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प्रश्न- विधानसभा चुनावों के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में काफी विचार-विमर्श चल रहा है। क्या आप समझते हैं कि कांग्रेस को अब अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा कर देनी चाहिए?
प्रधानमंत्री- कांग्रेस अध्यक्ष इस प्रश्न का उत्तर पहले ही दे चुकी हैं। हम प्रधानमंत्री पद के लिए उचित समय पर अपने उम्मीदवार की घोषणा करेंगे।
प्रश्न- यूपीए-2 के दौरान प्रकाश में आए भ्रष्टाचार के मामलों और आम आदमी पार्टी (एएपी) के उदय के बारे में?
प्रधानमंत्री- जहां तक भ्रष्टाचार के आरोपों की बात है इनमें से अधिकांश आरोप य़ूपीए-1 के कार्यकाल से संबंधित हैं। कोयला ब्लाक आवंटन और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन दोनों यूपीए-1 के समय में हुए थे। उस अवधि के दौरान हम अपने कार्यनिष्पादन के आधार पर मददाताओं के पास गए थे और भारत के लोगों ने हमें अन्य पांच वर्षों के लिए शासन चलाने का जनादेश दिया था। इसलिए, चाहे ये मामले जो समय-समय पर मीडिया द्वारा, कभी महालेखा परीक्षा नियंत्रक (सीएजी) द्वारा या कभी अदालत द्वारा उठाए गए, हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि वे उस समय से सम्बंधित हैं जो यूपीए-2 के काल में नहीं आता। लेकिन यह अवधि पिछले पांच वर्ष से सम्बंधित है और भारत के लोगों ने हमें नई जिम्मेदारियों के साथ सत्ता सौंपी। इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के लोगों ने भ्रष्टाचार के इन सभी आरोपों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है जो मेरे या मेरी पार्टी के ऊपर लगाए गये हैं।
प्रश्न- राष्ट्रमण्डल और 2जी जैसे घोटाले सरकार को बहुत महंगे पड़े हैं। जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या आप महसूस करते हैं कि यह अलग तरह से किया जाना चाहिए था और यह क्या होना चाहिए था?
प्रधानमंत्री- मैं कुछ हद तक अफसोस महसूस करता हूं क्योंकि मैंने इस बात पर जोर दिया था कि स्पेक्ट्रम आवंटन पारदर्शी होना चाहिए, यह स्पष्ट होना चाहिए, यह निष्पक्ष होना चाहिए। मैंने इस बात पर भी जोर दिया था कि कोयला खण्डों का आवंटन नीलामी के आधार पर किया जाना चाहिए। ये तथ्य भुला दिये गये हैं। विपक्ष के निहित स्वार्थ हैं। कभी-कभी मीडिया भी उन्हीं की तरह बात करता है और इसलिए मैं यह समझता हूं कि जब इस काल का इतिहास लिखा जाएगा तो पाक-साफ रहेंगे। यह बात नहीं है कि अनियमितता नहीं रही। अनियमित्ताएं हुईं, लेकिन मीडिया ने, कभी सीएजी ने और कभी अन्यों ने इन समस्याओं को बढ़ा चढ़ाकर कहा।
प्रश्न- आपने अपने भाषण के शुरू में संकेत दिया था कि आप तीसरी बार के लिए प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। तो, क्या आप चाहते हैं कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाय? और क्या आप 2014 के चुनावों के बाद सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे।
प्रधानमंत्री- मैंने शुरु में संकेत दिया है कि यदि यूपीए सत्ता में लौटती है तो मैं प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार नहीं हूं। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित होने के लिए राहुल गांधी में असाधारण विश्वसीनताएं हैं। मुझे उम्मीद है कि हमारी पार्टी उचित समय पर वह निर्णय लेगी।
प्रश्न- पिछले 9-10 वर्ष के दौरान क्या आपने कभी त्यागपत्र देने जैसी स्थिति महसूस की है?
प्रधानमंत्री- मैंने कभी त्यागपत्र देने जैसी स्थिति महसूस नहीं की है। मैं अपना काम आनन्द के साथ किया। मैंने भय या पक्षपात के बिना पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करने का प्रयास किया है।
प्रश्न- यूपीए-1 न्यूनतम साझा कार्यक्रम और समन्वय समिति से लाभान्वित हुई। यूपीए-2 को इनका लाभ नहीं मिला। यदि सत्ता में आती है, तो क्या यूपीए-3 के पास कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा?
