प्रेस विज्ञप्तियां[वापस जाएं]

March 27, 2012
सिओल

परमाणु सुरक्षा शिखर सम्‍मलेन प्रगति रिपोर्ट- भारत

1. अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनी उपाय : भारत अंतर्राष्‍टीय आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार की वचनबद्धता के उन सभी 13 सार्वभौमिक उपायों का हिस्‍सा है, जिन्‍हें न्‍यूनतम मानदंडों के रूप में स्‍वीकार किया गया है। भारत परमाणु सामग्री की सुरक्षा के बारे में समझौते का हिस्‍सा है और उन थोड़े से देशों में से एक है, जिन्‍होंने समझौते में 2005 में किये गए संशोधन की पुष्टि की है। भारत 2005 के संशोधन में प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहा है। भारत परमाणु आतंकवाद की कार्रवाई के दमन के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय समझौते का भी हिस्‍सा है। भारत इन दो समझौतों को विश्‍व स्‍तर पर बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थन करता है।

2. अंतर्राष्‍टीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) : भारत ने परमाणु सुरक्षा को मजबूत करने के राष्‍ट्रीय प्रयासों को आगे बढ़ाने और प्रभावकारी अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग कायम करने में आईएईए की केन्‍द्रीय भूमिका का लगातार समर्थन किया है। भारत परमाणु सुरक्षा मानकों के बारे में आईएईए आयोग और परमाणु सुरक्षा के बारे में सलाहकार समूह का सदस्‍य है। भारत आईएईए द्वारा पेश किये गए परमाणु सुरक्षा श्रृंखला दस्‍तावेजों की तैयारी में सक्रिय रूप से शामिल है। भारत ने 2010-13 के लिए तीसरी योजना सहित परमाणु सुरक्षा के बारे में आईएईए की कार्य योजना में सक्रिय रूप से योगदान दिया है। भारत आईएईए-अमरीकी क्षेत्रीय रेडियोलॉजिकल सुरक्षा सहभागिता (आरआरएसपी) के सहयोगी के रूप में आईएईए के तत्‍वाधान में अंतर्राष्‍ट्रीय प्रशिक्षण पाठयक्रम आयोजित कर रहा है। भारत ने उन देशों में  अनुसंधान और लावरिस रेडियोधर्मी स्रोतों की प्राप्ति के लिए आईएईए के जरिए सहायता की पेशकश की है, जो इनसे प्रभावकारी तरीके से निपटने में असमर्थ हैं और जिन्‍होंने इस बारे में सहायता मांगी है। भारत परमाणु सुरक्षा सूचना पोर्टल विकसित करने और परमाणु सुरक्षा श्रृंखला के अंतर्गत दिशा निर्देश दस्‍तावेजों का समग्र सैट तैयार करने के लिए एजेंसी के प्रयासों की सराहना करता है।

    हम आईएनएफसीआईआरसी/225 में शामिल सिफारिशों में पांचवें संशोधन का समर्थन करते हैं। हम परमाणु सुरक्षा प्रशिक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में एजेंसी की लगातार जारी गतिविधियों को देख रहे हैं और परमाणु सुरक्षा के क्षेत्र में शिक्षा संस्‍थानों को प्रदान की गई एजेंसी की सहायता की सराहना करते हैं। भारत आईएईए के अवैध डेटाबेस तस्‍करी (आईटीडीबी) में भागीदार रहा है, जिसे 1985 में स्‍थापित किया गया था। यह अवैध तस्‍करी और अन्‍य गैर-कानूनी गतिविधियों और देशों को परमाणु रेडियोधर्मी सामग्री से जुड़ी गतिविधियों के बारे में पुष्‍ट जानकारी देता है।

