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“भारत में युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है, जिसका लाभ भारत उठा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है, जब हमारे युवा नागरिक शिक्षित हों और हुनरमंद हों, जिससे कि वे अच्छा रोजगार पा सकें और व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन में ऊंची उपलब्धियां हासिल कर सकें। हमारे सामने 15 वर्ष से 59 वर्ष की आयु के बीच के लगभग 85 प्रतिशत लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की चुनौती है, जिन्हें बारह वर्ष्से भी कम की शिक्षा मिली है। समग्र विकास के लिए हमारी सामाजिक और आर्थिक नीति इस हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि हमारे नागरिकों की बहुत बड़ी संख्या अकुशल कार्य करने के लिए मजबूर है, क्योंकि उनके पास उतनी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण नहीं है, जितना आर्थिक और व्यावसायिक दृष्टि से अच्छा रोजगार पाने के लिए जरूरी है।
कौशल विकास की आवश्यकता संबंधी अध्ययनों का अनुमान है कि भारत को 2018 तक लगभग 26 करोड़ और 2022 तक लगभग 34 करोड़ हुनरमंद लोगों की आवश्यकता होगी। इन अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि हमें अगले पाँच वर्षों में लगभग आठ करोड़ लोगों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देना होगा। आवश्यक ता और आपूर्ति में बहुत अंतर है और अगर इसे पूरा न किया गया, तो हमारे आर्थिक विकास में रुकावट आएगी।
इसी पृष्ठभूमि में आज इस परिषद की चौथी बैठक हो रही है। पिछले आठ वर्षों में शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं, लेकिन जहां तक कौशल विकास की बात है, हमारे प्रयास कम रहे हैं। हम इस तरह की स्थिति को चलने नहीं दे सकते। हालांकि हमने कौशल विकास के महत्वाकांक्षी मध्यावधि और दीर्घावधि लक्ष्य निर्धारित किए हैं, लेकिन हमें देखना होगा कि हमारी योजनाओं के लिए आवश्यक योजना राशि उपलब्ध है या नहीं। सभी केंद्रीय मंत्रालय और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम मिलकर 2011-12 तक लगभग 40 लाख लोगों को प्रशिक्षित कर सकेंगे, जबकि अगले पाँच वर्षों में हमारी आवश्यकता लगभग आठ करोड़ प्रशिक्षित लोगों की है। यह स्वाभाविक है कि हम अपने मौजूदा तरीकों से इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों को अपने कौशल विकास कार्यक्रमों को काफी बढ़ाना होगा और 12वीं योजना में कौशल प्रशिक्षण के लिए किए जाने वाले बड़े प्रयासों के प्रस्ताव तैयार करने होंगे। इस समय तैयार की जा रही 12वीं पंचवर्षीय योजना के संदर्भ में हाल में एक अंतर-मंत्रालय समूह का गठन किया गया है, जो कौशल प्रशिक्षण को उन्नत करने के कार्य को पूरा करने के लिए उचित नीतियों का सुझाव देगा। मुझे उम्मीद है कि यह समूह अपनी रिपोर्ट जल्दी तैयार कर लेगा, ताकि 12वीं योजना के दस्तावेज में कौशल विकास के संबंध में ये सुझाव मुख्य आधार बन सकें।
वर्ष 2012-13 के लिए बजट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह सही वक्त है कि अगले वित्त वर्ष में प्रशिक्षित किए जाने वाले लोगों के बारे में सभी मंत्रालय अपने लक्ष्य तय करें, ताकि वे इस संबंध में अपनी बजट की आवश्यकता को परिलक्षित कर सकें।
अपने कौशल विकास कार्यक्रमों का प्रारूप तैयार करते समय मंत्रालयों को जिन बातों का ध्यान रखना होगा, वे हैं :-
क. बुनियादी ढांचा, रियल एस्टेट, ऑटो और ऑटो पुर्जे, वस्त्र, स्वास्थ्य सेवाएं, खुदरा और प्रचालन-तंत्र जैसे क्षमतापूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान देना।
ख. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों तथा विकलांगता से प्रभावित लोगों के कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखना और विशेष रूप से महिलाओं के कौशल विकास पर ध्यान देना।
ग. कौशल विकास के प्रयासों को चलाने और उनके मूल्यांकन के लिए आवश्यक टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना, और
घ. राज्यों के साथ और विशेष रूप से उन राज्यों के साथ, जहां कौशल विकास के मिशन चल रहे हैं, निकट रूप से कार्य करना, ताकि राज्य अपनी आवश्यकता अनुसार प्रशिक्षकों और व्यवसायों का चुनाव कर सकें, इसके साथ ही स्वीकृति संबंधी व्यवस्थाओं को भी विकेंद्रीकृत करना।
पिछली बैठक में हमने व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए ऋण सुविधा शुरू करने की आवश्यकता पर विचार किया था। मुझे बताया गया है कि श्री रामादोरई के व्यक्तिगत प्रयासों से भारतीय बैंक एसोसिएशन ने हाल ही में इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है। अब हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जरूरतमंद लोगों को इस सुविधा से ऋण मिलना शुरू हो जाए।
मैं अब श्री रामादोरई से अनुरोध करूंगा कि वे एजेंडे के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श शुरू करने के लिए अपना प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करें।”