प्रधानमंत्री- यूपीए-3 के लिए परिस्थितियां क्या रुप लेती हैं, इस बारे में कोई अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगा। मुझे विश्वास है कि जब समय आयेगा तो ऐसे बहुत लोग होंगे जो इस बात को स्वीकार करेंगे कि कांग्रेस पार्टी के मार्गदर्शन में बनने वाला गठबंधन उस प्रकार का हो जैसा यूपीए सत्ता में रहा है। ऐसा गठबंधन जो सामाजिक और आर्थिक क्रान्ति लाने के लिए बहुत आवश्यक है, जिसे हम इस देश में अनुभव करना चाहते हैं और हमारे देश के लाखों लोगों को परेशान कर रही गरीबी, अज्ञानता और बीमारी से छुटकारा पाने के लिए जिसकी जरुरत है।
प्रश्न- अधिकांश मुख्यमंत्रियों ने कहा कि उनकी हार मंहगाई के कारण हुई। क्या यह बात आपको कष्ट देती है कि आप पर आरोप थोपा जा रहा है। साथ ही डीजल के मूल्यों की समीक्षा नहीं की गई है और रसोई गैस के सिलेण्डरों की संख्या की भी समीक्षा की जा रही है। क्या इसका अर्थ है कि आपकी सरकार विधानसभा चुनावों में अपनी हार के परिणामस्वरूप सब्सिडी के बारे में अपनी नीति की समीक्षा कर रही है?
प्रधानमंत्री- आने वाले महीनों में क्या होने वाला है, मैं उसके बारे में खासकर इस मंच पर अनुमान लगाना नहीं चाहता। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि लोगों का कांग्रेस पार्टी के खिलाफ होने का मूल्य वृद्धि एक कारण हो सकता है। और मैंने समझाया है कि मूल्य वृद्धि जो हुई है, उसके कारण हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। क्योकि जिन्सों की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही हैं और कि ऊर्जा की कीमतंे भी विश्व स्तर पर बढ़ रही हैं। ये कारण हैं जिन्होंने हमारे लिए उस स्तर पर कीमतों को नियंत्रण में लाना कठिन कर दिया, जितना हमें करना चाहिए था। लेकिन इसके साथ-साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमने समाज के कमजोर वर्गों को महंगाई से राहत देने के लिए पर्याप्त उपाय किये हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली स्थिर कर दी गई है। राशन पर मिलने वाले अनाज की कीमतें सन-2003 से नहीं बढ़ाई गई। साथ ही मनरेगा जैसे कार्यक्रमों के जरिए हमने सुनिश्चित किया है कि कृषि मजदूरों की कमाई को मूल्य वृद्धि की दर पर सूचकांकित किया जाए। यह हमारे समाज के इन लोगों को किसी हद तक सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन तत्थों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
प्रश्न- अल्पसंख्यकों के लिए बनाई गई योजनाएं लोगों तक क्यों नहीं पहुंचती?
प्रधानमंत्री- (हिंदी में) हमने सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने में काफी काम किया है। मुझे दुःख से कहना पड़ता है कि ये तमाम अवाम तक नहीं पहुंच सका। ये भी ठीक है कि कुछ ऐसी बातें हैं जो अभी करनी बाकी हैं। कुछ कोर्ट में पड़ी हैं और कुछ प्रोबलम आयी हैं जिनकी वजह से और चीजों को लागू नहीं किया जा सका। लेकिन जहां तक हमारी गवर्मेंट का तालुक है (यहां से अंग्रेजी में) अल्पसंख्यक समुदायों के लिए छात्रवृतियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। मौलाना आजाद फैलोशिप की राशि में काफी बढोतरी हुई है। देश के 90 अल्पसंख्यक-बहुल जिलों में विविध अवधारणाओं वाले कार्यक्रम को लागू किया गया है। इस प्रकार, काफी कुछ किया गया है, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि और अधिक करने की गुंजाइश नहीं है।
प्रश्न- आप पर चुप रहने का आरोप लगाया गया है। आपको क्या चीज रोकती है?
