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July 23, 2012
नई दिल्‍ली

मानसून के लिए तैयारियां

केन्‍द्र सरकार ने देश के कुछ हिस्‍सों में मानसून और वर्षा में हुई कमी की स्थिति से निपटने के लिए व्‍यापक योजनाओं की तैयारी कर ली है। वर्षा की कमी से होने वाली किसी भी स्थिति से जूझने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत करा दिया गया है और किसी भी संभावित परिणाम से निपटने के लिए राज्‍य सरकारों के साथ समन्वित प्रयासों और साप्‍ताहिक आधार पर स्थिति की निगरानी के लिए सभी विभागों और मंत्रालयों को निर्देश दिये जा चुके है।

अद्यतन स्थिति:

अब तक हुई मानसून की प्रगति को देखते हुए चिंताए बनी हुई है। जून के आखिर में वर्षा में दर्ज की गई कमी से चिंता का यह माहौल बना है लेकिन खासतौर पर कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, गुजरात और राजस्‍थान में अगले हफ्ते वर्षा की गहनता और व्‍यापकता पर सावधानी से निगरानी किये जाने की आवश्‍यकता है।

भारतीय मौसम विभाग ने 22 जून, 2012 को वर्षा को लेकर जताई गई अपनी दूसरी संभावना में इसे दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 96 प्रतिशत बताते हुए सामान्‍य वर्षा का अनुमान लगाया था, लेकिन अब वर्तमान रिकार्ड के अनुसार वर्षा के इस स्‍तर से कम रहने का अनुमान लगाया गया है। 15 जुलाई, 2012 को मानसून देश के सभी हिस्‍सों में पहुंच गया था। 1 जून, 2012 से 15 जुलाई, 2012 की अवधि के दौरान हुई कुल संचयी वर्षा एलपीए की तुलना में 22 प्रतिशत कम रही है। देश के चार भौगोलिक क्षेत्रों उत्‍तर-पश्चिम, मध्‍य, दक्षिण प्रायद्वीप और पूर्व तथा पूर्वोत्‍तर भारत में वर्षा एलपीए की तुलना में क्रमश: 33 प्रतिशत, 26 प्रतिशत, 26 प्रतिशत और 10 प्रतिशत कम हुई है। पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान, सौराष्‍ट्र और कर्नाटक में भी अब तक कम वर्षा दर्ज की गई है। दूसरी ओर पूर्वोत्‍तर क्षेत्र, उत्‍तरी बिहार और उत्‍तरी बंगाल में भारी वर्षा दर्ज की गई है और अभी इसके जारी रहने की संभावना है। कुल मिलाकर वर्षा में हुई 22 प्रतिशत की कमी से जुड़ी चिंताओं पर भी ध्‍यान दिये जाने की जरूरत है। केन्‍द्रीय जल आयोग द्वारा निगरानी किये जा रहे देश के 84 प्रमुख जलाशयों का भरना जारी है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में अभी इनमें जल भंडारण का स्‍तर 61 प्रतिशत है। हालांकि मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीगढ़ और राजस्‍थान के जलाशयों में जलस्‍तर दस वर्षों के अनुपात स्‍तर से ज्‍यादा है। जल संसाधन मंत्रालय ने संकेत दिया है कि इस मामलें में चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्‍योंकि हिमालय के पहाड़ी इलाकों, पूर्वोत्‍तर और दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में हो रही भारी वर्षा के जल से जलाशय भर रहे हैं।

पिछले वर्ष की तुलना में फसल बुआई के क्षेत्र में करीब 8 मिलियन हैक्‍टेयर की कमी भी दर्ज की गई है। हालांकि धान की बुआई में हुई कमी को समय रहते पूरा कर लिया जायेगा और मोटे अनाजों के बुआई क्षेत्र में हुई कमी की भरपाई किये जाने की संभावना है।

उठाये गये कदम:

1. कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा व्‍यापक योजनायें तैयार की जा चुकी है और इन पर राज्‍यों के साथ विचार-विमर्श किया जा चुका है। इन्‍हें कम वर्षा वाले क्षेत्रों में लागू किया जायेगा।

