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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मारीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ संयुक्त मीडिया संवाद पर निम्नलिखित बयान जारी किया है - यह मेरे लिए सम्मान की बात है किमैं भारत की राजकीय यात्रा पर आए हुए प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम का स्वागत कर रहा हॅू। वह भारत के विशेष मित्र और एक जाने-माने प्रवासी भारतीय हैं।
प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम और मैने भारत-मारीशस भागीदारी का विस्तार करने और उसे सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से बहुत व्यापक और पूरी तरह से उपयोगी चर्चा की है।
भारत और मारीशस के संबंधों की जड़ें सुदृढ़, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों में हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारे संबंध आधुनिक, गतिशील एवं व्यापक तथा परस्पर लाभ देने वाली भागीदारी में बदल गए हैं जो अनेक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग प्रदान करती है। हम दोनों में सहमतिहुई है किआर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-मारीशस संयुक्त आयोग की अगली बैठक इसी वर्ष आयोजित की जाए, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करने के नए उपायों की पहचान की जाए।
मारीशस, भारत का दीर्घकालीन विकास भागीदार है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है किमैंने मारीशस के प्रधानमंत्री को सूचित किया है किभारत, मारीशस को नया आर्थिक पैकेज उपलब्ध कराएगा, जिसके अंतर्गत 250 मिलियन अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा (लाइन ऑफ क्रेडिट) और 20 मिलियन अमरीकी डॉलर का अनुदान होगा।
इस अनुदान के एक भाग का इस्तेमाल मारीशस में राजीव गांधी विज्ञान केन्द्र में एक नक्षत्रशाला की स्थापना में किया जाएगा।
हमने भारत-मारीशस के बीच दोहरे कराधान से बचने के समझौते को लागू करने की स्थितिकी समीक्षा की है। यह बात भारत और मारीशस दोनों के हित में है किहम यह सुनिश्चित करें कि इस समझौते का दुरूपयोग न होने पाए। हमें इस बात की प्रसन्नता है किइस समझौते के अंतर्गत बनाए गए संयुक्त कार्य ग्रुप ने काम करना शुरू कर दिया है और इसकी एक बैठक हाल ही में पोर्टलुई में दिसम्बर 2011 में हो चुकी है। हमने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं किवे दोनों देशों से संबंधित मुद्दों के परस्पर स्वीकार्य और संतोषजनक समाधान निकालें।
विज्ञान और टैक्नालॉजी तथा शिक्षा के क्षेत्र में जिस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं उससे मानव संसाधन विकास में सहयोग को संस्थागत बनाया जा सकेगा।
मैंने मारीशस को आमंत्रित किया है किवह भारत-अफ्रीका मंच शीर्ष-बैठक प्रक्रिया के एक भाग के रूप में शुरू किए गए उपायों के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों से लाभ उठाए।
प्रवासी भारतीय संबंधों ने हमारे पारस्परिक संबंधों को आधार प्रदान किया है। खेल कूद और युवा मामलों के क्षेत्रों में समझौता ज्ञापन से संपर्कों और खासतौर से युवा वर्ग के बीच संपर्कों को बल मिलेगा।
वस्त्र संबंधी सहयोग के समझौता ज्ञापन से कच्चे माल, दक्षता विकास और उत्पादन क्षमता बढ़ाने का काम आसान होगा।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग हमारे संबंधों के मुख्य स्तम्भ हैं। हम दोनों के सुरक्षा हित समान हैं। भारत मारीशस की संप्रभुता और समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना समर्थन जारी रखेगा।
हम परस्पर सहयोग और डकैती की बढ़ रही बुराई पर सहयोग सुदृढ़ बनाने पर सहमत हैं। हिंद महासागर के सभी तटीय राज्यों के लिए यह एक बड़े सुरक्षा सरोकार के रूप में उभरा है। हम दोनों देशों का लक्ष्य है किहिंद महासागर में स्थिरता और शांतिबनी रहे।
इस संदर्भ में हम दोनों में सहमतिहुई है किहिंद महासागर रिम एसोसिएशन के (मौजूदा चेयरमैन) और सचिवालय के मेजबान की हैसियत से दोनों देश इसे सशक्त बनाने के लिए काम करें।
प्रमुख क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर हम दोनों के विचारों में पूरी समानता है। हम विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी को पूरी तरह से निरंतर और सुदृढ़ समर्थन के लिए मारीशस की सराहना करते हैं।
मारीशस के प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम की इस यात्रा से हमारे दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने की कोशिशों को नए सिरे से बल मिला है।