प्रधानमंत्री- (हिंदी में) जहां तक बोलने का सवाल है जब भी जरुरत पड़ी है, पार्टी फोरम में, मैं जरुर बोलता रहा हूं, और आगे भी बोलता रहूंगा।
प्रश्न- क्या आप अब भी कुछ सुधारों के एजेंडे को आगे ले जाने के बारे में आशावादी हैं। आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?
प्रधानमंत्री- सुधार कोई घटना नहीं है, यह एक प्रक्रिया है। इसलिए, जब तक हम सत्ता में हैं, जहां कहीं भी उसकी गुंजाइश होगी और परिस्थितियां हमें आगे बढ़ने की इजाजत देती हैं, हम सुधारों की प्रक्रिया जारी रखेंगे।
प्रश्न- वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश में सरकार में बैठे हैं और उन कम्पनियों के बारे में निर्णय ले रहे हैं जिनमें उनके और उनके परिवार का स्वार्थ है। क्या आप समझते हैं कि यह उचित है?
प्रधानमंत्री- मुझे खेद है कि हिमाचल प्रदेश में आप जिस संदर्भ में कह रहे हैं, मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। मैंने समाचार पत्रों में छपी कुछ खबरें देखी हैं। मुझे श्री अरुण जेटली से 29 दिसम्बर को एक पत्र भी प्राप्त हुआ है। लेकिन इन आरोपों में सच्चाई क्या है मुझे इस बारे में सोचने का समय नहीं मिला।
प्रश्न- आम आदमी अब आपके बारे में क्या सोचता है- एक राजनितिक के रूप में, एक प्रधानमंत्री के रूप में?
प्रधानमंत्री- मैं वही व्यक्ति हूं जो वर्षों पहले था। मुझमें कोई परिवर्तन नहीं आया है। मैं यह पूरी ईमानदारी से कहता हूं कि मैंने सर्वाधिक समर्पण और प्रतिबद्धता तथा एक जुटता के साथ इस देश की सेवा करने का प्रयास किया है। मैंने अपने मित्रों अथवा अपने सम्बंधियों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का कभी इस्तेमाल नहीं किया।
प्रश्न- भारत-अमरीका सम्बंधों की क्या स्थिति है। जैसा कि आपका कार्यकाल समाप्त होने वाला है, लगता है कि ये फिर निचले स्तर पर पहुंच गये हैं?
प्रधानमंत्री- हमारी सरकार हमारे दोनों देशो के बीच सामरिक भागीदारी मजबूत करने को सर्वाेच्च प्राथमिकता देती है। हाल ही में कुछ अवरोध आये हैं, लेकिन मेरा पक्का विश्वास है कि ये अस्थाई विपथन हैं और राजनयिकों को इन मामलों को हल करने का अवसर दिया जान चाहिए।
प्रश्न- पूर्वोत्तर में परियोजनाओं का कार्यान्वयन पूरा न होने के लिए जटिल क्षेत्र एक आम बहाना बन गया है। इस बारे में आपकी सरकार क्या कर रही है?
प्रधानमंत्री- मैं समझता हूं कि यह सीमा पर बाड़ लगाने का मामला है और कुछ अन्य परियोजनाओं के कार्यान्वयन में वहां के भू-भाग के कारण कठिनाइयां आ रही हैं। इस बारे में कोई संदेह नहीं है।
प्रश्न- गेंडा हत्या। क्या आपके अनुसार गेंडों को बचाने के लिए केन्द्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए?
प्रधानमंत्री- गेंडा राष्ट्रीय सम्पति है। इस अमूल्य पशु को बचाने के लिए सभी प्रयास किये जाने चाहिएं और किये जाएंगे।
प्रश्न- क्या आप सोचते हैं कि हमें राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार बनानी चाहिए?
प्रधानमंत्री- मैंने इस प्रश्न पर गंभीरता से नहीं सोचा। लेकिन यह मेरी प्रारम्भिक प्रतिक्रिया है कि जटिलता और विविधता वाले भारत जैसे देश के लिए सरकार की संसदीय प्रणाली सर्वाधिक उपयुक्त है। राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार उपयोगी नहीं रहेगी।
प्रश्न- बहुत लोगों का कहना है कि आपने स्थिति को नियंत्रित नहीं किया। यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पर उसकी भूल-चूक के कार्यों के लिए दोष लगाया है। आप कार्यवाही करने में विफल रहे, इस बारे में आपका क्या विचार है कि आपकी क्या विरासत रहेगी?