3. संयुक्‍त राष्‍ट्र और अन्‍य तंत्र : भारत 2002 से आतंकवादियों की व्‍यापक नरसंहार वाले हथियारों तक पहुंच को रोकने के उपाय करने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में एक प्रस्‍ताव रखता आया है। प्रस्‍ताव को महासभा ने सर्वसम्‍मति से स्‍वीकार कर लिया। भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्‍ताव नम्‍बर 1540, इसके विस्‍तार प्रस्‍ताव 1977 और संयुक्‍त राष्‍ट्र के आतंकवाद से निपटने की रणनीति से जुड़े वैश्विक प्रस्‍ताव का पूरा समर्थन किया। भारत ने इंटरपोल की रेडियोलॉजिकल और परमाणु आतंकवाद निरोध इकाई और विश्‍व कस्‍टम संगठन के साथ सहयोग किया। भारत ने परमाणु सुरक्षा के बारे में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव द्वारा 22 सितम्‍बर, 2011 को बुलाई उच्‍चस्‍तरीय बैठक में भी भाग लिया।

4. राष्‍ट्रीय कानूनी ढांचा : भारतीय परमाणु ऊर्जा कानून 1962, परमाणु सामग्री और सुविधाएं प्राप्‍त करने की कानूनी इजाजत देता है। इस कानून में संशोधन पर विचार किया जा रहा है, ताकि परमाणु सुरक्षा उपायों के लिए कानूनी उपायों को और मजबूत किया जा सके। सरकार ने एक स्‍वतंत्र परमाणु सुरक्षा नियामक प्राधिकरण बनाने के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया है, जो परमाणु सुरक्षा को बढ़ावा देगा।

5. परमाणु सामग्री कम करना : असैनिक एचईयू के इस्‍तेमाल को कम करने के संबंध में, अप्‍सरा रिएक्‍टर में परिष्‍कृत यूरेनियम आधारित ईंधन को दिसंबर, 2010 में एक सुरक्षित संयंत्र में रखा गया। अप्‍सरा देशी ईंधन का इस्‍तेमाल करेगा, जो उच्‍च परिष्‍कृत यूरेनियम नहीं है। हालांकि स्‍वास्‍थ्‍य, उद्योग, खाद्यान और कृषि के क्षेत्रों में आइसोटॉप के बड़े पैमाने पर उत्‍पादन की मांग बढ़ रही है।

6. अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग : भारत ने आईएईए की कैंसर उपचार के लिए कार्ययोजना (पीएसीटी) के साथ घनिष्‍ठ सहयोग कायम किया है। भारत ने अपने देश में विकसित कोबाल्‍ट टेलीथैरेपी मशीन (भाभाट्रोन II) श्रीलंका तथा नामिबिया को प्रदान करने के लिए इन दो देशों और आईएईए के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं, ताकि कैंसर का सस्‍ता उपचार हो सके। इसी तरह 2008 में वियतनाम को एक मशीन दी गई थी।

7. परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए वैश्विक केन्‍द्र (जीसीएनईपी) : पहले परमाणु सुरक्षा शिखर सम्‍मेलन में भारत ने घोषणा की कि वह परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए एक वैश्विक केन्‍द्र स्‍थापित करेगा। शुरूआत में इस केंद्र में अत्‍याधुनिक परमाणु ऊर्जा प्रणाली अध्‍ययन, परमाणु सुरक्षा, विकिरण सुरक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य कृषि और खाद्यान के क्षेत्र में रेडियोआइसोटोप और विकिरण प्रौद्योगिकी को लागू करने से निपटने वाली चार शाखाओं को शामिल किया जाएगा। केंद्र डिटेक्‍टरों और परमाणु आपात प्रबंधन के विकास सहित विकिरण निगरानी में अनुसंधान और विकास का काम करेगा।

8. परमाणु सुरक्षा शिखर सम्‍मेलन प्रक्रिया : भारत वाशिंगटन शिखर सम्‍मेलन में जारी विज्ञप्ति और कार्य योजना को लागू करने का समर्थन करता है। भारत ने एनएनएस प्रक्रिया और नई दिल्‍ली 16-17 जनवरी, 2012 में शेरपाओं की बैठक आयोजित करने में योगदान दिया।