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August 31, 2012
Onboard AI-1

संसद में हंगामे पर प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य

प्रश्‍न: विपक्ष आपके इस्‍ताफे की मांग कर रहा है और संसद चलने नहीं दे रहा, क्‍या आप इस्‍तीफा देंगे? अगर नहीं, तो इस समस्‍या से निपटने की आपकी क्‍या योजना है?

प्रधानमंत्री: अगर मैं इस्‍तीफा दे रहा होता तो मैं यहां नहीं होता। मैं आशा करता हूं कि विपक्ष इस पर समझदारी से सोचेंगे। हमारे यहां लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था है। हमें लोगों ने पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना है। मैं सचमुच यह आशा करता हूं कि भारतीय जनता पार्टी लोगों के फैसले का सम्‍मान करेगी तथा काम काज चलने देगी। संसदीय प्रणाली में बहुमत हासिल करने वाले के पास शासन करने का अधिकार होता है। अगर भाजपा को लगता है कि देश के मामलों को शासित करने के लिए सरकार पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता और वे अपने हिसाब से इसे चलाना चाहेंगे तो यह लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था का प्रतिवाद करना है। 

मैं आशा करता हूं और यहां तक की अब भी देर नहीं हुई है ,भाजपा यह पहचाने कि बहुत कुछ दांव पर लगा है। विपक्ष के साथ-साथ सरकार दोनों का यह दायित्‍व है कि संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली, जिस पर हमें बहुत गर्व है, उसके जरिए हम हमारे देश की समस्‍याओं से निपटने के लिए मिल-जुल कर काम करें। हमारा देश कई समस्‍याओं से जूझ रहा है। देखिए पूर्वोत्‍तर में क्‍या हो रहा है, उत्‍तर और दक्षिण को बांटने की कोशिश की जा रही है। साथ ही आतंकवाद एक गंभीर खतरा बना हुआ है। इसके अतिरिक्‍त नक्‍सलवाद भी एक चुनौती बनी हुई है। इन सभी कठिनाइयों के बावजूद हमारा देश अच्‍छा प्रदर्शन कर रहा है लेकिन प्रशासन की प्रक्रियाओं को प्रभावित करके हम यह नहीं सोच सकते कि देश इन सब के बावजूद वृद्धि करेगा और युवा लोगों के लिए रोज़गार पैदा करेगा। हमें आवश्‍यक मुद्दों पर ध्‍यान देना चाहिए और विभिन्‍न राजनीतिक पार्टियों के भाग्‍य को जांचने के लिए अगले चुनावों का इंतज़ार करना चाहिए।

प्रश्‍न: आपने कहा था कि आप भाजपा से अपील करेंगे कि वे राजनीतिक अड़चन डालना बंद करे। यह स्‍पष्‍ट है कि इसका कोई असर नहीं हो रहा। क्‍या आपके पास इस समस्‍या से निपटने के लिए कोई दूसरा तरीका है? क्‍या आपके पास ऐसा कोई तरीका है कि आगे भी ऐसी समस्‍या से निपटा जा सके,  क्‍योंकि इस प्रकार से अभी और शीतकालीन सत्र नहीं चल पाएगा।

प्रधानमंत्री: मुझे आशा है कि सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग संसद को चलने देंगे और वे सब समझेंगे कि हमारी संसद में जो रहा है वह सही नहीं है। इस समय मैं फिलहाल और कुछ नहीं कर सकता।

प्रश्‍न: आप भाजपा को अपना राजनीतिक एजेंडा क्‍यों स्‍थापित  करने दे रहे हैं?

प्रधानमंत्री: मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को बनाए रखना है। मैं अन्‍य राजनीतिक पार्टियों की तरह तूतू-मैंमैं पर नहीं उतर सकता। तो बेहतर है जैसा मैंने पहले भी कहा था कि मैं चुप रहूं।

प्रश्‍न: प्रधानमंत्री के आपके दूसरे कार्यकाल के दौरान आप पर कई दबाव रहे, चाहे वो गठबंधन की राजनीति द्वारा हो , सड़कों पर प्रदर्शन हो या संसद में मुद्दों पर गतिरोध हो।  क्‍या आपको इसका कोई अफसोस है।  क्‍या आप ऐसी पांच चीज़ें बता सकते हैं जो आप करना चाहते हों लेकिन अब तक कर नहीं पाए हों ?

प्रधानमंत्री: हम निश्चित रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि दर की नींव रखना चाहते थे लेकिन अंतरराष्‍ट्रीय माहौल ऐसा बना रहा कि हम ऐसा नहीं कर सके और साथ ही राजनीतिक पार्टियों द्वारा सहयोग नहीं मिलना भी एक कारण रहा। उदाहरण के लिए वस्‍तुओं और सेवा कर को प्रभावी बनाने में कठिनायां है । जैसा कि सब जानते हैं कि वस्‍तु और सेवा से देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में 1-2 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह कर अपवंचन को कम करते हुए कर प्रणाली को मज़बूत बनाएगा। लेकिन समस्‍याएं हैं क्‍योंकि हम इसे जल्‍दी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही मुझे अच्‍छा लगेगा कि विपक्ष हमें एक मौका दे कि हम गरीबी, भूख, बीमारी जैसी मूलभूत समस्‍याओं से प्रभावी तरीके से निपटने पर काम कर सकें। दुर्भाग्‍यवश भाजपा संसद को बाधित कर रहा है। यह सब ध्‍यान भटकाने वाली नीतियां है। एक व्‍यक्ति के पास एक दिन में काम करने के लिए 24 घंटे है, अगर कोई हर समय इन भ्रमित करने वाली नीतियों से जूझने में अपना वक्‍त बिताएगा तो स्‍वाभाविक रूप से सरकार की क्षमता और योग्‍यता पर प्रभाव पड़ेगा और अधिक महत्‍वपूर्णक कार्यों जैसे गरीबी, बीमारी जिससे देश के लाखों-लाख लोग प्रभावित हैं, उस पर सही से ध्‍यान नहीं दिया जाएगा।