प्रधानमंत्री- मेरा पूरा विश्वास है कि इतिहास, समकालीन मीडिया अथवा संसद में विपक्षी दलों की तुलना में मेरे प्रति अधिक दयालु रहेगा। मैं सरकार की मंत्री-मण्डलीय प्रणाली में घटित होने वाली सभी बातों को प्रकट नहीं कर सकता। मेरा विचार है कि परिस्थितियों और गठबंधन की राजनीति की विवशताओं को ध्यान में रखते हुए, मैंने तत्कालीन परिस्थितियों के अधीन यथासंभव सर्वात्तम कार्य किया है।
प्रश्न- क्या आप मानते हैं कि राहुल गांधी बनाम नरेन्द्र मोदी के बीच बराबर की टक्कर रहेगी? क्या आपको विश्वास है कि वे सरकार बना सकेंगे?
प्रधानमंत्री- मुझे पूरा विश्वास है कि अगला प्रधानमंत्री यूपीए गठबंधन से होगा। श्री नरेन्द्र मोदी की योग्यताओं की चर्चा किये बिना यह कहा जा सकता है कि श्री नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए विनाशकारी होगा।
प्रश्न- भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और श्री मोदी का आप पर आरोप है कि आप कमजोर प्रधानमंत्री रहे हैं। क्या इसमें आपकी पार्टी की कोई भूमिका है?
प्रधानमंत्री- मैं नहीं समझता कि मैं कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं। इस बारे में निर्णय लेना इतिहासकारों का काम है। भाजपा और इसके सहयोगियों को जो अच्छा लगे, कहते रहें। लेकिन "मजबूत प्रधानमंत्री" से यदि आपका तात्पर्य है कि आप अहमदाबाद की सड़कों पर निर्दाष नागरिकों के नरसंहार से प्रधानमंत्री की क्षमता को आंकते हैं तो "मैं इसे नहीं मानता।" मेरे विचार से इस देश को कम से कम अपने प्रधानमंत्री में इस प्रकार की शक्ति चाहिए।
प्रश्न- क्या आप समझते हैं कि भारत-पाक सम्बंधों में ऐतिहासिक अवसरों का लाभ नहीं उठाया गया? क्या आपके अनुसार स्थाई शान्ति का समझौता आपके उत्तराधिकारी के लिए सम्भव होगा?
प्रधानमंत्री- मैंने अपनी सर्वात्तम योग्यता के अनुसार अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने का प्रयास किया है एक समय तो ऐसा लगता था कि महत्वपूर्ण सफलता मिलने वाली है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान की घटनाओं का वह समय जब जनरल मुशर्रफ को अलग किस्म की व्यवस्था के लिए गद्दी छोड़नी पड़ी। मैं सोचता हूं कि इससे शान्ति प्रक्रिया वहीं रुक गई लेकिन अब भी मेरा विश्वास है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध इस उपमहाद्वीप के लिए बहुत आवश्यक हैं। ताकि हमारे इस उपमहाद्वीप के लाखों-करोड़ों लोगों का पूर्ण विकास किया जा सके और गरीबी, अज्ञानता तथा बीमारी से छुटकारा पाया जा सके।
प्रश्न- देश को वित्त मंत्री के रुप में आपके कार्यकाल का भी स्मरण है। प्रधानमंत्री के रूप में आपकी विरासत क्या है और आपके अनुसार ऐसा क्या है जो पिछले दशक के दौरान आप हासिल नहीं कर सके?
प्रधानमंत्री- मैंने परिस्थितियों के अधीन यथासंभव कार्य किया है। इस बात का पता लगाना इतिहासकारों का काम है कि मैं कितना सफल रहा हूं। मेरा अपना विचार है कि हमने तीव्र आर्थिक वृद्धि की गति को बनाये रखा और उसे सतत बनाया है। यदि आप नौ वर्ष की उस अवधि पर नजर डालें जो हमने पूरी की है और उससे पहले एनडीए के 6 वर्षों के साथ उसकी तुलना करें तो मैं सोचता हूं कि यह बहुत साफ हो जाता है कि प्रदर्शन के अनेक संकेतकों में हमारा प्रदर्शन एनडीए की अवधि के प्रदर्शन से बेहतर रहा है।
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि सत्ता के दोहरे केंद्र का प्रयोग सफल रहा है? यह सुविधाजनक रहा या असुविधाजनक?
