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प्रधानमंत्री ने आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष सहित और हाल के 8 भारतीय अंतरिक्ष अभियानों के परियोजना निदेशकों और प्रमुख कार्यकारियों के साथ मुलाकात की। ये सभी अभियान जुलाई 2013 से अब तक सफलतापूर्वक पूरे किये गये हैं। उनकी शानदार उपलब्धियाँ के लिए प्रधानमंत्री ने पूरी इसरो बिरादरी की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनवरी 2014 में जीएसएलवी-डी5 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया, जो बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि भारत जटिल क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी के जरिए भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में आत्मनिर्भर हो गया है तथा इस कारनामे के जरिए जीएसएलवी में भरोसा भी मजबूत हुआ है।
प्रधानमंत्री ने मंगलयान के आगामी महत्वपूर्ण संचालनों की कामयाबी के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की और कहा कि इस अभियान से भारत की अंतरिक्ष खोजों का एक नया शानदार अध्याय शुरू होगा।
इसरो प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री के वक्तव्य का संक्षिप्त रूपांतरण इस प्रकार है:-
जो अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधानकर्ता, इंजीनियर और वैज्ञानिक इस कार्य में लगे हैं, उन सभी ने हमें अपनी उन भूमिका के लिए गौरवान्वित किया है। अंतरिक्ष वैज्ञानिक, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकीविद, अंतरिक्ष इंजीनियर्स यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, ताकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां राष्ट्रीय विकास की वास्तविक उपकरण बन सकें। आप शानदार कार्य कर रहे हैं और मैं आप सभी को तथा इन राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में लगे सभी व्यक्तियों की सराहना करता हूं और बधाई देता हूं। अंतरिक्ष इस तरह से राष्ट्रीय विकास का ऐसा औजार बन गया है जिसकी दो-तीन दशक पहले कभी परिकल्पना भी नहीं की गई थी। जैसा मैंने कहा है आपने राष्ट्र निर्माण में ऐसा कार्य किया है, जिससे वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और इंजीनियरों द्वारा निभाई गई भूमिका से पूरा देश गौरव का अनुभव करता है। इसलिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं और बधाई देता हूं। आपने बहुत अच्छा कार्य किया है लेकिन जैसा मैं अक्सर कहता हूं आपके सर्वश्रेष्ठ कार्य का अभी सामने आना बाकी है और नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए मेरी आप सबको शुभकानाएं।