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देश का प्रधान मंत्री होने के नाते मुझे बहुत से कार्यक्रमों में हिस्सा लेना पड़ता है। लेकिन भारतीय बाल कल्याण परिषद (इंडियन कांउसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर) और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित यह सालाना कार्यक्रम अन्य कार्यक्रमों से बिल्कुल अलग है। मेरे लिए इसकी एक खास अहमियत है। बच्चों के बीच आने पर मुझे हमेशा खुशी और ताज़गी का अनुभव होता है। और अगर मौका बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार देने का हो तो यह खुशी और भी बढ़ जाती है।
जिन प्यारे बच्चों को आज पुरस्कार मिला है उनको मैं एक बड़ी सी शाबाशी देना चाहूंगा। आप सबकी बहादुरी के कारनामे सुनकर आश्चर्य होता है। आपने इतनी कम उम्र में इतने बड़े काम करके हम सबका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आप आगे भी इसी तरह के बड़े-बड़े काम करते रहें।
इस शुभ अवसर पर पिछले साल की तरह एक दुःख भरी याद भी आज हमारे साथ है। पांच साहसी बच्चे आज हमारे साथ नहीं हैं। मास्टर कपिल सिंह नेगी, मास्टर आदित्य गोपाल, कुमारी सौधिता बर्मन, कुमारी लवली वर्मा और मास्टर सी लालदुहावमा ने दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उन बच्चों की बहादुरी की मिसाल हमेशा हम सबको प्रेरणा देती रहेगी। मैं इन पांच बहादुर बच्चों को सलाम करता हूं और दिल से उनको श्रद्धांजलि देता हूं।
बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। इसलिए यह हम सबका पहला फर्ज बनता है कि हम यह सुनिश्चित करें कि देश का हर बच्चा स्वस्थ रहे, उसे अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त हो और उसका बचपन खुशियों से भरा हुआ हो। इस दिशा में हमारी सरकार हरेक संभव प्रयास करेगी। पर इस काम में हमारे देश के हर नागरिक के सहयोग की भी ज़रुरत है। हमें भारतीय बाल कल्याण परिषद (इंडियन कांउसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर) जैसी अन्य संस्थाओं की ज़रुरत है जो बच्चों की भलाई के लिए अथक काम करें। मैं परिषद को उसके कामों के लिए और विशेष रूप से 1958 से हर साल साहसी बच्चों को पुरस्कार देने के लिए बधाई देता हूं।
मुझे इस बात की भी खुशी है कि इस साल बहादुर बच्चों के लिए पुरस्कार की राशि में कई गुना बढ़ोत्तरी की गई है। आखिर में, मैं बहादुर बच्चों को एक बार फिर बहुत-बहुत बधाई देता हूँ । ईश्वर हर काम में आपका साथ दे और आपको सफल बनाए।