण व्हिकिल से कोरियाई उपग्रह के प्रक्षेपण का आग्रह भी किया है।
वर्ष 2013 भारत और कोरियाई गणराज्य के राजनयिक स्थापना के 40वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जाएगा। हम इस वर्ष को वृहत तरीके से मनाने पर सहमत हुए हैं। क्षेत्रीय मुद्दे पर हम सहयोग और समन्वय बढ़ाने पर सहमत हुए हैं जिसमें पूर्वी एशिया सम्मेलन भी शामिल है। मैंने राष्ट्रपति श्री ली को नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्स्थापना के विकास के बारे में जानकारी दी है और हम इस प्रयास में कोरिया की भागीदारी चाहते हैं।
हमने जी-20 एवं संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य वैश्विक विषयों पर समन्वय बढ़ाने के लिए विचार –विमर्श किया है।
इस सुबह राष्ट्रपति श्री ली के साथ हुई बातचीत के परिणामों से मैं काफी संतुष्ट हूं। मेरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में इन दो महान देशों के बीच मजबूत भागीदारी के लिए हमने नींव रखी है।