प्रधानमंत्री - इस व्यवस्था के बारे में मैं सिर्फ यह बोल सकता हूं, क्योंकि मैंने इसमें काम किया है। मुझे पक्का यकीन है कि ऐसी व्यवस्था जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री अलग-अलग व्यक्ति हैं-इन परिस्थितियों में- यह व्यवस्था बेहतरीन रही। मेरे लिए, यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि प्रधानमंत्री के रूप में मेरा 10 वर्ष का कार्यकाल कांग्रेस पार्टी और प्रधानमंत्री या सरकार के बीच बिना किसी गड़बड़ी के पूरा हुआ। मेरे लिए, श्रीमती गांधी का समर्थन बेहद जटिल मसलों से निपटते समय बेहद मददगार रहा। वास्तविकता तो यह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में मेरे कार्य में कई तरह से मदद की।
प्रश्न- आपके लिए पाकिस्तान के दौरे पर जाना क्यों सम्भव नहीं हो सका?
प्रधानमंत्री- मैं पाकिस्तान जाने का बेहद इच्छुक हूं। जिस गांव में मेरा जन्म हुआ था, वह अब पश्चिमी पंजाब का हिस्सा है, लेकिन देश का प्रधानमंत्री होने के नाते, मुझे पाकिस्तान की यात्रा पर तभी जाना चाहिए, जब परिस्थितियां ठोस नतीजे हासिल करने के अनुरूप हों। मैंने इस बारे में कई बार सोचा, लेकिन आखिरकार मुझे महसूस हुआ कि हालात मेरे दौरे के अनुरूप नहीं हैं। प्रधानमंत्री का अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले पाकिस्तान का दौरा करने की उम्मीद मैंने अभी तक छोड़ी नहीं है।
प्रश्न- अपने कार्यकाल को आप दस में से कितने अंक देंगे?
प्रधानमंत्री- यह फैसला आपको लेना है। जहां तक मेरी बात है, मैं महसूस करता हूं कि मैंने बहुत अच्छा काम किया है। वैश्विक वित्तीय संकट और यूरो-जोन संकट के बावजूद, हमने वृद्धि की जो प्रक्रिया बरकरार रखी है तथा ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया जैसे अन्य उभरते देशों में जो हो रहा है, उस पर गौर करते हुए, मैं नहीं समझता कि हमारी कहानी को विफल या दुर्भाग्यपूर्ण कहा जा सकता है।
प्रश्न- आम आदमी पार्टी को आप किस प्रकार आंकेंगे? क्या आपको लगता है कि हमें बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से लेखा परीक्षा कराने की आवश्यकता है?
प्रधानमंत्री- भारत की जनता ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रति भरोसा व्यक्त किया है। मुझे लगता है कि हमें लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान अवश्य करना चाहिए। यह तो सिर्फ समय ही बताएगा कि यह प्रयोग हमारी अर्थव्यवस्था और राज्य व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है या नहीं। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी-उन्हें आए अभी हफ्ते से भी कम समय हुआ है- उन्हें खुद को सही ठहराने का समय और अवसर दिया जाना चाहिए।
प्रश्न- आप राहुल से सरकार में शामिल होने को कहते रहे हैं, लेकिन वे लगातार इंकार करते आए हैं। इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी में भी सभी का कहना है कि मनमोहन सरकार की नकारात्मक छवि के कारण ही उसकी हार हो रही है?
