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July 24, 2012
नई दिल्‍ली

भ्रष्‍टाचार रोकने के लिए यूपीए-2 द्वारा किये गये उपाय

भ्रष्‍टाचार से निपटने के उपायों पर विचार करने के लिए जनवरी 2011 में गठित मंत्रीसमूह (जीओएम) ने दो रिपोर्ट सौंप दी है। इसका अनुसरण करते हुए, 

1. सरकार ने निर्देश दिया है कि अभियोजन की स्‍वीकृति के लिए किये गये अनुरोध पर तीन महीनों की अवधि के भीतर सक्षम अधिकारी को फैसला करना होगा।

2. सरकार ने फैसला किया है कि संयुक्‍त सचिव के स्‍तर से ऊपर के केन्‍द्र सरकार के सभी अधिकारियों के लिए दिल्‍ली विशेष पुलिस स्‍थापना अधिनियम की धारा -6 ए के अंतर्गत पूछताछ/जांच शुरू करने की मंजूरी देने के‍ लिए भारत सरकार का प्रभारी मंत्री ही सक्षम अधिकारी होगा।

3. सरकार ने मंत्रियों द्वारा विवेक शक्तियों के प्रयोग के लिए नियामक मापदंडों को लागू करने और उनको सार्वजनिक क्षेत्र में रखने के लिए इस मंत्री समूह की अनुशंसा स्‍वीकार कर ली है।

अन्‍य भ्रष्टाचार रोधी उपायों में शामिल हैं:-

4. इस वर्ष लोकसभा द्वारा एक व्‍यापक लोकपाल एवं लोकायुक्‍त विधेयक, 2011 पारित किया गया।

5. भ्रष्‍टाचार की सूचना देने वालों (‍व्हिसल ब्‍लोवर्स) को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्‍य से    लोकसभा द्वारा व्हिसल ब्‍लोवर्स सुरक्षा विधेयक, 2011 पारित कर दिया गया और वर्तमान में यह राज्‍यसभा के पास है।

6. भारत ने मई 2011 में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ संयुक्‍त राष्‍ट्र समझौते को मान्‍यता दी थी। यह समझौता 8 जून 2011 से भारत के लिए प्रभावी हो गया है। इस समझौते के पूर्ण अनुपालन के उद्देश्‍य से लोकसभा में ‘विदेशी सार्वजनिक अधिकारियों और सार्वजनिक अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों के अधिकारियों को रिश्‍वत से रोकने संबंधी विधेयक, 2011’ पेश किया गया था। इस विधेयक पर संसदीय स्‍थायी समिति की रिपोर्ट पर सरकार विचार कर रही है।

पार‍दर्शिता के साथ सभी सरकारी सेवाओं तक आम आदमी की पहुंच बनाना

सरकार ने राष्‍ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य ‘आम आदमी की मूलभूत आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्‍त सेवा केन्‍द्र आउटलेटों के माध्‍यम से आम आदमी के नजदीकी क्षेत्र में सभी सरकारी सेवाओं तक पहुंच बनाना और किफायती दरों पर ऐसी सेवाओं की कुशलता, पारदर्शिता और विश्‍वसनीयता को सुनिश्चित करना’ है।

1. ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों के लिए सार्वजनिक सेवाओं की इलैक्‍ट्रॉनिक डिलीवरी के लिए एक लाख से भी अधिक संयुक्‍त सेवा केन्‍द्रों का एक नेटवर्क स्‍थापित किया गया है।

2. चौबीस राज्‍यों में 22 भारतीय भाषाओं में कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर उपकरण और फॉन्‍ट उपलब्‍ध कराये गये हैं।

3. ई-जिला परियोजना के अंतर्गत सात राज्‍यों के 88 जिलों में बड़े पैमाने पर नागरिक आधारित ई-गवर्नेंस सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रायोगिक परियोजनाएं लागू की गईं हैं।

