प्रेस विज्ञप्तियां[वापस जाएं]

May 29, 2013
टोक्यो, जापान

प्रधानमंत्री की जापान यात्रा पर दिया गया संयुक्‍त वक्‍तव्‍य: राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ से आगे भारत और जापान के बीच कार्यनीतिक और वैश्विक भागीदारी मजबूत करना

1. भारत के प्रधानमंत्री, महामहिम डॉ. मनमोहन सिंह, जापान के प्रधानमंत्री, महामहिम श्री शिन्‍जो ऐबे के निमंत्रण पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के वार्षिक सम्‍मेलन के लिए 27-30 मई, 2013 की अवधि में फिलहाल जापान की सरकारी यात्रा पर हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने 29 मई 2013 को तोकियो में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्‍यापक बातचीत की है।

2. 2012 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाने के सिलसिले में आयोजित किए गए कार्यक्रमों की सराहना करते हुए दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस बात की पुष्टि की कि भारत और जापान एशिया में 2 सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के रूप में स्‍वतंत्रता, लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे साझा सार्वभौम मूल्‍यों के साथ घनिष्‍ठ और व्‍यापक संबंध बनाए हुए है। दोनों नेताओं ने आने वाले वर्षों में भारत और जापान के बीच कार्यनीतिक और वैश्विक भागीदारी को और समेकित और सुदृढ़ बनाने का संकल्‍प व्‍यक्‍त किया।

3. प्रधानमंत्री ऐबे ने जापान के सम्राट और साम्राज्ञी को भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किए जाने की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों सरकारें नवम्‍बर के अंत से दिसंबर के प्रारंभ तक भारत में सरकारी मेहमानों के रूप में महामहिमों की यात्रा को यादगार बनाने के लिए आवश्‍यक तैयारी और आपसी समन्‍वय करेंगे। 

4. दोनों प्रधानमंत्रियों ने राजनीतिक आदान प्रदान, संवाद और सभी स्‍तरों पर नीति समन्‍वय में स्थिर विकास पर संतोष प्रकट किया। दोनों देशों ने मंत्री स्‍तरीय वार्षिक बातचीत और विचार विनिमय विशेषकर विदेश मंत्रियों के बीच कार्यनीतिक वार्तालाप और मंत्री स्‍तरीय आर्थिक वार्तालाप का रचनात्‍मक मूल्‍यांकन किया गया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह महसूस किया कि शिखर वार्ता, विदेश सचिव स्‍तरीय वार्ता, दोनों देशों के विदेश कार्यालयों के बीच विचार विमर्श, रक्षा नीति वार्तालाप, भारत, जापान और अमरीका के बीच त्रिपक्षीय वार्ता और विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों जैसे साइबर, आतंकवाद विरोधी और आर्थिक भागीदारी के परिणाम सफल रहे हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय समुद्री कार्य वार्ता प्रारंभ होने का स्‍वागत किया, जिसकी पहली बैठक 29 जनवरी, 2013 को दिल्‍ली में हुई थी।

5. दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग के बारे में संयुक्‍त घोषणा पर आधारित भारत जापान रक्षा संबंधों के विस्‍तार का स्‍वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने जून 2012 में भारतीय नौसेना और जापान मेरीटाइम सेल्‍फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) के बीच प्रथम संयुक्‍त युद्ध अभ्‍यास पर संतोष प्रकट किया और अधिक आवृत्तियों के साथ ऐसे अभ्‍यास नियमित रूप से आयोजित करने का फैसला किया। उन्‍होंने यूएस-2 उभयपक्षी विमान पर सहयोग करने के तौर तरीके तय करने के लिए एक संयुक्‍त कार्यदल की स्‍थापना का फैसला किया।

6. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जापान की सरकार और वहां की जनता द्वारा भारत के विकास में निरंतर समर्थन की सराहना की। प्रधानमंत्री ऐबे ने इस बात की पुष्टि की कि जापान ढांचागत और मानव संसाधन विकास सहित, सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में भारत के प्रयासों को प्रोत्‍साहित करने के लिए महत्‍वपूर्ण स्‍तर पर सरकारी विकास सहायता देना जारी रखेगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ‘‘मुम्‍बई मैट्रो लाइन-3 परियोजना’’  के लिए 71 अरब येन के ऋण और 8 परियोजनाओं के लिए वित्‍त वर्ष 2012 के कुल 353.106 अरब येन के ऋण संबंधी हस्‍ताक्षरित कागजात के आदान प्रदान का स्‍वागत किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 17.7 अरब येन की लागत से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, हैदराबाद के कैम्‍पस की विकास परियोजना (द्वितीय चरण) और 13 अरब येन की लागत से ‘‘तमिलनाडु निवेश प्रोत्‍साहन कार्यक्रम’’ के प्रति प्रधानमंत्री ऐबे की वचनबद्धता की सराहना की।