प्रधानमंत्री- यह यकीनन मेरी राय नहीं है। अगर आपको लगता है कि लोग ऐसी राय रखते हैं, तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। यह फैसला इतिहासकार करेंगे कि मैंने क्या किया, मैंने क्या नहीं किया, मेरी क्या कमजोरियां रहीं, मेरी क्या ताकत रही। जहां तक मेरा प्रश्न है, मेरा मानना है कि जिन परिस्थितियों में मैंने काम किया है, उन्हें देखते हुए, वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण, हमने जो किया, वह बहुत अच्छा रहा। हमारी सरकार के शुरूआती नौ बरसों में वृद्धि दर सर्वाधिक रही, आजादी मिलने के बाद से देश में पहली बार ऐसा हुआ।
मैंने हमेशा यह महसूस किया है कि राहुल गांधी हमारी सरकार का हिस्सा बनते, तो उसे और बल मिलता। लेकिन राहुल का कहना है कि पार्टी के प्रति जो उनकी जिम्मेदारियां हैं, वे उन्हें सरकार में शामिल होने की इजाजत नहीं देतीं और मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।
प्रश्न- चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के लिए किसी राजनीतिक चेहरे की मांग उठ रही है। क्या कांग्रेस नेतृत्व ने कभी भी आपसे चुनाव से पहले पद छोड़ने का संकेत दिया है? क्या भ्रष्टाचार और मूल्य वृद्धि जैसे मामलों पर प्रधानमंत्री की कोई जिम्मेदारी नहीं है?
प्रधानमंत्री- मुझे जो कहना था मैं कह चुका हूं। किसी ने भी मुझे उन कमियों की वजह से हटने को नहीं कहा, जो शायद प्रधानमंत्री के मेरे कार्यकाल के दौरान वर्णित की गई हैं।
प्रश्न- तमिलनाडु में दो प्रमुख मसले हैं। आप तमिलनाडु के मछुआरों की समस्या का स्थायी हल कब निकालेंगे। आपकी सरकार देवयानी के बारे में इतनी चिंतित है, तो श्रीलंकाई तमिलों के बारे में इतनी चिंतित क्यों नहीं है?
प्रधानमंत्री- यह सच नहीं है कि हमें श्रीलंका की तमिल आबादी के कल्याण की चिंता नहीं है। हमनें श्रीलंका की तमिल आबादी की वास्तविक समस्याओं को सुलझाने के लिए श्रीलंका सरकार को राज़ी करने का हरसंभव प्रयास किया। हम भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे। जहां तक मछुआरों के भविष्य का सवाल है, हमने अनेक बार इस मामले पर श्रीलंका सरकार से चर्चा की है और अब जबकि उत्तरी श्रीलंका में तमिलों की ही सरकार है, तो ऐसे में हमें लगता है कि यह श्रीलंका की तमिल आबादी और तमिलनाडु की तमिल आबादी के लिए एक अवसर है कि वे मिलकर विचार करें और दोनों देशों के मछुआरों के बीच एक ऐसी व्यवस्था बनायें, जो दोनों के लिए संतोषजनक हो। मुझे लगता है कि ऐसा होने जा रहा है। यहीं एकमात्र रास्ता है जिसके माध्यम से दोनों देशों के मछुआरों की समस्या सुलझाई जा सकती है।
प्रश्न- प्रधानमंत्री के रूप में आपका सबसे बेहतर और सबसे खराब लम्हा कौन सा रहा?
प्रधानमंत्री- मुझे इस पर विचार करने के लिए समय चाहिए। पर यकीनन मेरा बेहतरीन लम्हा वह था, जब हमने अमरीका के साथ परमाणु समझौता करके देश का वह परमाणु अलगाव समाप्त किया, जिसने हमारी सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रक्रियाओं और हमारे देश की तकनीकी प्रगति को कई तरह से अवरुद्ध कर रखा था।
प्रश्न- क्या आम आदमी पार्टी का उदय बड़ी पार्टियों के लिए कोई संदेश है?
प्रधानमंत्री- भ्रष्टाचार एक मसला है और यकीनन आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार उन्मूलन के प्रति अपनी चिंता की बदौलत सफल होने में सक्षम रही है। मुझे लगता है कि यह तो समय ही बतायेगा कि वे कामयाब होंगे या नहीं। मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार से निपटना आसान नहीं है। यहां कई अवसर और साथ ही साथ कई चुनौतियां भी हैं, हमें भ्रष्टाचार से सामूहिक रूप से निपटना होगा। ये कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसे कोई एक पार्टी हल कर सकती है। इस बुराई से निपटने के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को मिलकर काम करना होगा।
प्रश्न- क्या आपके मन में कोई खास काम था, जो आप करना चाहते थे और जिसे आप अब तक नहीं कर सके हैं। क्या आपको गठबंधन की राजनीति में ऐसी संभावना दिखती है कि पार्टियां तीसरे कार्यकाल के लिए भी आपके पास फिर से आएंगी?
