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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक की। इसमें क्षेत्र में चल रही ढांचागत परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई। यह बैठक योजना आयोग द्वारा आयोजित की गई जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकासात्मक कार्य को शुरू करने वाली और उन पर नजर रखने वाली शीर्ष केन्द्रीय एजेंसी है।
बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर में ढांचागत विकास को क्षेत्र के विकास और शेष भारत के साथ संपर्क बढ़ाने की रणनीति के मुख्य तत्व के रूप में लेती हैं।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने क्षेत्र में बुनियादी विकास पर विस्तृत जानकारी दी और कहा कि क्षेत्र में 11वीं योजना अवधि के दौरान लगातार ध्यान देने से संतोषजनक परिणाम निकले हैं। क्षेत्र में राज्य घरेलू उत्पाद विकास 11वीं योजना में पहली बार राष्ट्रीय औसत से अधिक रहा है जिससे योजना आयोग द्वारा किए गए उपायों और लगातार निगरानी की सफलता का पता चलता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2007-2012 की 11वीं योजना अवधि के दौरान लगभग 10 प्रतिशत बढ़ा जबकि कुल मिलाकर देश का जीएसडीपी 8 प्रतिशत रहा। इस वृद्धि को बागवानी, पुष्प, कृषि, मत्स्य पालन, रबड़ और ताड़ के तेल के उत्पादन सहित कृषि क्षेत्र के अच्छे निष्पादन से सहायता मिली है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने यह भी बताया कि क्षेत्र के लिए एनसीए, एसीए, एससीए और एसपीए सहित कुल केन्द्रीय सहायता जहां 10वीं योजना के दौरान 34,764 करोड़ रुपए थी वहां, 11वीं योजना के दौरान दोगुने से भी बढ़ाकर 73,374 करोड़ रुपए कर दी गई थी। इसके परिणाम स्वरूप सभी उत्तर पूर्वी राज्यों में योजना परिव्यय जीएसडीपी के हिस्से के रूप में अत्यधिक बढ़ गया है।
अपने समापन उल्लेख में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की गई समीक्षा से पता चलता है कि प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्रालयों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए योजना आयोग से एक निगरानी समिति गठित करने को भी कहा जिसमें उत्तर पूर्वी राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाए।
केन्द्रीय मंत्रालयों ने रेलवे, सड़कों, हवाई अड्डों, दूरसंचार और बिजली सहित बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है।
बुनियादी ढांचे के प्रत्येक क्षेत्र की मुख्य बातें:
रेलवे
12वीं योजना में उत्तर पूर्वी क्षेत्र में रेलों का बड़े पैमाने पर विस्तार करने की पहल की गई है। वहां रेलवे की 20 परियोजनाएं चल रही है जिनमें से 10 राष्ट्रीय परियोजनाएं है।
विशेषताएं:
· रंगिया-रंगपुरा (तेजपुर), रंगपुरा-उत्तरी लखीमपुर और उत्तर लखीमपुर-मुरकोंगसेलक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चालू वर्ष में 314 करोड़ रुपए के अतिरिक्त वित्तीय स्रोत उपलब्ध कराए गए।
· लमडिंग-सिलचर लाइन का मुख्य और ब्रांच लाइनों के लिए आमान परिवर्तन। चालू वर्ष में अतिरिक्त 100 करोड़ रुपए का प्रावधान। मुख्य लाइन का मार्च 2015 में और ब्रांच लाइनों का जून 2016 में पूरा होने की आशा।
· ब्रह्मपुत्र पर बोगीबील रेल एवं सड़क पुल दिसम्बर 2016 तक पूरा किया जाएगा।
· दुधनोई-मंदीपठार नई बड़ी लाइन मार्च 2014 तक पूरी की जाएगी जिससे मेघालय के साथ पहला रेल संपर्क स्थापित होगा।
· हरमूतिनहरलागुन नई बड़ी लाइन मार्च 2014 तक पूरी की जाएगी जिससे अरूणाचल प्रदेश के साथ पहल रेल संपर्क स्थापित होगा।
· निम्न सात राष्ट्रीय परियोजनाएं 12वीं योजना में पूरी की जाएंगी: रंगिया-मुरकोंगसेलक(असम), ब्रांच लाइनों सहित लमडिंग-सिलचर(असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा), तेतेलिया-बिरनीहाट(मेघालय), जिरीबाम-तुपुल-इम्फाल(मणिपुर), बोगीबील पुल(असम), कुमारघाट-अगरतला(त्रिपुरा), अगरतला-सुबरूम(त्रिपुरा)।
सड़क विकास
· उत्तर पूर्व में राष्ट्रीय राजमार्ग का पूर्व-पश्चिम गलियारा 500 किमी है। इसका 81 प्रतिशत पूरा हो गया है और इसके दिसम्बर 2014 तक पूरा होने की संभावना है। असम सरकार को भूमि उपलब्ध कराने के कुछ मामले हल करने है।
· विशेष त्वरित सड़क विकास परियोजना-इसमें चरण-ए में 4099 किमी सड़कों का विकास किया जाएगा। इसमें से 2505 किमी मंजूर किए गए हैं और 1215 किमी पूरे हो गए हैं। कार्यान्वयन में सुधार के लिए किए गए विभिन्न उपायों की समीक्षा की गई। विभिन्न सड़कों को पूरा करने की लक्षित तारीखें जून 2015 से मार्च 2017 है।
· संपूर्ण अरुणाचल राजमार्ग कार्यक्रम में 2319 किमी की लंबाई है। इसमें से 58 प्रतिशत स्वीकृत है। विभिन्न सड़कों के पूरा होने की तिथि जून 2016 और मार्च 2018 के बीच है। कार्य में गति लाने के लिए अतिरिक्त 6 परियोजना कार्यान्वयन इकाईयां गठित की गई है। राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यवाही सहित कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता।
बिजली