4. प्रत्‍यक्ष पहचान संख्‍या के लिए आन लाइन आवंटन शुरू करके और इसे आयकर पैन के साथ जोड़कर कार्यप्रणाली को सरल बनाने और दस्‍तावेजों को कम करने के लिए एमसीए-21 ई-गवर्नेंस परियोजना चलायी गई थी। इससे किसी कंपनी को शुरू करने में होने वाली देरी में कमी आएगी।

5. इस वर्ष के दौरान 15 लाख वार्षिक रिपोर्ट दायर किये गये जो एक रिकॉर्ड है। सिर्फ एक दिन में ही 70 हजार रिपोर्ट दायर किये गये थे।

6. आदाता के बैंक खातों में प्रत्‍यक्ष क्रेडिड द्वारा भुगतान को सुविधाजनक बनाने के लिए नियमों में सुधार‍ किया गया है। इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकारी ई-पेमेंट गेटवे के माध्यम से एक सुरक्षित इलैक्‍ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली शुरू की गई है। इस कदम से भुगतान करने की प्रक्रिया को सुव्‍यवस्थित किया जा सकेगा, सरकारी कार्यालयों के साथ आदाताओं के संपर्क में कमी आएगी, जिससे हरित बैंकिंग का मार्ग प्रशस्‍त होगा।

सार्वजनिक खरीद विधेयक में पारदर्शिता

प्रधानमंत्री ने 2011 के अपने स्‍वतंत्रता दिवस संबो‍धन में निम्‍नलिखित घोषणा की थी:

1. सार्वजनिक खरीद विधेयक, 2012 को मंत्रिमंडल मंजूरी प्रदान कर चुका है।

2. इस विधेयक में, खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और बोली लगाने वालों से समान व्यवहार करने, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और कार्यकुशलता और मितव्‍ययिता को सुनिश्चित करने के लिए केन्‍द्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और केन्द्र सरकार द्वारा नियंत्रित निकायों द्वारा की गयी सार्वजनिक खरीद को विनियमित करने की बात कही गई है।   

3. यह विधेयक सार्वजनिक खरीद के लिए एक संवैधानिक ढ़ांचा तैयार करेगा जो नियामक ढांचे की व्यापक जवाबदेही, पारदर्शिता तथा प्रवर्तनीयता उपलब्ध करायेगा।

सार्वजनिक सेवा मुहैया कराने को नागरिकों को अधिकार बनाना

सामान और सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता से संबंधित नागरिकों के अधिकार और उनकी शिकायतों के निवारण संबंधी विधेयक को २० दिसंबर २०११ को लोकसभा में पेश किया गया और तभी से इसे संबंधित विभागीय संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया है। इस  विधेयक का उद्देश्‍य  नागरिक संहिता को संवैधानिक बनाना और जनता को सामान और सेवाओं की उपलब्धता का अधिकार प्रदान करना है।

न्याय तक जनता की पहुंच बढ़ाना और उत्‍तरदायित्‍व में बढ़ोतरी करना

न्यायिक मानदंड और उत्‍तरदायित्‍व विधेयक २०१२ लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है।

1. न्याय की उपलब्धता और कानूनी सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन का शुभारंभ न्याय विभाग में किया गया था ताकि न्याय तक पहुंच बढ़ाई जा सकेः

1. ए)  विलंब और बकायों में कमी करके 

बी)  संरचनात्मक बदलावों के जरिये जवाबदेही बढ़ाने और

सी)  प्रदर्शन के मानदंड और क्षमता तय करके।

2. याचिका दाखिल करने, न्यायालयों को मुकद्दमों का आवंटन, मुकद्दमा सूची की  तैयारी , सुनवाई की तारीख और मुकद्दमों की स्थिति जैसी जानकारी जिला और सहायक अदालतों द्वारा गठित न्यायिक सेवा केन्द्रों से प्राप्त की जा सकती है।