प्रधानमंत्री- मुझे लगता है कि हमारे पास जो पांच महीने बचे हैं, वे हमारी अर्थव्यवस्था में फिर से जान डालने के लिए पर्याप्त हैं। अगर मैं ऐसा करने में कामयाब रहा, तो मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा होगा।
प्रश्न- क्या आप सब्सिडी वाले 12 एलपीजी सिलेंडर देने की घोषणा करने वाले हैं? क्या आप कस्तूरीरंगन रिपोर्ट पर पुनर्विचार करने की घोषणा करने वाले हैं?
प्रधानमंत्री- जहां तक कस्तूरीरंगन रिपोर्ट का सवाल है, इस पर अभी तक विभिन्न राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। जहां तक जनता को मिलने वाले एलपीजी सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने का प्रश्न है, मुझे लगता है कि फिलहाल इस बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है।
प्रश्न- सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों की सहायता के लिए क्या किया गया है?
प्रधानमंत्री- अगर आप 1984 के दंगों में तकलीफ भुगतने वाले सिखों की बात कर रहे हैं, तो मुझे लगता है कि हमारी सरकार ने उनके लिए बहुत कुछ किया है और मैंने संसद में चर्चा के दौरान सिख समुदाय से 1984 में हुई घटनाओं के लिए हमारे देश की सरकार की ओर से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। ऐसा कतई नहीं होना चाहिए था। जहां तक मुआवजे का प्रश्न है, कोई भी बहुमूल्य जिंदगियों के नुकसान की भरपाई करने लायक मुआवजा कभी नहीं दे सकता। पर जहां भी संभव हो सका, हमने 1984 के दंगा पीड़ित सिख परिवारों की तकलीफें दूर करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई है।
प्रश्न- क्या आप 2014 के बाद राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगे?
प्रधानमंत्री- मैंने इस बारे में नहीं सोचा है और फिलहाल ऐसा कहना जल्दबाजी होगी। मेरा वर्तमान कार्यकाल पूरा होने में अभी पांच महीने बाकी हैं। इसलिए जब समय आएगा तो मैं इस बारे में फैसला करूंगा।
प्रश्न- कहा जाता है कि फैसले 10 जनपथ में लिए जाते हैं और उनकी घोषणा 7 रेसकोर्स से की जाती है।
प्रधानमंत्री- इसमें कोई हर्ज नहीं है। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष या उपाध्यक्ष- के यदि कोई विचार हैं, तो वे जहा तक संभव हो सके सरकार की सोच में झलकने चाहिए। मुझे लगता है कि इसमें कोई नुकसान या हमारे द्वारा अपनाई गई इस व्यवस्था में कोई खामी नहीं है। वास्तविकता यह है कि श्रीमती गांधी या राहुल गांधी सरकार की सहायता के लिए मौजूद हैं, उनकी बदौलत हम इन साढ़े नौ वर्षों में बहुत से कठिन अवसरों से निपटने में सक्षम हुए हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है जब उनके विचार सरकार के कार्यों से भिन्न रहे हैं। सरकार ने उन मसलों पर पुनर्विचार किया और अगर पार्टी नेतृत्व महसूस करता है कि राष्ट्र हित में कोई सुधार किया जाना जरूरी है, तो मुझे नहीं लगता कि उन सुधारों को लागू करने में कुछ गलत है या कोई नुकसान है।
प्रश्न- पिछले साढ़े नौ वर्षों में किन दो बातों पर आपको सबसे ज्यादा अफसोस हुआ?
प्रधानमंत्री- क्षमा कीजिएगा। मैंने इस बारे में विचार नहीं किया है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं, बच्चों की स्वास्थ्य सुविधाओं, महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में यकीनन मैं और बहुत कुछ करना चाहूंगा। हमने जिस राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की थी, उसके नतीजे अच्छे रहे हैं, लेकिन बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
प्रश्न- विदेशी निवेशकों को आप क्या कहना चाहेंगे?
प्रधानमंत्री- भारत, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराता है। हम ऐसा करते रहेंगे। जहां भी जरूरत होगी, हम अपनी परिपाटियों में सुधार करते रहेंगे।
प्रश्न- ऐसे कौन से प्रमुख विधेयक हैं जिन्हें पारित कराने के लिए आप विपक्ष से सहायता का अनुरोध करना चाहेंगे? भ्रष्टाचार-निरोधी विधेयक? महिला आरक्षण विधेयक?