· उत्तर पूर्व क्षेत्र की बिजली उत्पादन की वर्तमान क्षमता 4080 मेगावॉट है और अन्य 6810 मेगावॉट के उत्पादन का काम चल रहा है। पनबिजली की अन उत्पादक क्षमता 55,561 मेगावॉट है और इस क्षमता के तैयार होने पर राष्ट्र और क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने लगेगी।
· पर्यावरणीय और वन संबंधी अनुमोदन तथा भूमि अधिग्रहण संबंधी मंजूरी तेजी से प्राप्त करने की आवश्यकता है। पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में हाल ही में नए मार्ग निर्देश जारी किए है जिनसे सहायता मिलेगी। निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने हाल ही में दिबांग परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
· लोअर सुबनसिरी परियोजना के कार्यान्वयन में कुछ समस्याएं आ रही हैं जिन्हें जल्दी हल करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय और असम सरकार की इस बारे में फरवरी में एक बैठक होनी तय हुई है।
· अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम के लिए अन्तर-राज्य संचार लाइन संजाल (नेटवर्क) का कार्य एल एल सी पी आर (केन्द्रीय) द्वारा किया जा रहा है।
· अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम को छोडकर चार राज्यों के लिए पॉवर ग्रिड की परियोजना तैयार की गई है, जिसके लिए विश्व बैंक औऱ भारत सरकार सहायता राशि उपलब्ध करा रहा है।
हवाई अड्डा
हवाई यातायात में उल्लेखनीय सुधार आया है। उड़ानों की संख्या 2001 के प्रति सप्ताह 226 की तुलना में लगभग दुगुनी से अधिक होकर 2012 में 497 हो गयी है। हालांकि नई योजना बनाई जा रही हैं और बहुत कुछ किया जाना शेष है।
· पाकयोंग में नए हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण के कुछ मामले लंबित हैं और राज्य सरकार को गंगटोक से पाकयोंग तक सड़कों का निर्माण करवाना है। हवाई अड्डे का निर्माण कार्य दिसंबर 2014 तक पूरा किया जाना है।
· ईटानगर में नए हवाई अड्डे की योजना तैयार की गई है। राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण के मामले, निर्माण स्थल तक पहुंच के लिए सड़कें, विद्युत और पानी सम्बंधी मुद्दों को सुलझाना है।
· चेहू में एक नए हवाई अड्डे के वैकल्पिक स्थल का चुनाव राज्य सरकार ने किया है।
· कुछ मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार/ आधुनिकीकरण की योजना बनाई गई है- गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, जोरहाट, शिलांग, इम्फाल, अगरतला।
· परिवहन (यातायात) में सुधार के लिए गुवाहाटी को क्षेत्रीय केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
· अंतर क्षेत्रीय नेटवर्क की स्थिति कमजोर है। उत्तर-पूर्व परिषद (एनईसी) जीपीएफ की सहायता से विकास कार्य कर रही है।
· ब्रह्मपुत्र में 891 किलोमीटर लंबा नेशनल वाटर-वे-2 माल (जींस) और लोगों के लिए पर्यावरण अनुकूल और सस्ता परिवहन का अवसर देता है। नौ परिवहन सहायता से 2 से 2.5 मीटर गहराई सुनिश्चित करने की योजना और आईडबल्यूएआई के द्वारा दस तैरते टर्मिनलों का रख-रखाव किया जा रहा है।
· जहाजरानी मंत्रालय द्वारा यात्रियों के लिए 16 तैरते हुए टर्मिनलों को मार्च 2014 तक तैयार किया जाना है। इनमें से चार ने काम करना शुरू कर दिया है।
· आईडबल्यूएआई धुबरी से हतसिंगीभारी के बीच रॉल-ऑन, रॉल-ऑफ सुविधा विकसित कर रहा है, जिससे मेघालय से असम में धुबरी के बीच वाहनों द्वारा यात्रा का समय कम हो जाएगा। अभी यह यात्रा 220 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करते हुए जोगीहोपा पुल से पूरी करनी होती है।
· गुवाहाटी के पंडू में जहाज की मरम्मत करने की सुविधा का विकास किया जा रहा है, जिसके लिए असम सरकार भूमि उपलब्ध कराएगी।
दूरसंचार
उत्तर पूर्व में दूरसंचार की सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार आया है, लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है। 12वीं योजना में उत्तर-पूर्व के लिए विस्तृत (समग्र) दूरसंचार विकास योजना तय की गई है। जिसके अंतर्गत-उप-प्रादेशिक जिलों में मुख्यालयों में जहां मोबाइल सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां नार्थ-ईस्ट स्पेस एप्लीकेशन केंद्र-डीओटी के आधुनिक तकनीक की सहायता से सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्य कर रहा है।
· राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप सभी हिस्सों में मोबाईल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए भी कार्य किया जा रहा है।
· सभी जिला मुख्यालयों में उपग्रह के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराने के लिए (सेटेलाइट मीडिया) ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) डाले जा रहे हैं।
· जिलों से ब्लॉक तक ओएफसी से जोड़ने का कार्य 2014 तक और ब्लॉक से पंचायतों/ ग्राम परिषद तक ओएफसी से 2015 तक जोड़ा जाना है। 12वीं योजना अवधिमें दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों को माइक्रोवेब नेटवर्क और उपग्रह सूचना तंत्र- डोनर से जोड़ा जाना है।
· बांग्लादेश के आखुरा से त्रिपुरा के अगरतला तक वैकल्पिक मार्गों से विकास की संभावनाओं पर कार्य किया जा रहा है।