7. यह महसूस करते हुए कि व्‍यापक आर्थिक भागीदारी समझौते  (सीईपीए) से आर्थिक और व्‍यापारिक संबंध मजबूत हुए हैं, दोनों प्रधानमंत्रियों ने वस्‍तु एवं सेवाओं में व्‍यापार तथा निवेश और बढ़ाने के प्रयास जारी रखने के महत्‍व पर बल दिया। इस संदर्भ में संयुक्‍त समिति की दूसरी बैठक और अनेक उप समितियों की बैठकें सफलतापूर्वक आयोजित किए जाने पर दोनों नेताओं ने संतोष व्‍यक्‍त किया।

8. दोनों प्रधानमंत्रियों ने नवंबर 2012 में भारत और जापान के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्‍ताक्षर किए जाने का स्‍वागत किया और अपनी अपनी सरकारों में सम्‍बद्ध अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इसे शीघ्र कार्यरूप देने की दिशा में काम करें। उन्‍होंने आशा प्रकट की कि इस समझौते से निजी क्षेत्र के अंतर्गत आपसी गतिविधियां और तेज होंगी।

9. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जापान द्वारा भारतीय झींगा के आयात के मुद्दे पर चिंता प्रकट की और आशा व्‍यक्‍त की कि इस मुद्दे का शीघ्र हल निकल आएगा।

10. दोनों प्रधानमंत्रियों ने रचनात्‍मक उद्योगों के सहयोग में प्रगति असंतोष व्‍यक्‍त किया और भारतीय डिजाइन परिषद और जापान इंस्‍टीट्यूट आफ डिजाइन प्रमोशन द्वारा विकसित इंडियन डिजाइन मार्क के सफल शुभारंभ का स्‍वागत किया।

11. दोनों प्रधानमंत्रियों ने वेस्‍टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरीडोर (डीएफसी) के कार्यान्‍वयन की प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि प्रथम चरण में सिविल कार्यों की खरीद अग्रिम अवस्‍था में है और दूसरे चरण के लिए इंजीनियरी सेवा सलाहकारों को पहले ही नियुक्‍त किया जा चुका है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दूसरे चरण के लिए कुल लगभग 136 अरब येन के लिए प्रमुख ऋण समझौते के प्रथम भाग पर हस्‍ताक्षर होने पर भी संतोष प्रकट किया।

12. दोनों प्रधानमंत्रियों ने दिल्‍ली-मुम्‍बई औद्योगिक गलियारा (बीएमआईसी) परियोजना की प्रगति का स्‍वागत किया और इसे भारत-जापान कार्यनीतिक भागीदारी की लक्षित परियोजना बताया। इससे भारत को नवीनतम और कारगर प्रौद्योगिकियां हासिल करने में मदद मिलेगी। दोनों नेताओं ने इस विचार से सहमति जताई कि जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कार्पोरेशन (जेबीआईसी) और जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की विशेष अवधि आर्थिक भागीदारी (एसटीईपी) सहित वित्‍त पोषण के सभी माध्‍यमों के इस्‍तेमाल की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। उन्‍होंने अक्‍तूबर 2012 में तोक्‍यो में डीएमआईसी कार्यदल की बैठक के दौरान भारत में डीएमआईसी परियोजना कार्यान्‍वयन ट्रस्‍ट के निर्माण और जापान की 4.5 अरब अमरीकी डॉलर की सरकारी और निजी वित्‍तीय सहायता सुविधा के लिए परियोजनाएं सूचीबद्ध किए जाने की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने डीएमआईसी डेवलपमेंट कार्पोरेशन (डीएमआईसीडीसी) में जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोआपरेशन (जेबीआईसी) की 26 प्रतिशत इक्विटी भागीदारी और जेआईसीए का एक विशेषज्ञ और जेबीआईसी से बोर्ड सदस्‍य डीएमआईसीडीसी में भेजे जाने का स्‍वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्‍मार्ट कम्‍युनिटी परियोजनाओं के जरिए अगली पीढ़ी की प्रोद्योगिकियां आमेलित किए जाने की दिशा में तीव्र प्रगति की समीक्षा की और सम्‍बद्ध अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दाहेज, गुजरात में समुद्री जल का खारापन दूर करने की परियोजना, राजस्‍थान के नीमराणा में मॉडल सोलर परियोजना और महाराष्‍ट्र में गैस आधारित स्‍वतंत्र बिजली उत्‍पादक परियोजना के कार्यान्‍वयन में और तेजी लाएं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने अन्‍य स्‍मार्ट कम्‍युनिटी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा किए जाने की आवश्‍यकता पर भी बल दिया और निर्देश दिए कि सभी आवश्‍यक उपाय किए जाएं ताकि उचित दरों पर गैस के प्रावधान और विद्युत एवं पर्यावरण संबंधी नियमों के समाधान किए जाएं। इससे सभी परियोजनाएं भारत-जापान कार्यनीतिक भागीदारी के प्रतीक के रूप में तेजी से आगे बढ़ सकेंगी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने बकाया मुद्दों के तेजी से समाधान के लिए विचार विमर्श जारी रखने और उपयुक्‍त कदम उठाने का भी निर्णय किया।