प्रधानमंत्री- हमारी कोशिश होगी कि एंटी करप्शन बिल, 5-6 बिल है, जो संसद में पड़े हैं, ऐसा माहौल पैदा किया जाए कि ये विधेयक पास हो जाएं। हमारी करप्शन के खिलाफ जो लड़ाई है, वह आगे बढ़ सके। यह हमारी भरपूर कोशिश रहेगी। महिला आरक्षण भी एक ऐसा ही क्षेत्र है।
प्रश्न- ऐसा लगता है कि पिछले साढ़े नौ वर्ष में आपने काफी निरर्थक बाते बर्दाश्त की हैं। आपकी पार्टी के सदस्यों का कहना है कि अर्थशास्त्री के रूप में आपकी योग्यताओं को बहुत अधिक और राजनीतिज्ञ के रूप में आपकी योग्यताओं को बहुत कम करके आंका गया है।
प्रधानमंत्री- आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं या देश मेरे बारे में क्या सोचता है, मैं इस बारे में कोई अटकलें नहीं लगाना चाहता। जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि मैंने पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा करने की कोशिश की है। जब मैं प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुआ था, तो उस समय सामान्य धारणा यह थी कि कांग्रेस पार्टी कभी भी गठबंधन सरकार नहीं चला सकती। गठबंधन सरकार चलाने की कांग्रेस पार्टी की योग्यता का परीक्षण किया जाना था और हमने यह दिखा दिया कि कांग्रेस पार्टी एक नहीं, बल्कि दो कार्यकाल तक गठबंधन सरकार सफलतापूर्वक चला सकती है। इस प्रक्रिया में, कुछ समझौते करने पड़े हैं, लेकिन मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि वे समझौते बेहद सतही क्षेत्रों से संबंधित रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय समस्याओं को तटस्थता के साथ सुलझाने की हमारी काबिलियत अथवा इच्छा को किसी भी रूप में प्रभावित नहीं किया।
प्रश्न- आर्थिक मंदी के लिए कौन से घरेलू कारण जिम्मेदार रहे?
प्रधानमंत्री- घरेलू कारण भी थे, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अंतर्राष्ट्रीय कारणों की रही। सबसे पहले वर्ष 2008-09 की वैश्विक आर्थिक मंदी का दौर आया। उसके बाद यूरो-जोन संकट का दौर आया। लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि इसके पीछे घरेलू कारण नहीं थे। बुनियादी ढांचे से जुड़ी रुकावटे थीं, पर्यावरण और वन के दृष्टिकोण से परियोजनाओं को समय से मंजूरी प्रदान करने के संदर्भ में रुकावटे थीं। इन कारणों का भी प्रभाव पड़ा। घरेलू कारणों और अंतर्राष्ट्रीय कारणों ने मिलकर आर्थिक वृद्धि की दर में कमी की।
प्रश्न- क्या आप समय-समय पर अपने मंत्रियों के प्रदर्शन का आकलन करते हैं? क्या उस आकलन को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि पता चल सके कि किसने काम किया और किसने नहीं?
प्रधानमंत्री- ये निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। मेरा कार्यालय सभी प्रमुख क्षेत्रों, विशेष कर बुनियादी ढांचे से संबंधित क्षेत्रों की निगरानी करता है। अगर किसी भी क्षेत्र विशेष या किसी मंत्रालय के कामकाज में कोई कमी हो, तो उस के बारे में समय-समय पर मंत्रिमंडल में चर्चा होती है।
प्रश्न- सभी क्षेत्रों में दाम बढ़ रहे हैं। आपके पास पांच महीने बचे हैं। क्या आप इस अवधि में महंगाई से निपट सकते हैं?
प्रधानमंत्री- हम यकीनन पूरी कोशिश करेंगे। हम महंगाई पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई थी।
प्रश्न- क्या नरेन्द्र मोदी का "कांग्रेस मुक्त भारत" का सपना साकार होगा?
प्रधानमंत्री- मुझे पक्का यकीन है कि श्री नरेन्द्र मोदी जो कह रहे हैं, वह नहीं हो सकता।