2. मोटे अनाजों और दालों के साथ-साथ सभी बीजों की पर्याप्‍त उपलब्‍धता है। बाढ़ से प्रभावित असम में अत्‍याधिक वर्षा में भी बोये जाने वाले बीजों की किस्‍मों को प्रदान किया जा रहा है। इसी प्रकार से बाढ़ प्रभावित उत्‍तरी बिहार और पश्चिम बंगाल में भी इसी प्रकार के बीजों की विभिन्‍न किस्‍में उपलब्‍ध है।

3. पशुधन, दुग्‍ध और मत्‍स्‍य विभाग द्वारा राज्‍यों में उपयुक्‍त चारे की उपलब्‍धता के संबंध में सलाह जारी कर दी गई है। इसमें फसल का संरक्षण भी शामिल है, जिसे अगले सीजन में चारे के तौर पर उपयोग किया जा सकता है। विभिन्‍न योजनाओं के तहत राज्‍य सरकारों के पास इस उद्देश्‍य के लिए पर्याप्‍त कोष उपलब्‍ध है।

4. मक्‍का, ज्‍वार और बाजरा जैसी विभिन्‍न चारे वाली फसलों के लिए पर्याप्‍त बीज उपलब्‍ध हैं और इन्‍हें जरूरत के अनुसार राज्‍य सरकारों को उपलब्‍ध कराया जायेगा।

5. पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा संयुक्‍त वन प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत चारे की उपलब्‍धता को बढ़ाने के लिए सभी विकल्‍पों का विस्‍तार किया जायेगा।

6. कृषीय उद्देश्‍यों के लिए बिजली उपलब्‍धता को सुनिश्चित किया जायेगा ताकि धान की पैदावार बुरी तरह प्रभावित न हो। बिजली मंत्रालय द्वारा पंजाब, हरियाणा और उत्‍तरप्रदेश को अलग-अलग करीब 300 मैगावाट की गैर आवंटित बिजली उपलब्‍ध कराई जा रही है। यह पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की कुल गैर आवंटित बिजली उपलब्‍धता का 75 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्‍त पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैर मंत्रालय के सचिव से राज्‍यों खासतौर पर उत्‍तर-पश्चिमी भारत में डीजल की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने को कहा गया है।

7. उच्‍चतम प्राथमिकता के अनुसार पेयजल की आवश्‍यकता पर बल दिया गया है। पेयजल और स्‍वच्‍छता मंत्रालय साप्‍ताहिक आधार पर प्रभावित रिहाईशी इलाकों की निगरानी करेगा। हालांकि वर्तमान में ऐसा 15 दिनों में किया जा रहा है।

8. जलाशयों में पेयजल के पर्याप्‍त संरक्षण को सुनिश्चित किया जायेगा। राज्‍यों को सिंचाई के लिए जलाशयों के जल को चरणबद्ध तरीके से छोड़ने की सलाह दी जा चुकी है, ताकि कम वर्षा की स्थिति में इस संदर्भ में की जाने वाली अपीलों को पूरा किया जा सके।

9. हालांकि गेहूं और चावल के मूल्‍य स्थिर है, लेकिन चीनी, दालों और सब्जियों के दामों में बढोत्‍तरी का रूख रहा है। उपभोक्‍ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्‍यम से दालों की आपूर्ति में दी जाने वाली छूट बढ़ाये जाने संबंधी एक प्रस्‍ताव को संसद की आर्थिक मामलों की समिति के समक्ष रखा जा रहा है।

10. मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरी के लिए किसी भी अतिरिक्‍त आवश्‍यकता को ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पूरा किया जायेगा। वर्तमान वर्ष के दौरान राज्‍यों को 12 हजार करोड़ रूपये पहले से ही जारी किये जा चुके हैं, राज्‍यों के पास पर्याप्‍त निधि है। केवल कुछ राज्‍यों से ही अब तक रोजगार में वृद्धि की मांग की गई है।

11. राष्‍ट्रीय आपदा राहत कोष के अंतर्गत वर्तमान में 4524 करोड़ रूपये की धनराशि का पर्याप्‍त कोष उपलब्‍ध है।

12. कृषि और सहकारिता विभाग के सचिव के अंतर्गत एक अंतरमंत्री स्‍तरीय समूह साप्‍ताहिक आधार पर स्थिति की समीक्षा और राज्‍य सरकारों के साथ वीडियों के माध्‍यम से वार्ता कर रहा है।